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कोरोना महामारी के दौर में देश ने न सिर्फ सरकारी सिस्टम को मरते देखा है, बल्कि इंसानियत और संवेदनाओं को भी तड़पते और मरते देखा है। लेकिन कोरोना वायरस से रिश्ते नातों में बढ़ती दुश्वारियों के बीच आज हम आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जो मुसीबत की इस घड़ी में भी रिश्तों की मजबूती का जीता जागता सबूत है।Pankaj Shukla_Gorakhpur गोरखपुर के गोरखनाथ इलाके में रहने वाले पंकज शुक्ला और उनकी प्रेग्नेंट बहन कोरोना से संक्रमित होने के चलते राजेंद्र नगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। एक दिन अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने की कगार पर थी। अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि एक घंटे में ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी। कहीं से कोई इंतजाम न होता देख कोविड पॉजिटिव होने के बावजूद पंकज ने वो कर दिखाया, जिसे सुनने के बाद हर कोई उन्हें सल्यूट कर रहा है। पंकज बताते हैं कि 23 अप्रैल को अचानक उनकी बहन की तबियत बिगड़ने लगी। जिसके बाद उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया लेकिन इसी दौरान पता चला कि अस्पताल में सिर्फ एक घंटे की ही ऑक्सीजन बची है। इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन ने भी सभी मरीजों को साफ कह दिया कि जिसको कहीं और जाना है तो वो जा सकता है। पंकज कहते हैं कि ये सुनते ही मेरे होश उड़ गए। आनन-फानन में उन्होंने हास्पिटल इंचार्ज और स्टाफ से बात की। काफी देर तक उनके सामने गिड़गिड़ाते रहे। लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने यही जवाब दिया कि हमें कहीं से ऑक्सीजन नहीं मिल रही है, हम कुछ नहीं कर सकते।

खुद चलाई एंबुलेंस, बहन के साथ-साथ दूसरों की भी बचाई जान

पंकज बताते हैं कि गोरखपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी की एक गैस एजेंसी में बात की, तो पता चला कि वहां सिलेंडर लेकर जाने पर उसे भर दिया जाएगा। यह बात उन्होंने हॉस्पिटल इंचार्ज को बताई। तब सवाल उठा कि ऑक्सीजन लेने कौन जाएगा? एंबुलेंस का ड्राइवर पहले ही भाग चुका था। लिहाजा पंकज ने खुद हॉस्पिटल में रखे आक्सीजन सिलेंडर एंबुलेंस में रखे और खुद एंबुलेंस चलाकर गोरखपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी के दफ्तर पहुंच गए।

पंकज के मुताबिक अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत होने की खबर सुनकर दूसरे मरीजों के परिजनों का भी हाल बुरा था। हर तरफ से सिर्फ रोने और चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी। ऐसे में जब वो महज आधे घंटे के भीतर ऑक्सीजन लेकर वापस अस्पताल पहुंचे तो मरीजों के मुरझाए चेहरे भी खिल उठे। फिलहाल पंकज और उनकी प्रेग्नेंट बहन जिंदगी की जंग जीतकर वापस अपने घर पहुंच चुके हैं।

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