आज की चकाचौंध भरी जिंदगी में हमारी डरी-सहमी नजरें कई बार समाज के उन असल नायकों को तलाशकर आगे लाने का साहस ही नहीं जुटा पातीं, जो बड़ी खामोशी के साथ किसी फरिश्ते की तरह आते हैं और तूफानों से लड़ते हुए दूसरों को नया जीवन दे जाते हैं…आज हम आपको REAL LIFE के एक ऐसे ही नायक से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिनके किरदार और कारनामों के आगे सिनेमा के बड़े-बड़े कलाकार भी कमतर नजर आते हैं…सात समुंदर पार, अपने वतन से दूर रहने के बावजूद उनका दिल आज भी अपने मुल्क और अपनी मिट्टी के लिए धड़कता है…वो दूर परदेश में रहकर भी हर पल अपने देश और देशवासियों के लिए सोचते हैं… वो हैं तो हम और आप जैसे ही एक आम इंसान, लेकिन मुसीबत में दूसरों की मदद और परदेश में रहकर भी राष्ट्र सेवा का जुनून उन्हें खास बनाता है…वो सरहद पार मुसीबत में फंसे हर हिंदुस्तानी के असल हीरो हैं और एक सच्चे हिंदुस्तानी भी।
ये जिंदगी एक दौड़ है। कोई शोहरत के लिए दौड़ता है तो कोई दौलत के लिए, दौड़ते सब हैं लेकिन सिर्फ अपने-अपने मतलब के लिए। या फिर यूं कहें कि जिंदगी में हर कोई सिर्फ अपने बारे में सोंचता है और अपनी ही जरूरतों को पूरा करने में पूरी जिंदगी उलझा रहता है। ना तो कोई दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने के बारे में सोचता है और ना ही किसी की मदद के लिए कोई अपनी व्यस्त जिंदगी से थोड़ा समय निकालने की कोशिश करता है। हालांकि स्वार्थ से भरी इसी दुनिया में आज भी चंद लोग हैं जो देश या दूसरों की समस्या के बारे में सिर्फ सोंचते ही नहीं बल्कि इस दिशा में अपने जुनून से कुछ करके भी दिखाते हैं। दूसरों की मदद ही उनकी जिंदगी का मकसद होता है। वो दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझते हैं और अपनी पूरी जिंदगी इंसानियत के नाम कर देते हैं।
ऐसी ही एक शख्सियत का नाम है हरनेक सिंह रंधावा। यमुना नगर के छप्पर थाना से ताल्लुक रखने वाले 46 साल के हरनेक कनाडा के अलबर्टा के कैलगरी (CALGARY) शहर में रहते हैं और ट्रक चलाने का काम करते हैं। हरनेक हर भारतीय के लिए नेक हैं। जिस विदेशी जमीं पर लोगो का मकसद सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाना होता है, उसी जगह से हरनेक सिंह रंधावा भारतीयों की मदद के लिए मुहिम चलाते हैं। हरनेक अपनी हेल्प लाइन के जरिए कबूतरबाजी यानि विदेश में नौकरी के नाम पर एजेंटों के जालसाजी से युवाओं को बचाने के साथ ही विदेशों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी में मदद करते हैं। वो अब तक तीन सौ से ज्यादा युवाओं को कनाडा में रोजगार दिलाकर सेटल भी करा चुके हैं।
तेज रफ्तार से भागती आज की हाईटेक दुनिया में अगर कोई सबसे महंगी चीज है, तो वो है इंसानियत। जो मौजूदा वक्त में लगभग विलुप्त होने की कगार पर है। इंसान का इंसान से विश्वास उठ रहा है। ऐसे वक्त में हरनेक जैसे विरले लोग अपने इरादों और कारनामों से इंसानियत की बुझती उम्मीद को रोशन कर जाते हैं।
हरनेक सिंह रंधावा विदेश में रहकर भी राष्ट्र सेवा की अद्भुत और अनोखी अलख जगाने का काम पिछले कई बरसों से बखूबी कर रहे हैं। कभी किसी की जान बंचाते हैं, किसी को नौकरी दिलाते हैं तो कभी किसी असहाय और बेबस इंसान का मकान बनवाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जिनका कोई नहीं, उनके लिए मुसीबत में मसीहा हैं हरनेक।
