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कहते हैं जिद से जिंदगी बदली जा सकती है…जिद से जहां बदला जा सकता है…जिद से सपने बुने और साकार किए जा सकते हैं…हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही शख्स की है, जिसने एक जिद ठानी और अपनी तकदीर बदलकर न सिर्फ कामयाबी की नई परिभाषा गढ़ी, बल्कि गांव में गुजर-बसर करने वाले और गरीब तबके से ताल्लुक रखने वाले देश के लाखों नौजवानों को भी खुद के बुने सपनों को जीने का साहस और हौंसला दिया। 

नई सोच से लिखी कामयाबी की कहानीVipin Dangi Rajgarh

ये कहानी एक ऐसे युवा की है जिसने दुनिया से हटकर अपनी एक अलग दुनिया बनाने की सोची…अपने सपने खुद बुने…नई सोच के सहारे सफलता के पैमाने खुद गढ़े…जो सोचा, जो ठाना, वो किया…जुनून को शक्ति और आईडिए को मकसद मानकर अपनी मंजिल खुद तय की…जब उसकी उम्र के बाकी लड़के घूमने और मौज-मस्ती में मशगूल थे, तब वो सब कुछ भूल अपनी जिद को कामयाबी की जमीन पर उतारने की जद्दोजहद में व्यस्त था…जिद, जुनून में बदला और वो निकल पड़ा दुनिया के दस्तूर को बदलने…मेहनत भी रंग लाई…वो अपने सपनों का सारथी भी बना और उसने कामयाबी के नए कीर्तिमान भी गढ़े।Vipin Dangi Rajgarhअपने गांव और मिट्टी से जुड़ाव क्या होता है, अगर आपको यह जानना है तो बस एक बार मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के बेहद छोटे से गांव कुआंखेड़ा में रहने वाले 26 साल के विपिन दांगी से मिल लीजिए। कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले विपिन ने इंदौर में माइक्रोबॉयोलाजी से ग्रेजुएशन किया। पूरा परिवार खेती-किसानी पर ही निर्भर था और आज देश के किसानों की दशा-दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। लिहाजा घर की कमजोर माली हालत के चलते विपिन को इंदौर के एक निजी अस्पताल में पार्ट टाइम नौकरी भी करनी पड़ी ताकि वो अपनी पढ़ाई का खर्चा उठा सकें। ग्रेजुएशन कंपलीट करने के बाद उन्होंने फुल टाइम जॉब ज्वाइन कर ली। सैलरी भी अच्छी थी लेकिन उनका शहर में दिल और उस काम में मन नहीं लगा। उन्होंने साल 2017 के आखिर में वापस अपने गांव कुआखेड़ा आने का फैसला लिया। यहां आकर उन्होंने शुद्ध दूध का कारोबार शुरू किया मगर किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। पूरी शिद्दत और ईमानदारी से काम करने के बाद भी उन्हें सही परिणाम नहीं मिला और लाखों का घाटा तक सहना पड़ा। 

जिंदगी में हर इंसान के पास हमेशा दो ही रास्ते होते हैं। पहला रास्ता, वो जो काम कर रहा है उसी में खुश रहे। दूसरा रास्ता, वो कुछ अच्छा, कुछ बेहतर और कुछ नया करने का प्रयास लगातार करता रहे। पहला रास्ता आसान है, दूसरा रास्ता संघर्षों से भरा जरूर है लेकिन वो कामयाबी दिलाने का माद्दा भी रखता है। विपिन दांगी ने भी अपनी जिंदगी में हमेशा दूसरे रास्ते को चुना। दूध का कारोबार ठप्प हो गया लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और ना ही अपना हौंसला कम होने दिया।

Vipin Dangi Rajgarhबदलते वक्त के साथ देश के युवाओं का रूझान भी बदल रहा है। पिछले कुछ सालों में ऐसे कई युवा उभरकर सामने आए हैं जिन्होंने इंजीनियर, डॉक्टर और साइंटिस्ट जैसी बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद खेती-किसानी और उससे जुड़े व्यापार को अपनाया है। अन्य प्रोफेशन की तरह अब युवा पीढ़ी खेती को भी एक प्रोफेशन की तरह ले रही है और लाखों रूपए की अच्छी खासी कमाई भी कर रही है। इस फेहरिस्त में अब मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के कुआंखेड़ा गांव के रहने वाले विपिन दांगी का नाम भी जुड़ गया है। विपिन ना सिर्फ खुद खेती और खेती से जुड़ा व्यापार कर रहे हैं, बल्कि अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती और उससे जुड़े कारोबार करने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित कर रहे हैं।

