किसी ने क्या खूब कहा है, ‘हम सूरज न बन सकें तो अपने जीवन में दिया जरूर बनें’। ये तो नहीं पता जीवन का यथार्थ बताती ये खूबसूरत पंक्तियां किसकी कलम से लिखी गई हैं। लेकिन मैं आपको आज उस शख्स से जरूर रूबरू कराने जा रहा हूं, जिसने इन शब्दों को जीकर देखा है। आसान शब्दों में कहें तो आज के स्वार्थी दौर में भी इसे चरितार्थ करके दिखाया है।
कोरोना संकट जैसी त्रासदी शायद ही इससे पहले किसी ने देखी और सुनी हो। भारत ही नहीं पूरी दुनिया इस कदर खौफजदा है कि लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए खुद को घरों के अंदर समेट लिया है। मुसीबत की इस घड़ी में सरकारी व्यवस्था लोगों की जरूरतों को पूरा करने में नाकाफी साबित हो रही है। गांव से लेकर शहरों तक काम-धंधा बंद होने से गरीबों के सामने कोरोना से बड़ी भूख की समस्या आ खड़ी हुई है। लॉक डाउन का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो रोज कमाकर अपने परिवार का पेट पालते थे। लेकिन आपदा की इस विकट स्थिति में उनके लिए अब एक-एक दिन काटना भी भारी पड़ रहा है। ऐसे कठिन और विपरीत हालात में बुरहानपुर के एक युवा पटवारी ने अपने अपने शौक की तिलांजलि देकर ग्रामीण इलाकों में गुजर-बसर करने वाले सैकड़ों गरीब परिवारों की मदद का बीड़ा उठाया है। इसके लिए उन्होंने खुद के खून-पसीने की कमाई को भी मानवता की सेवा में खर्च करने से गुरेज नहीं किया।
हांथों में राशन लिए गरीब परिवारों की मदद के लिए कदम बढ़ाते ये हैं राहुल सिंह तोमर, जो बुरहानपुर के शाहपुर तहसील के बंभाड़ा गांव में पटवारी के पद पर पदस्थ हैं। राहुल जितनी इमानदारी से बतौर शासकीय सेवक अपने कर्तव्य की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उतनी ही शिद्दत से सामाजिक उत्तरदायित्व भी बखूबी निभा रहे हैं। कोरोना की पहली लहर के दौरान इस युवा शासकीय कर्मचारी ने जरूरतमंदों की मदद का जो बीड़ा उठाया था, वो अब भी बादस्तूर जारी है। राहुल ने खून-पसीने की कमाई से पाई-पाई बचाकर पचास हजार रुपए अपने शौक पूरा करने और विशेष मौकों या पार्टी पर खर्च करने के लिए जुटाए थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीब मजदूर परिवारों का दर्द, उनकी दयनीय स्थिति देखकर राहुल से रहा नहीं गया। राहुल ने अपनी खुशियों के लिए जुटाए गए पैसों से गरीब परिवारों की मदद कर उनके माथे पर उभरी चिंता की बड़ी-बड़ी लकीरों को मिटाने का फैसला लिया। और पचास रुपए का राशन खरीदकर 100 जरूरतमंदों के घर तक खुद पहुंचाया।
इस दौरान राहुल ने ग्रामीणों से वादा भी किया कि, ” जब तक मैं रहूंगा, इस विपरीत स्थिति में भी किसी को भूखा नहीं सोने दूंगा “
मानव सेवा को अपना धर्म मानने वाले राहुल हमेशा वंचित वर्ग के लोगों की अंधियारी जिंदगी में भी खुशियों का उजाला लाने की जद्दोजहद में जुटे रहते हैं। यही वजह की हर साल वो अपना जन्मदिन वंचित वर्ग के बच्चों के बीच जाकर मनाते हैं और उन्हें भी खुश रहने और उत्सव में शरीक होने का मौका देते हैं।
इतना ही नहीं पटवारी राहुल सिंह तोमर और शासकीय सेवा में तैनात उनके कई साहकर्मियों की एक पिछले कई सालों से सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जरूतमंद छात्रों को परीक्षाओं औऱ प्रतियोगी परिक्षाओं की निशुल्क तैयारी भी करवा रहे हैं। हाल में ही राहुल ने मुफ्त ऑनलाइन क्लास भी शुरू की है ताकि लॉकडाउन के दौरान प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इच्छुक छात्रों के समय का सदुपयोग हो सके।
पॉजिटिव इंडिया की कोशिश हमेशा आपको हिंदुस्तान की उन गुमनाम हस्तियों से मिलाने की रही है जिन्होंने अपने फितूर से बदलाव को एक नई दिशा दी हो और समाज के सामने संभावनाओं की नई राह खोली हो।
हर रोज आपके आसपास सोशल मीडिया पर नकारात्मक खबरें और उत्तेजना फैलाने वाली प्रतिक्रियाओं के बीच हम आप तक समाज के ऐसे ही असल नायक/नायिकाओं की Positive, Inspiring और दिलचस्प कहानियां पहुंचाएंगे, जो बेफिजूल के शोर-शराबे के बीच आपको थोड़ा सुकून और जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा दे सके।