पॉजिटिव इंडिया (www.pozitiveindia.com) से बातचीत के दौरान हरनेक कहते हैं कि हम किसी दूसरे देश से कोई दूसरी मदर टेरेसा के आने की उम्मीद नहीं कर सकते कि वो आएं और हमारे देश के लोगों की सेवा करें। हमें उन जैसा बनना होगा और जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की मदद करनी होगी।
हरनेक आज कनाडा के सरी शहर में सेटल हैं, लेकिन एक छोटी जगह से निकलकर परदेश में अपनी पहचान बनाने तक का उनका सफर कभी इतना आसान नहीं रहा। उनके संघर्ष, सफलता और मानवता की कहानी आज कईयों की जिंदगी बदलने का माद्दा रखती है।
हरनेक सिंह रंधावा अब तक लगभग एक हजार वीडियो बनाकर अपलोड कर चुके हैं। जिससे युवाओं को काफी मदद मिली और वो कबूतरबाजी के जाल से बचने में कामयाब रहे। एक लाख से अधिक फॉलोअर्स होने पर यू-ट्यूब ने हरनेक को सिल्वर प्ले बटन अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया।
हरनेक कहते हैं कि भारत में बेरोजगारी का आलम इस तरह है कि हर कोई नौकरी की तलाश में विदेश जाना चाहता है। इसके लिए वो एजेंट्स का सहारा लेते हैं। जहां कई बार लोग उनके द्वारा दी गई जानकारी और कागजात की जांच नहीं करते हैं और जाने-अनजाने में बड़ी मुसीबत मोल लेते हैं। पूरे भारत में मानव तस्करी करने वाले गिरोहों ने अपना जाल फैला रखा है और एजेंट्स के जरिए लोगों को अपने चंगुल में फंसा रहे हैं। हर साल सैकड़ों लोग एजेंट की बातों में आकर नौकरी के लिए विदेश चले जाते है, जहां उन्हें कई तरह की उत्पीड़न झेलना पड़ता है। यहां तक कई बार वो इन गिरोह के चंगुल से निकल भी नहीं पाते है।
रंधावा हेल्पलाइ के सदस्य विदेशों में फंसे वतनवासियों की हर संभव मदद करते हैं। हेल्पलाइन के सदस्यों की ओर से लोगों को वतन वापस भेजने के लिए अलग-अलग कैंपेन चलाए जाते हैं। इसके तहत दूतावास से भी मदद ली जाती है। हेल्पलाइन के जरिए ही विदेशों में लोगों के पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज भी तैयार कराए जाते हैं।
इंसानियत और हरनेक का गहरा नाता है। वतन से दूर मुश्किल वक्त में हर हिंदुस्तानी के लिए वो देवदूत बनकर सामने आते हैं और मुश्किल से मुश्किल हालात में भी उनकी दिल से मदद करते हैं। हरनेक का मानना है कि अगर आपके अंदर किसी के लिए कुछ करने की चाहत और जुनून हो तो, हर मुश्किल काम भी आसान हो जाता है।
हरनेक रंधावा सिर्फ विदेशों में फंसे भारतीयों और युवाओं की ही मदद नहीं कर रहे, बल्कि देश में रह रहे उन लोगों के लिए भी नेक काम कर रहे हैं जिनके पास सिर छिपाने के लिए अपनी छत नहीं है। हरनेक अब तक 6 परिवारों के लिए मकान बनवा चुके हैं। हरनेक रंधावा अपनी हेल्पलाइन के माध्यम से बेघर लोगों को गुरु कृपा के नाम से आवास बनवाकर देते हैं। हाल ही में उन्होंने पांवटा साहिब निवासी एक बुजुर्ग विधवा महिला को घर बनाकर दिया है। बुजुर्ग अपनी तीन बेटियों के साथ रहती हैं लेकिन उनका घर ऐसा नहीं था जहां वो महफूज रह सकें। इसलिए रंधावा हेल्पलाइन की ओर से घर तैयार कर इन्हें भेंट किया गया। इसके पहले हरनेक ने भंभौल में जरनैल सिंह का मकान तैयार कराया था। दरअसल बरसात के दिनों जरनैल सिंह का मकान गिर गया था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से परिवार खुले आसमान के नीचे रहने का मजबूर था। प्रशासनिक मदद नहीं मिली। तब रंधावा ने उनका मकान तैयार करने का फैसला लिया और साढ़े सात लाख रुपये की लागत से उन्हें नया घर बनाकर दिया।