देश की युवा पीढ़ी का रूझान अब आधुनिक खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है जिससे उन्हें अच्छी कमाई होने के साथ-साथ एक अलग पहचान भी मिल रही है। किसान परिवार में जन्मे विपिन ने भी नौकरी को तवज्जो देने की बजाए खेती और खेती से जुड़े व्यापार को ही फायदे का सौदा साबित करके दिखाया और जमाने के सामने एक नई नजीर पेश की।

अतीत के पन्नों को पलटते हुए विपिन कहते हैं कि उनके पिता और उनसे पहले की कई पीढियां भी खेती-किसानी का काम करती आई हैं।लिहाजा उनका झुकाव भी बचपन से ही कृषि क्षेत्र की तरफ रहा। स्कूल के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अपने घर, अपने गांव से दूर इंदौर जाना पड़ा। पढ़ाई पूरी होने के बाद इंदौर में ही ठीक-ठाक सैलरी वाली एक फुल टाइम नौकरी भी गई लेकिन फिर भी अंदर एक बेचैनी सी थी। काम करने के बाद भी वो सुकून नहीं निल रहा था, जिसकी तलाश थी। हर पल अपनी मिट्टी और अपने गांव की याद सताती रही।Vipin Dangi Rajgarhकहते हैं जो बेचैन है, वही जीवित है और जो जीवित है वो कुछ न कुछ तो जरूर करेगा। यह कुछ न कुछ ही एक दिन बड़ा रूप ले लेता है। आज के हाईटेक और तेजी से भागते दौर में किसी बिजनेस या स्टार्टअप के लिए यही सबसे बड़ी पूंजी है। अगर आपको सफल बनना है, अपने सपने को पूरा करना है, आइडिया को सफल बनाना है तो निरंतर सोचना होगा, ईमानदार कोशिश करनी होगी और खुद को साबित करना होगा। जिंदगी में कुछ कर दिखाने की एक ऐसे ही बेचैनी थी विपिन दांगी के अंदर। विपिन को अब तक इस बात का अहसास हो चला था कि जिस सुकून और सफलता की उन्हें तलाश है, वो उन्हें उनकी जड़ों यानि अपने गांव, अपनी मिट्टी और अपनी विरासत से जुड़कर ही मिलेगा।

इंदौर से अपने गांव वापस लौटकर विपिन ने साल 2018 में शुद्ध दूध का कारोबार शुरू किया। उस वक्त विपिन महज 24 साल के थे और उनके लिए ये किसी कारोबार का पहला अनुभव था। पूरी ईमानदारी और मेहनत के बावजूद लागत के हिसाब से मुनाफा नहीं हुआ और विपिन को दो लाख से ज्यादा का घाटा सहना पड़ा।Vipin Dangi Rajgarhविपिन कहते हैं कि खेती और किसान आज भी इस देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बस जरूरत है तो नई सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ स्मार्ट वर्क की। यही वजह है कि दूध के व्यापार में भारी नुकसान के बावजूद वो खेती-किसानी से ही जुड़े रहना चाहते थे। शुद्ध दूध का काम बंद होने के बाद वो इंटरनेट पर अगले 6 महीनों तक नई-नई संभावनों को तलाशते रहे और खेती में नवाचार को लेकर जानकारी जुटाते रहे। काफी मशक्कत और मंथन के बाद आखिरकार उन्होंने पौष्टिक पशु आहार बनाने का निर्णय लिया ताकि किसानों को भी फायदा मिल सके और वो भी इस क्षेत्र से जुड़े रहें।

पशु आहार के कारोबार के आइडिया को लेकर विपिन बताते हैं कि, उन्होंने देखा कि उनके गांव और आसपास के इलाके के लोग पशुपालन तो बड़े स्तर पर करते हैं लेकिन आसपास ऐसी कोई भी स्थानीय कंपनी नहीं है जो पशु आहार का निर्माण करती हो। जिसके चलते किसान अपने पशुओं को पौष्टिक आहार मुहैया नहीं करा पाते और इसका सीधा असर पशुओं की क्षमता पर पड़ता है। यही वजह है कि उन्होंने इस इंडस्ट्री में एंट्री करने का मन बनाया और पशुओं के लिए संतुलित व पौष्टिक आहार तैयार करने की जानकारी जुटाने और रणनीति बनाने में जुट गए। इस दौरान विपिन ने कई पशु-चिकित्सकों से मुलाकात कर उनकी सलाह भी ली।Shivkari food for cow & buffaloविपिन ने सितंबर 2019 में अपनी एक कंपनी बनाई और अपने प्रोडक्ट को शिवकारी पशु आहार ब्रांड के नाम से मार्केट में लॉंच किया। विपिन के मुताबिक पशु आहार तैयार करने के बाद उसे किसानों तक पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती थी। इसके लिए उन्होंने मार्केटिंग स्ट्रेटेजी पर खूब मेहनत की। पहले पर्चे छपवाकर सभी जगह बंटवाए, फिर एक गाड़ी पर स्पीकर लगाकर प्रमोशन करना शुरू किया। यह तरीका सफल रहा। उनकी मेहनत रंग लाई। धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ने लगे और चंद दिनों में ही मुनाफा होने लगा। राजगढ़ के आसपास के कई गांवों में अब उनके चार हजार से भी ज्यादा रेगुलर कस्टमर हैं। आज विपिन इस काम से हर महीने लाखों की कमाई कर रहे हैं।

