कोरोना महामारी के दौर में देश ने न सिर्फ सरकारी सिस्टम को मरते देखा है, बल्कि इंसानियत और संवेदनाओं को भी तड़पते और मरते देखा है। लेकिन कोरोना वायरस से रिश्ते नातों में बढ़ती दुश्वारियों के बीच आज हम आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जो मुसीबत की इस घड़ी में भी रिश्तों की मजबूती का जीता जागता सबूत है।
पंकज बताते हैं कि गोरखपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी की एक गैस एजेंसी में बात की, तो पता चला कि वहां सिलेंडर लेकर जाने पर उसे भर दिया जाएगा। यह बात उन्होंने हॉस्पिटल इंचार्ज को बताई। तब सवाल उठा कि ऑक्सीजन लेने कौन जाएगा? एंबुलेंस का ड्राइवर पहले ही भाग चुका था। लिहाजा पंकज ने खुद हॉस्पिटल में रखे आक्सीजन सिलेंडर एंबुलेंस में रखे और खुद एंबुलेंस चलाकर गोरखपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी के दफ्तर पहुंच गए।
पंकज के मुताबिक अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत होने की खबर सुनकर दूसरे मरीजों के परिजनों का भी हाल बुरा था। हर तरफ से सिर्फ रोने और चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी। ऐसे में जब वो महज आधे घंटे के भीतर ऑक्सीजन लेकर वापस अस्पताल पहुंचे तो मरीजों के मुरझाए चेहरे भी खिल उठे। फिलहाल पंकज और उनकी प्रेग्नेंट बहन जिंदगी की जंग जीतकर वापस अपने घर पहुंच चुके हैं।