हरनेक भारत के युवाओं को सही दिशा दिखाने की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। साथ ही खुदकुशी की राह पर चल चुके युवाओं को वापस खुशहाल जिंदगी की तरफ भी मोड़ रहे हैं। उन्होंने कई ऐसे लोगों को भी जीवनदान दिया है जो अपनी जिंदगी से तंग आकर मौत को गले लगाने की ठान चुके थे।
हरनेक ने इंसानियत का जो काम बरसों बरस पहले शुरू किया था, वो आज भी बादस्तूर जारी है। आज भी वो उसी शिद्दत और जुनून के साथ मुसीबत में फंसे हर हिंदुस्तानी की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाते हैं। हाल ही हरनेक रंधावा हेल्पलाइन ने पिछले पांच साल से सऊदी अरब की जेल में बंद मोगा जिले के धल्लेके गांव में रहने वाले संदीप सिंह को दस लाख का जुर्माना भरकर रिहा कराया।संदीप साल 2017 में हैवी ड्यूटी ट्रक ड्राइवर के वीजा पर सऊदी अरब गए थे। जहां उन्हें बिना लाइसेंस बनवाए जबरदस्ती ट्रक चलाने के लिए दे दिया गया। इस दौरान एक एक्सीडेंट हो गया जिसमें भारतीय मूल के कश्मीरी युवक को अपनी एक टांग गंवानी पड़ी। इस घटना के बाद संदीप को जेल भेजने के साथ ही 10 लाख रुपए की रकम बतौर जुर्माना तय की गई। उधर उसकी बेबस और लाचार मां अपने बेटे की फोटो लेकर पूरे गांव में भटकती, लोगों से उसके बेटे की रिहाई की भीख मांगती। संदीप की मां का दर्द भरा ये वीडियो जब हरमन ने देखा तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने फौरन ही संदीप को जेल से निकालने और वतन वापस भेजने के लिए एक मिशन शुरू किया। हरनेक ने पहले अपने मित्रों और हेल्पलाइन के सदस्यों के साथ मिलकर जुर्माने के तौर पर दी जाने वाली 10 लाख की राशि का इंतजाम किया और फिर ये रकम अपने हेल्प लाइन के सऊदी अरब के वकील याकूब खान के माध्यम से पीड़ित परिवार तक पहुंचाई। जुर्माना भरने के बाद संदीप को रिहा किया गया। इसके बाद कागजी कार्रवाई में करीब चार महीने और लग गए। तब कहीं जाकर हरनेक रंधावा हेल्पलाइन कनाडा की तरफ से हवाई यात्रा का टिकट देकर संदीप को सऊदी अरब से उसके घर, उसके वतन रवाना किया गया। इतना ही नहीं रंधावा हेल्पलाइन के सदस्यों ने डोनेशन की एक बड़ी राशि संदीप की मां के खाते में भी डाली।
पंजाब के बुखारी कलां की रहने वाली लवप्रीत कौर को दुबई में एक शेख की कैद से छुड़ाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और कैद से मुक्त कर भारतीय दूतावास आबूधाबी के हवाले किया। इतना ही नहीं हेल्पलाइन के मेंबर्स ने लवप्रीत को नए कपड़ों से लेकर रोजमर्रा के जरूरत का हर सामान लेकर दिया। लवप्रीत को पंजाब के एक एजेंट ने दुबई के एक मॉल में नौकरी दिलाने का झांसा देकर पंद्रह हजार दिरहम (2 लाख 98 हजार) में एक शेख को बेंच दिया था। लवप्रीत से कुछ दिन पहले ही पहले हरनेक ने रंअपनी हेल्पलाइन के दुबई विंग के माध्यम से रेखा बाई नाम की एक भारतीय महिला को एक अरबी के चंगुल से आजाद कराया था।