एक तिनके से शुरू करके पूरा का पूरा सपनों का शहर बना लेना इतना आसान नहीं होता लेकिन जुनून एक ऐसी चीज है जिसके आगे कुछ नामुमकिन भी नहीं होता।  विपिन के लिए भी अपने संकल्पों को अंजाम तक पहुंचाने का सफर कभी इतना आसान नहीं रहा मगर इन सबके बीच उन्होंने कभी अपनी ख़्वाहिश धुंधली नहीं पड़ने दी।

विपिन बताते हैं कि पशु आहार बनाने का काम शुरू करने से पहले उन्हें कई तरह की चुनौतियों से दो-चार होना पड़ा। सबसे बड़ी समस्या पैसों की थी। आखिर नया काम शुरू करने के लिए जरूरी पैसा कहां से आए क्योंकि विपिन को पहले ही दूध के कारोबार में बड़ा नुकसान हो चुका था और पशु आहार बनाने के काम शुरू करने के लिए भी लाखों रूपए की जरूरत थी। हालांकि इस बार विपिन ने पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए काफी रिसर्च और जानकारी जुटाने के बाद ही नए काम का चयन किया था। लिहाजा उन्होंने कांफिडेंस के दम पर अपने दोस्तों, परिचितों और रिश्तेदारों को भरोसे में लिया और उनसे पैसे उधार लेकर पशु आहार बनाने के काम की छोटी सी शुरूआत की।Shivkari food for cow & buffaloआज विपिन हर दिन लगभग तीन से चार टन पशु आहार तैयार करते हैं। एक टन पशु आहार बनाने में करीब 17 हजार रुपए का खर्च आता है, जिसे विपिन 18 हजार रुपए की दर से बेंचते हैं। फिलहाल विपिन ने अपनी कंपनी के माध्यम से पांच लोगों को रोजगार भी दे रखा है। इतना ही नहीं वो जल्द ही अपने कारोबार का विस्तार करने जा रहे हैं। विपिन ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़़ और महाराष्ट्र में कारोबार बढ़ाने के लिए अपनी टीम भी तैयार कर ली है, जो प्रमोशन के लिए तैयार की गई गाड़ी में सवार होकर, जगह-जगह जाकर लोगों को प्रोडक्ट के बारे में जानकारी देने के साथ ही उन्नत कृषि के लिए जागरुक भी करते हैं।food for cow & buffalo             

विपिन के मुताबिक पशु आहार बनाने के लिए सबसे अहम रॉ मटीरियल होता है। इसके लिए पहली प्राथमिकता वो किसानों को देते हैं और पशु आहार बनाने के लिए अनाज भी गांव के किसानों से ही खरीदते हैं। जबकि, खली स्थानीय तेल फैक्ट्रियों से खरीदते हैं। 

पशु आहार बनाने के लिए कपास, मूंगफली, सोयाबीन, सरसों की खली, मक्का, जौ, गेहूं जैसे अनाजों के साथ-साथ दाल के छिलकों की जरूरत पड़ती है। क्योंकि इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होती है। सबको एक निश्चित अनुपात में मिलाने के बाद, इसमें कैल्सियम, फॉस्फोरस, आयोडीन, कॉपर, कोबाल्ट जैसे मिनरल्स ऐड किए जाते हैं। फिर इसे ग्राइंडर में मिक्स किया जाता है। पूरी प्रोसेसिंग के बाद पैकिंग की जाती है। ये आहार दुधारू पशुओं के लिए बेहद उपयोगी होता है।

इसलिए खास है ये आहार….विपिन बताते हैं कि आमतौर पर किसान घास-भूसा ही अपने पशुओं को खिला पाते हैं। ऐसे में उन्हें जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इसकी वजह से उनकी हेल्थ को नुकसान तो होता ही है, साथ ही दूध भी ज्यादा नहीं निकलता है। यह आहार कंप्लीट फूड है। इसमें सभी जरूरी एलिमेंट्स हैं, जो एक स्वस्थ पशु को मिलना चाहिए। इसे सुबह-शाम पशुओं को खिलाना चाहिए। इससे हेल्थ बेनिफिट के साथ दूध में भी बढ़ोतरी होती है।

