आखिरकार केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को चार महीने के इंतजार के बाद अपना नया बॉस मिल गया। 1985 के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल को सीबीआई का नया डायरेक्टर बनाया गया है। सुबोध कुमार जायसवाल महाराष्ट्र के DGP और ATS चीफ भी रह चुके हैं। सीबीआई के डायरेक्टर बनने से पहले वो केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) थे। दरअसल सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल पूरा होने के बाद फरवरी माह के पहले सप्ताह से ही ये पद खाली पड़ा था। फिलहाल अपर निदेशक प्रवीण सिन्हा अंतरिम प्रमुख के रूप में प्रमुख जांच एजेंसी का कार्यभार संभाल रहे थे।
दिलचस्प रहा CBI के नए बॉस बनने तक का सफर
आईपीएस सुबोध कुमार जायसवाल मूलत: झारखंड के रहने वाले हैं। उनका जन्म 22 सितंबर 1962 को झारखंड के धनबाद के सिदरी के छोटे से गांव चासनामला में हुआ। उनके पिता शिव शंकर जायसवाल सिंदरी क्षेत्र के बड़े कारोबारी थे। रोहड़ाबाध में उनकी एक दुकान और लॉज भी था। वो लंबे समय तक सिंदरी रोटरी क्लब के अध्यक्ष भी रहे थे। सुबोध जायसवाल तीन भाईयों में सबसे बड़े हैं। उनके एक भाई मनोज जायसवाल चेन्नई में प्रोफेसर हैं, जबकि तीसरे भाई प्रिंस यूरोप में रहते हैं। वहीं सुबोध के सीबीआई के नए बॉस बनने की खबर मिलते ही पूरे सिंदरी और चासनाला में खुशी की लहर दौड़ गई और हर किसी को अपने माटी के लाल पर गर्व है।
बचपन से था देश सेवा का शौक
सुबोध कुमार जायसवाल की स्कूलिंग धनवाद के डिगवाडीह के डिनोबली स्कूल से हुई। वो सीएमआरआई ब्रांच के छात्र रहे हैं। सुबोध के पास बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री है लेकिन वो बचपन से ही देश की सेवा करने का सपना देखते थे और बड़े होकर इसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते थे। लिहाजा अपनी इसी चाहत को पूरा करने के लिए उन्होंने महज 23 साल की उम्र में ही IPS अधिकारी बनकर अपनी असाधारण योग्यता का परिचय दे दिया था। 1986 में अमरावती में एएसपी के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी।
23 साल की छोटी सी उम्र में IPS का पद संभालने वाले सुबोध कुमार को 58 साल की उम्र में देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी की कमान सौंपी गई है। वो दो साल तक इस पद पर रहेंगे। साल 2022 में उनका रिटायरमेंट है।
NDA में 3 बार नाकाम, नहीं मानी हार और पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा की पास
36 साल के कैरियर में चार प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके आईपीएस सुबोध कुमार जायसवाल ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि ग्रेजुएशन और MBA करते हुए उन्होंने तीन बार नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) का एग्जाम दिया, लेकिन तीनों बार नाकामयाब रहे। हालांकि तीन बार की नाकामी के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने पहले प्रयास में ही UPSC का एग्जाम क्लियर कर खुद को साबित किया।
NSA अजीत डोभाल के माने जाते हैं करीबी
सीबीआई के नए कप्तान और आईपीएस सुबोध कुमार जायसवाल को एनएसए अजीत डोभाल का करीबी माना जाता है। जनवरी 2021 में उन्हें एनएसए अजीत डोभाल की सलाह पर ही महाराष्ट्र से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर लाया गया था। उस वक्त वह महाराष्ट्र के डीजीपी थे।
वैसे तो सुबोध जायसवाल की छवि एक बेदाग, तेजतर्रार और ईमानदार आईपीएस अधिकारी के रूप में रही है। वो ना तो किसी राजनेता की सुनते हैं ना ही किसी के दबाव में आते हैं। लकीर के फकीर की तरह जो कानून कहता है उसी मुताबिक चलते हैं। उनकी राजनेताओं से कभी नहीं बनी और यही वजह है कि महाराष्ट्र के डीजीपी पद पर ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सके। दरअसल महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार की ओर से उन पर अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए दबाव डाला जा रहा था। जिससे नाराज होकर उन्होंने केंद्रीय एजेंसी सीआईएसफ में अपना डेपुटेशन मांग लिया।
माने जाते हैं ‘जासूसों के मास्टर’
IPS सुबोध कुमार जायसवाल को राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर आतंकी जांच और खुफिया जानकारी जुटाने का अनुभव है। सुबोध कुमार के बारे में कहा जाता है कि उनका इंटेलिजेंस नेटवर्क काफी मजबूत है और इसी की वजह से वे खूफिया एजेंसी RAW में भी रह चुके हैं। रॉ के जांबाज अफसर रहे सुबोध कुमार को जासूसों का मास्टर भी कहा जाता है।
आईपीएस सुबोध कुमार जायसवाल को कई जिम्मेदारियों के साथ लगातार आगे बढ़ता देखा गया है। इस बीच उन्होंने अपने हर पद पर अपने काम के लिए काफी तारीफें भी बटोरी और काम को अहमियत देते हुए आगे बढ़ते ही चले गए। साल 2009 में उन्हें पुलिस सेवा में बेहतरीन काम (विशिष्ट सेवा) के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी नवाजा जा चुका है।