इंसानियत के आपातकाल और कोविड-19 के इस खौफनाक दौर में जहां हर तरफ डर, निराशा, बेदर्दी, बदइंतजामी, बेइमानी और ब्लैक मार्केटिंग की खबरों ने हर एक जिंदगी को सकते में डाल रखा है, ऐसे में छत्तीसगढ़ के रायपुर से सामने आई तस्वीर ने किसी एंटीबाडी की तरह ही दिल को थोड़ा सुकून और इंसानियत के जिंदा होने का सबूत दिया है।
कोरोना से उखड़ती सांसो को जोड़ने का काम कर रहे छत्तीसगढ़ के 20 साल के तीरथ
नाम: तीरथ कुमार साहू
उम्र: 20 साल
पता: रायपुर ग्रामीण (अमलीडीह)
काम: कोरोना काल में अपनी जान की बाजी लगा लोगों को दे रहे नई जिंदगी
कुछ लोग इस धरती पर किसी फरिश्ते से कम नहीं होते। उनके हाथ हमेशा दूसरों की मदद के लिए उठते हैं। वो दूसरों के दर्द का अपना दर्द समझते हैं और अपनी पूरी जिंदगी इंसानियत के नाम कर देते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहने वाले बीस साल के तीरथ साहू भी इन्हीं में से एक हैं। जंगल में आग की तरह फैलने वाली कोरोना महामारी के मुश्किल वक्त में जब संक्रमण के डर से खून के रिश्ते भी अपनों का साथ छोड़ रहे हैं, ऐसे मुश्किल हालातों में भी तीरथ अपनी सांसों की परवाह किए बिना इलाज और देखरेख के अभाव में दम तोड़ने को मजबूर असहाय और बेसहारा लोगों को तत्काल मदद मुहैया करा नई जिंदगी दे रहे हैं।
मदद के लिए तरसते बुजुर्ग दंपत्ति को गोद में उठाकर ले गए अस्पताल
दरअसल शहर के तात्यापारा इलाके में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति कोविड-19 की चपेट में आकर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आ रहा था। इलाज के अभाव में उनकी स्थिति लगातार बिगड़ते जा रही थी। साथियों के जरिए जैसे ही ये बात तीरथ को पता चली, वो अपनी गाड़ी लेकर बुजुर्ग दंपति के घर पहुंच गया।
ये कोई पहला मौका नहीं है जब तीरथ ने खुद की जिंदगी जोखिम में डालकर दूसरों की मदद की है। कोरोना के बढ़ते कहर के बीच वो बीते एक महीने से मानवता की सेवा में पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं। गंभीर मरीजों को कोविड सेंटर पहुंचाने के साथ ही तीरथ कई लाशों का अंतिम संस्कार भी करवा चुके हैं।
मौके पर पहुंच कर तीरथ ने देखा कि महिला की हालत इतनी खराब है कि वो ठीक से खड़ी तक नहीं हो पा रही हैं। लिहाजा तीरथ ने खुद पीपीई किट पहनकर बुजुर्ग महिला को गोद में उठाकर गाड़ी तक ले गया और अकेले ही दोनों को अस्पताल पहुंचाया। हालांकि दोनों की उम्र को देखते हुए एक निजी अस्पताल ने बुजुर्ग दंपति को भर्ती करने से मना कर दिया लेकिन तीरथ हौंसला नहीं हारा और फौरन दोनों को इनडोर स्टेडियम में बने कोविड सेंटर लेकर पहुंचा। काफी मशक्कत और तीरथ की मिन्नतों के बाद आखिरकार मेडिकल टीम ने बुजुर्ग दंपति को एडमिट कर इलाज शुरू किया, जिसके बाद तीरथ ने चैन की सांस ली।कभी-कभी हम सोचते हैं कि इतनी नफरत, इतनी बुराईयां, इतना झगड़ा, इतनी मारा-मारी के बीच भी ये दुनिया कैसे चल रही है? लेकिन आज भी कई लोगों के अंदर इंसानियत जिंदा है। यही इंसानियत इस दुनिया को चला रही है, जिसका जीता जागता उदाहरण है रायपुर के रहने वाले तीरथ साहू जो कोरोना महामारी के इस मुश्किल दौर में भी इंसानियत का फर्ज बखूबी निभा रहे है। इंसान को इंसान से जोड़ने की तीरथ की इस पहल को पाजिटिव इंडिया दिल से सलाम करता है और हम उम्मीद करता है कि इस युवा से प्रेरणा लेकर समाज के बाकी लोग भी कोविड-19 के इस बेहद बुरे वक्त में बेसहारा,असहाय और लाचार लोगों की मदद के लिए आगे आएंगे।
पॉजिटिव इंडिया की कोशिश हमेशा आपको हिंदुस्तान की उन गुमनाम हस्तियों से मिलाने की रही है जिन्होंने अपने नए तरीके से बदलाव को एक नई दिशा दी हो और समाज के सामने संभावनाओं की नई राह खोली हो।
हर रोज आपके आसपास सोशल मीडिया पर नकारात्मक खबरें और उत्तेजना फैलाने वाली प्रतिक्रियाओं के बीच हम आप तक समाज के ऐसे ही असल नायक/नायिकाओं की Positive, Inspiring और दिलचस्प कहानियां पहुंचाएंगे, जो बेफिजूल के शोर-शराबे के बीच आपको थोड़ा सुकून और जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा दे सकें।