कोरोना के संकट काल में जब लोग डर और दहशत के साय में जीने को मजबूर थे तब खाकी ने उनकी हिम्मत बढ़ाई। भूखों को खाना खिलाया। चौबीस घंटे सड़क-चौराहों पर मुस्तैद रही। अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को अस्पताल पहुंचाया। घरों में कैद लोगों को खाने-पीने का सामान मुहैया कराया। तो दूसरी तरफ बेवजह घरों से निकलने वालों को पुलिसिया अंदाज में सबक भी सिखाया। कहीं, लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट कर जनता को जागरूक किया तो कहीं लापरवाह लोगों को उठक-बैठक लगवाकर गलती का अहसास कराया। कोरोना काल में पुलिस के इस अवतार की हर कोई सराहना कर रहा है। ऐसे में इंदौर पुलिस ने एक बार फिर इंसानियत और मानवता की मिसाल पेश कर पूरे महकमे का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
‘मानवता के रखवाले इंदौर के वर्दीवाले’
इंदौर में खाकी ने एक बार फिर इंसानियत की नई इबारत लिखी है। फर्ज और इंसानियत के नायाब वर्दीवालों ने एक बार फिर पूरे प्रदेश का दिल जीत लिया है। दरअसल बीते दिनों सोशल मीडिया में इंदौर की एक तस्वीर जमकर वायरल हुई थी। जिसमें सड़क किनारे दो मासूम बच्चे टोकरी में फल बेंचते नजर आ रहे थे। फोटो जैसे सोशल मीडिया पर वायरल हुई वैसे ही उनकी मदद की पहल शुरू हो गई। आईजी के निर्देश पर पुलिस ने 24 घंटे के भीतर ही बच्चों को ढूंढ़ निकाला और उनके परिवार हर संभव मदद की।
इलाके की पहचान होने के बाद जब पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे तो पता चला कि टोकरी के पास बैठा बच्चा फल विक्रेता राधेश्याम पाटिल का बेटा आयुष है। राधेश्याम पाटिल सियागंज के एक सर्विस सेंटर में मैकेनिक का काम करता था। लॉकडाउन के चलते सर्विस सेंटर बंद हुआ तो वो पिछले कुछ दिनों से फल बेचकर अपने परिवार का पेट पालने की कोशिश कर रहा है। वहीं तस्वीर में नजर आ रही बच्ची का नाम हिमाक्षी है। वो चौथी कक्षा में पढ़ती है और आईपीएस मेन कैंपस राऊ में रहती है। उसके पिता नीरज विश्वकर्मा फोटोग्राफर हैं। हिमाक्षी अक्सर घर के पास रहने वाले राधेश्याम पाटिल के बेटे आयुष के साथ खेलती है। बीते मंगलवार को जब दिन के करीब 11 बजे राधेश्याम खाना खाने घर गया तो उसने फल की टोकरी बेटे आयुष के हवाले कर दी। इसी दौरान आयुष के साथ खेलने के लिए पास में ही रहने वाली हिमाक्षी आ गई और दोनों मिलकर फल बेचन लगे। तभी किसी ने दोनों की फोटो क्लिक कर और वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।
मासूम के लिए फरिश्ता बनी इंदौर पुलिस
आईजी हरिनारायणचारी मिश्र के निर्देश पर आरआई जयसिंह तोमर फल विक्रेता राधेश्याम के पास पहुंचे। इस दौरान राधेश्यमा ने बताया कि उसके पास ठेला नहीं है और ना ही इतने पैसे कि वो खरीद सके। लिहाजा वो सड़क किनारे फुटपाथ पर टोकरी में रखकर फल बेच रहा है। राधेश्याम की स्थिति देखकर आरआई जयसिंह का दिल पसीज गया और उन्होंने हाथ ठेला खरीदने के लिए फौरन अपनी जेब से दस हजार रुपए निकालकर उसे दे दिए। इतना ही नहीं आरआई ने तीन महीने का राशन देने के साथ ही राधेश्याम के पूरे फल 1200 रुपए में खरीदकर सिपाहियों में बंटवा दिए।
मासूम की ऐसे की मदद
आरआई जयसिंह तोमर ने राधेश्याम की मदद करने के बाद उसके बेटे आयुष को भी चॉकलेट और बिस्किट दिए। तभी आयुष ने कहा कि अंकल घर में डिस्क कनेक्शन कटा है और टीवी भी खराब है, जिससे घर पर टाइम पास नहीं होता। मासूम की गुहार सुनते ही आरआई जयसिंह ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को तत्काल टीवी सुधरवाने और डिस्क कनेक्शन करवाने के निर्देश दिए। जिसके बाद मासूम आयुष की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसका चेहरा खुशी से खिल उठा।
वाकई इंदौर पुलिस, वर्दी की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ अपना सामाजिक उत्तरदायित्व भी बखूबी निभा रही है। इन्होंने जो एक छोटी सी उम्मीद की किरण अपने आस-पास के लोगों में जगाई है, यकीनन उसकी रोशनी बहुत दूर तक फैलेगी और न सिर्फ लोगों के मन में पुलिस की छवि बदलने में सहायक होगी बल्कि खाकी का मान भी बढ़ाएगी। पॉजिटिव इंडिया उनके इस सराहनीय कदम को तहे दिल से सलाम करता है।