कहते हैं जिद से जिंदगी बदली जा सकती है…जिद से जहां बदला जा सकता है…जिद से सपने बुने और साकार किए जा सकते हैं…हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही शख्स की है, जिसने एक जिद ठानी और अपनी तकदीर बदलकर न सिर्फ कामयाबी की नई परिभाषा गढ़ी, बल्कि गांव में गुजर-बसर करने वाले और गरीब तबके से ताल्लुक रखने वाले देश के लाखों नौजवानों को भी खुद के बुने सपनों को जीने का साहस और हौंसला दिया।
ये कहानी एक ऐसे युवा की है जिसने दुनिया से हटकर अपनी एक अलग दुनिया बनाने की सोची…अपने सपने खुद बुने…नई सोच के सहारे सफलता के पैमाने खुद गढ़े…जो सोचा, जो ठाना, वो किया…जुनून को शक्ति और आईडिए को मकसद मानकर अपनी मंजिल खुद तय की…जब उसकी उम्र के बाकी लड़के घूमने और मौज-मस्ती में मशगूल थे, तब वो सब कुछ भूल अपनी जिद को कामयाबी की जमीन पर उतारने की जद्दोजहद में व्यस्त था…जिद, जुनून में बदला और वो निकल पड़ा दुनिया के दस्तूर को बदलने…मेहनत भी रंग लाई…वो अपने सपनों का सारथी भी बना और उसने कामयाबी के नए कीर्तिमान भी गढ़े।
जिंदगी में हर इंसान के पास हमेशा दो ही रास्ते होते हैं। पहला रास्ता, वो जो काम कर रहा है उसी में खुश रहे। दूसरा रास्ता, वो कुछ अच्छा, कुछ बेहतर और कुछ नया करने का प्रयास लगातार करता रहे। पहला रास्ता आसान है, दूसरा रास्ता संघर्षों से भरा जरूर है लेकिन वो कामयाबी दिलाने का माद्दा भी रखता है। विपिन दांगी ने भी अपनी जिंदगी में हमेशा दूसरे रास्ते को चुना। दूध का कारोबार ठप्प हो गया लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और ना ही अपना हौंसला कम होने दिया।
देश की युवा पीढ़ी का रूझान अब आधुनिक खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है जिससे उन्हें अच्छी कमाई होने के साथ-साथ एक अलग पहचान भी मिल रही है। किसान परिवार में जन्मे विपिन ने भी नौकरी को तवज्जो देने की बजाए खेती और खेती से जुड़े व्यापार को ही फायदे का सौदा साबित करके दिखाया और जमाने के सामने एक नई नजीर पेश की।
अतीत के पन्नों को पलटते हुए विपिन कहते हैं कि उनके पिता और उनसे पहले की कई पीढियां भी खेती-किसानी का काम करती आई हैं।लिहाजा उनका झुकाव भी बचपन से ही कृषि क्षेत्र की तरफ रहा। स्कूल के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अपने घर, अपने गांव से दूर इंदौर जाना पड़ा। पढ़ाई पूरी होने के बाद इंदौर में ही ठीक-ठाक सैलरी वाली एक फुल टाइम नौकरी भी गई लेकिन फिर भी अंदर एक बेचैनी सी थी। काम करने के बाद भी वो सुकून नहीं निल रहा था, जिसकी तलाश थी। हर पल अपनी मिट्टी और अपने गांव की याद सताती रही।
इंदौर से अपने गांव वापस लौटकर विपिन ने साल 2018 में शुद्ध दूध का कारोबार शुरू किया। उस वक्त विपिन महज 24 साल के थे और उनके लिए ये किसी कारोबार का पहला अनुभव था। पूरी ईमानदारी और मेहनत के बावजूद लागत के हिसाब से मुनाफा नहीं हुआ और विपिन को दो लाख से ज्यादा का घाटा सहना पड़ा।
पशु आहार के कारोबार के आइडिया को लेकर विपिन बताते हैं कि, उन्होंने देखा कि उनके गांव और आसपास के इलाके के लोग पशुपालन तो बड़े स्तर पर करते हैं लेकिन आसपास ऐसी कोई भी स्थानीय कंपनी नहीं है जो पशु आहार का निर्माण करती हो। जिसके चलते किसान अपने पशुओं को पौष्टिक आहार मुहैया नहीं करा पाते और इसका सीधा असर पशुओं की क्षमता पर पड़ता है। यही वजह है कि उन्होंने इस इंडस्ट्री में एंट्री करने का मन बनाया और पशुओं के लिए संतुलित व पौष्टिक आहार तैयार करने की जानकारी जुटाने और रणनीति बनाने में जुट गए। इस दौरान विपिन ने कई पशु-चिकित्सकों से मुलाकात कर उनकी सलाह भी ली।
एक तिनके से शुरू करके पूरा का पूरा सपनों का शहर बना लेना इतना आसान नहीं होता लेकिन जुनून एक ऐसी चीज है जिसके आगे कुछ नामुमकिन भी नहीं होता। विपिन के लिए भी अपने संकल्पों को अंजाम तक पहुंचाने का सफर कभी इतना आसान नहीं रहा मगर इन सबके बीच उन्होंने कभी अपनी ख़्वाहिश धुंधली नहीं पड़ने दी।