किसानों की तरक्की के लिए प्रशिक्षण कैम्प…Vipin Dangi Rajgarh

विपिन आज खुद ही आत्मनिर्भर नहीं बल्कि आसपास के सभी किसानों को पशु पालन के साथ ही नवाचार, आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती कर कामयाबी की राह दिखाने औऱ उस पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। हर हफ्ते वो किसानों और पशु पालकों के लिए ट्रेनिंग कैंप भी लगाते हैं। उसमें आधुनिक खेती-किसानी से लेकर पशुओं के रखरखाव और उन्हें स्वस्थ रखने के टिप्स देते हैं। वो अपने पशु आहार की खूबियों के बारे में भी उन्हें समझाते हैं। विपिन का मानना है कि खेती के साथ-साथ किसानों को पशु पालन पर भी जोर देने की जरूरत है तभी वो आर्थिक रूप से सक्षम और सशक्त बनेंगें।

विपिन कहते हैं कि बदलती संभावनाएं, जल और ज़मीन के अभाव ने कृषि और किसानों को चुनौतियों में जकड़ लिया है। भारत जैसे देश में जहां जनसंख्या दिन-दुगुनी, रात-चौगुनी बढ़ रही है, वहां जरुरी है की हम खेती-बाड़ी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण और विज्ञान की मदद से काम करें। आज का समय उन्नत खेती का है। मेहनत से अधिक आज स्मार्ट खेती की जरूरत महसूस की जा रही है।  नवीन तकनीकों और संसाधनों के सहारे कम लागत में भी उपज और आमदनी को बढ़ाया जा सकता है।

एक तरफ जहां आज किसान खेती से मुंह मोड़कर शहर की ओर पलायन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विपिन जैसे कुछ युवा किसान आधुनिक तरीके से खेती करके कृषि क्षेत्र में नई इबारत लिखने के साथ ही दूसरों के सामने नजीर पेश कर रहे हैं। विपिन का मानना है कि आजकल के अधिकतर युवा खेती छोड़ अच्छी नौकरी की तलाश में जुटे रहते हैं, शायद वो इस बात से अनजान हैं कि आज के समय में जितना मुनाफा खेती से कमाया जा सकता है, उतना किसी भी नौकरी से नहीं कमाया जा सकता है।Vipin Dangi Rajgarhशायद, जद्दोजहद भरे रास्तों पर तमाम चुनौतियों से लड़ते हुए, बाधाओं को भेदते हुए, नाउम्मीदी के अंधियारे को चीरते हुए, दिमाग की तंग गलियों से बाहर निकलकर हकीकत की मुश्किल भरी दुनिया में आगे बढ़ने का नाम ही जिंदगी है। किसी जोखिम के डर से ज्यादातर लोग इस रास्ते पर चलने का साहस नहीं जुटा पाते और जीते रहते हैं वही घिसी-पिटी उधार सी जिंदगी। लेकिन विपिन जैसे कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपनी नई सोच,अदम्य साहस और कुछ अलग करने की भूख लिए इस दुनिया को ही जिंदगी के नए मायने सिखा जाते हैं। यकीनन विपिन दांगी की कामयाबी की कहानी पढ़कर आप में भी कुछ कर दिखाने की हिम्मत आएगी। विपिन की कहानी साबित करती है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। आपकी लगन, आपका जुनून उसे एक बड़ा प्लेटफार्म बनाती है।

याद रखिए: जमाने में नजीर वही बनते हैं जिनमें परेशानियों के पहाड़ और चुनौतियों के तूफान से भिड़ने की हिम्मत होती है।

फिलहाल विपिन एक हाइटेक और आधुनिक तकनीकों से लेस डेयरी फॉ़र्म प्रशिक्षण केंद्र खोलने जा रहे हैं। जिसके जरिए आसपास के इलाके के किसानों को गाय की नई-नई नस्लों की जानकारी के साथ ही कृषि की नई संभावनाओं और नवाचार से जोड़कर उन्नत कृषि की तरफ प्रेरित किया जाएगा। 

पॉजिटिव इंडिया की कोशिश हमेशा आपको हिंदुस्तान की उन गुमनाम हस्तियों से मिलाने की रही है, जिन्होंने अपने फितूर से बदलाव को एक नई दिशा दी हो और समाज के सामने संभावनाओं की नई राह खोली हो।

हर रोज आपके आसपास सोशल मीडिया पर नकारात्मक खबरें और उत्तेजना फैलाने वाली प्रतिक्रियाओं के बीच हम आप तक समाज के ऐसे ही असल नायक/नायिकाओं की Positive, Inspiring और दिलचस्प कहानियां पहुंचाएंगे, जो बेफिजूल के शोर-शराबे के बीच आपको थोड़ा सुकून और जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा दे सके।

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