जो काम बड़ी-बड़ी सरकारें नहीं कर पाईं, वो काम कनाडा में रहते हुए हरनेक सिंह रंधावा कर रहे हैं। रंधावा ने अब तक अरब समेत विदेशों में फंसी सौ से ज्यादा युवतियों/महिलाओं को सुरक्षित घर पहुंचाने के साथ ही लगभग पचास मृतकों के शव को उनके वतन, उनके परिजनों तक पहुंचाया।
फरवरी 2020: पैसा कमाने की लालच में मस्कट/ओमान गई पंजाब के मोगा जिले की एक महिला को पाकिस्तानी फैमिली ने नौ महीने से बंधक बनाकर रखा था। महिला के साथ जानवरों से भी बद्तर व्यवहार किया जाता था। उससे 19-19 घंटे काम कराया जाता था और सोने के लिए सिर्फ चार घंटे दिए जाते थे। बीमारा होने पर उसे दवाई तक नहीं दी जाती थी। महिला ने किसी तरह अपने परिवार से संपर्क किया जिसके बाद परिवार वालों ने रंधावा हेल्पलाइन के सामने मदद की गुहार लगाई। जिसके बाद हेल्पलाइन के सदस्यों ने महिला को पाकिस्तानी फैमिली के चंगुल से आजाद कराया।
ये आंकड़े तो महज बानगी हैं, हरनेक ने परदेश में फंसे और वतन वापसी की उम्मीद छोड़ चुके न जाने कितनों को वापस सुरक्षित घर भेजने के साथ ही मुफलिसी की जिंदगी से बाहर निकालकर एक बेहतर जिंदगी का रास्ता दिखाया। इतना ही नहीं विदेशों में ट्रक हादसे के शिकार हुए कई भारतीय ड्राइवरों के परिवारों की आर्थिक मदद की। हरनेक आज हजारों लोगों के लिए किसी मसीहा और देश के करोड़ों लोगों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है।
देश और देशवासियों की तन-मन-धन से सेवा के इस जुनून को लेकर हरनेक सिंह कहते हैं कि, एक फौजी का बेटा हूं, रगों में देश भक्ति का लहू बहता है और अपने देश की मिट्टी से जुड़े रहने के लिए वतन वासियों की मदद करता हूं। वापस वतन पहुंचने वालों की मुस्कान ही मेरी पूंजी है। वाकई, हरनेक रहते तो कैनेडा में है लेकिन आज भी उनके दिल में सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान बसता है।
मानवता के इस नेक काम के लिए कई लोग/संस्थाएं हरनेक को सम्मानित करना चाहते हैं लेकिन हरनेक पर्दे के पीछे रहकर खामोशी के साथ अपना काम करने में विश्वास रखते हैं।
कभी-कभी हम सोचते है कि इतनी नफरत, इतनी बुराईयां, इतना झगड़ा, इतनी मारा-मारी के बीच भी ये दुनिया कैसे चल रही है? लेकिन आज भी कई लोगों के अंदर इंसानियत जिंदा है। यही इंसानियत इस दुनिया को चला रही है, जिसका जीता जागता उदाहरण हैं कैनेडा में रहने वाले हरनेक सिंह रंधावा। उनकी कहानी साबित करती है कि अगर दिल में जज्बा और जुनून हो तो सात समुंदर पार से भी मानवता की मदद की जा सकती है। इंसान को इंसान से जोड़ने की ओर मिसाल बन रही हरनेक और उनके साथियों की इस पहल को पाजिटिव इंडिया तहेदिल से सलाम करता है।
पॉजिटिव इंडिया की कोशिश हमेशा आपको हिंदुस्तान की उन गुमनाम हस्तियों से मिलाने की रही है, जिन्होंने अपने फितूर से बदलाव को एक नई दिशा दी हो और समाज के सामने संभावनाओं की नई राह खोली हो।हर रोज आपके आसपास सोशल मीडिया पर नकारात्मक खबरें और उत्तेजना फैलाने वाली प्रतिक्रियाओं के बीच हम आप तक समाज के ऐसे ही असल नायक/नायिकाओं की Positive, Inspiring और दिलचस्प कहानियां पहुंचाएंगे, जो बेफिजूल के शोर-शराबे के बीच आपको थोड़ा सुकून और जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा दे सके।