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हताशा के दौर से गुजरते हिंदुस्तान को आज अगर किसी चीज की सबसे ज्यादा आवश्यकता है, तो वो है पॉजिटिविटी या पॉजिटिव एनर्जी की। लेकिन वो मिले तो मिले कहां से? क्योंकि देश के ज्यादातर न्यूज चैनल तो हिंदू-मुस्लिम की बहस से आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं। न्यूज पेपर और मैग्जीन अपने-अपने प्रोपोगेंडा के तहत लोगों को जोड़ने की बजाए तोड़ने में लगे हुए हैं। हर तरफ शोर है सिर्फ अपने-अपने स्वार्थ का। संयुक्त परिवार भी लगभग विलुप्त होने की कगार पर हैं। लिहाजा बच्चों को अब दादा-दादी या नाना-नानी से अच्छी शिक्षा,अच्छी कहानियां और नैतिक ज्ञान मिलना भी कस्तूरी मृग की तरह मुश्किल हो गया है। सोशल मीडिया को भी अजीब सा रोग लग गया है, इतिहास को हर रोज तोड़-मरोड़कर आने वाली पीढ़ी को गुमराह किया जा रहा है। अच्छा बोलने,अच्छी सलाह देने वाले लोग मानो गायब से हो गए हैं।

इसी बढ़ती निगेटीविटी का असर हमारे समाज में खासकर युवाओं में  बढ़ती सुसाइडल टेंडेंसी के रूप में देखने को मिल रहा है।छोटी-मोटी परेशानियों से हताश होकर नौजवान, यहां तक  कि स्कूल के बच्चे भी जिंदगी का साथ छोड़ रहे हैं। कोई  फेसबुक पर ज्यादा लाइक न आने पर  अपनी जान दे रहा है तो कोई नौकरी जाने या परीक्षा में फैल होने पर फंदे पर झूल रहा है। लेकिन क्या आपने कभी समाज के गिरते मनोबल के पीछे की असल वजह जानने की कोशिश की है,आखिर हर जगह इतनी निराशा क्यों है? क्यों लोगों में अब मुसीबतों से लड़ने  का साहस, जुझारूपन और पहले सा धैर्य  नहीं रह गया है? शायद इन्हीं तमाम सवालों के जवाब ने हमें Pozitive India को एक मिशन के रूप में शुरू करने  की जरूरत महसूस कराई। ठीक है बुराईयां हैं हर तरफ,रहने दीजिए, कुछ अच्छाईयां भी तो हैं हमारे आस-पास,जिसे और आगे बढ़ाया जा सकता है।

आप बुरा पढ़ने-देखने की आदत छोड़ दीजिए, अच्छी स्टोरीज पढ़ना शुरू कीजिए, पॉजिटिव रहिए। हमारी कोशिश रहेगी कि हमारी कहानियां आपको हौंसला दे, आगे बढ़ने की हिम्मत दें, मुश्किल समय में कमजोर पड़ने की बजाए आपको चुनौतियों से लड़ने का साहस दें, बस इसके लिए आपको भी हमारा साथ देना होगा।

What We Think…

हमारा मानना है कि जब ज्यादातर मीडिया हाउस निगेटिव न्यूज के जरिए दिनभर तनाव परोस सकते हैं तो फिर अपने आसपास की अच्छाईयां सामने लाने में भला बुराई क्या है। हमारे-आपके बीच रहने वाले समाज के उन असल नायकों को सामने लाने में भला क्या हर्ज है, जिन्होंने अपनी सोच, अपने वीजन, अपनी मेहनत और अपने साहस के दम पर कुछ कर दिखाया हो। जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है, जिनकी कामयाबी महसूस की जा सकती है, जिनसे हम मिल सकते हैं, खासकर हमारे बच्चे और स्टूडेंट उनसे Inspire होकर कुछ नया करने का साहस जुटा सकते हैं।

 यकीन मानिए ये एक छोटी सी पहल बड़ा बदलाव ला सकती है बस हमें जरूरत है आपके साथ और समर्थन की।

पढाई, फ्यूचर और करियर के बढ़ते प्रेशर के बीच स्टूडेंट्स को whatsapp जैसे सोशल मीडिया के फेक कंटेट में उलझाने की बजाए आज जरूरत हमारे और आपके बीच रहकर समाजसेवा से लेकर उद्यमिता के क्षेत्र में हर रोज कुछ नया और अलग कर रहे लोगों की कहानी सुनाने की है। ताकि वो मोटिवेट हो सकें, प्रैक्टिकल हो सकें, नई सोच सामने आ सके और सबसे ज्यादा जरूरी बच्चों को सोचने की आजादी मिल सके। 

How We Work

हमारे काम करने का फार्मूला भी बिल्कुल सिंपल है। हम सबसे पहले अपने बीच से ऐसे ही HEROES/SHEROES को सामने लाते हैं जिन्होंने अपनी नई सोच, अथाह संघर्ष से सफलता का सफर तय किया हो, मुश्किल वक्त में अपने हौंसले के बूते जिंदगी को और मायनेदार बनाया हो, परेशानियों के आगे घुटने टेकने की बजाए चुनौतियों से लड़कर अपना खुद का रास्ता बनाया हो या फिर बड़ी खामोशी से समाजसेवा और इंसानियत की नई इबारत लिख रहे हों। फिर इन कहानियों के जरिए हम सोसायटी और स्टूडेंट्स को बेहतर और प्रेरणादायी कंटेट प्रोवाइड कराने की कोशिश करते हैं ताकि आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में दिनभर की थकान और निराशा के माहौल के बीच थोड़ा सुकून और कुछ अच्छा सीखने को मिल सके,कहीं से तो उम्मीद की एक नई दिशा मिल सके।

“याद रखिए हम बुराई को जड़ से मिटा तो नहीं सकते लेकिन हर वक्त बुराई को स्पेस देने की बजाए कुछ समय के लिए अच्छी बात तो कर सकते हैं ना”

‘We Support Motivational Education Through Positive Journalism’

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