विपिन बताते हैं कि पशु आहार बनाने का काम शुरू करने से पहले उन्हें कई तरह की चुनौतियों से दो-चार होना पड़ा। सबसे बड़ी समस्या पैसों की थी। आखिर नया काम शुरू करने के लिए जरूरी पैसा कहां से आए क्योंकि विपिन को पहले ही दूध के कारोबार में बड़ा नुकसान हो चुका था और पशु आहार बनाने के काम शुरू करने के लिए भी लाखों रूपए की जरूरत थी। हालांकि इस बार विपिन ने पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए काफी रिसर्च और जानकारी जुटाने के बाद ही नए काम का चयन किया था। लिहाजा उन्होंने कांफिडेंस के दम पर अपने दोस्तों, परिचितों और रिश्तेदारों को भरोसे में लिया और उनसे पैसे उधार लेकर पशु आहार बनाने के काम की छोटी सी शुरूआत की।
विपिन के मुताबिक पशु आहार बनाने के लिए सबसे अहम रॉ मटीरियल होता है। इसके लिए पहली प्राथमिकता वो किसानों को देते हैं और पशु आहार बनाने के लिए अनाज भी गांव के किसानों से ही खरीदते हैं। जबकि, खली स्थानीय तेल फैक्ट्रियों से खरीदते हैं।
पशु आहार बनाने के लिए कपास, मूंगफली, सोयाबीन, सरसों की खली, मक्का, जौ, गेहूं जैसे अनाजों के साथ-साथ दाल के छिलकों की जरूरत पड़ती है। क्योंकि इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होती है। सबको एक निश्चित अनुपात में मिलाने के बाद, इसमें कैल्सियम, फॉस्फोरस, आयोडीन, कॉपर, कोबाल्ट जैसे मिनरल्स ऐड किए जाते हैं। फिर इसे ग्राइंडर में मिक्स किया जाता है। पूरी प्रोसेसिंग के बाद पैकिंग की जाती है। ये आहार दुधारू पशुओं के लिए बेहद उपयोगी होता है।
इसलिए खास है ये आहार….विपिन बताते हैं कि आमतौर पर किसान घास-भूसा ही अपने पशुओं को खिला पाते हैं। ऐसे में उन्हें जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इसकी वजह से उनकी हेल्थ को नुकसान तो होता ही है, साथ ही दूध भी ज्यादा नहीं निकलता है। यह आहार कंप्लीट फूड है। इसमें सभी जरूरी एलिमेंट्स हैं, जो एक स्वस्थ पशु को मिलना चाहिए। इसे सुबह-शाम पशुओं को खिलाना चाहिए। इससे हेल्थ बेनिफिट के साथ दूध में भी बढ़ोतरी होती है।
विपिन आज खुद ही आत्मनिर्भर नहीं बल्कि आसपास के सभी किसानों को पशु पालन के साथ ही नवाचार, आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती कर कामयाबी की राह दिखाने औऱ उस पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। हर हफ्ते वो किसानों और पशु पालकों के लिए ट्रेनिंग कैंप भी लगाते हैं। उसमें आधुनिक खेती-किसानी से लेकर पशुओं के रखरखाव और उन्हें स्वस्थ रखने के टिप्स देते हैं। वो अपने पशु आहार की खूबियों के बारे में भी उन्हें समझाते हैं। विपिन का मानना है कि खेती के साथ-साथ किसानों को पशु पालन पर भी जोर देने की जरूरत है तभी वो आर्थिक रूप से सक्षम और सशक्त बनेंगें।
विपिन कहते हैं कि बदलती संभावनाएं, जल और ज़मीन के अभाव ने कृषि और किसानों को चुनौतियों में जकड़ लिया है। भारत जैसे देश में जहां जनसंख्या दिन-दुगुनी, रात-चौगुनी बढ़ रही है, वहां जरुरी है की हम खेती-बाड़ी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण और विज्ञान की मदद से काम करें। आज का समय उन्नत खेती का है। मेहनत से अधिक आज स्मार्ट खेती की जरूरत महसूस की जा रही है। नवीन तकनीकों और संसाधनों के सहारे कम लागत में भी उपज और आमदनी को बढ़ाया जा सकता है।
एक तरफ जहां आज किसान खेती से मुंह मोड़कर शहर की ओर पलायन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विपिन जैसे कुछ युवा किसान आधुनिक तरीके से खेती करके कृषि क्षेत्र में नई इबारत लिखने के साथ ही दूसरों के सामने नजीर पेश कर रहे हैं। विपिन का मानना है कि आजकल के अधिकतर युवा खेती छोड़ अच्छी नौकरी की तलाश में जुटे रहते हैं, शायद वो इस बात से अनजान हैं कि आज के समय में जितना मुनाफा खेती से कमाया जा सकता है, उतना किसी भी नौकरी से नहीं कमाया जा सकता है।
याद रखिए: जमाने में नजीर वही बनते हैं जिनमें परेशानियों के पहाड़ और चुनौतियों के तूफान से भिड़ने की हिम्मत होती है।
फिलहाल विपिन एक हाइटेक और आधुनिक तकनीकों से लेस डेयरी फॉ़र्म प्रशिक्षण केंद्र खोलने जा रहे हैं। जिसके जरिए आसपास के इलाके के किसानों को गाय की नई-नई नस्लों की जानकारी के साथ ही कृषि की नई संभावनाओं और नवाचार से जोड़कर उन्नत कृषि की तरफ प्रेरित किया जाएगा।
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