कहते हैं शिक्षा सबसे शक्तिशाली और एक ऐसा हथियार है, जिसकी बदौलत आप अपने साथ-साथ दुनिया को भी बदल सकते हैं। मगर एक सच ये भी है कि शिक्षा के बाजारीकरण के इस दौर में आज देश का एक बड़ा तबका शिक्षा से ही दूर होते जा रहा है। हमारे आस-पास कई ऐसे बच्चे हैं जो पैसों के अभाव में बड़े सपने नहीं देख पाते और अशिक्षित होने के कारण ताउम्र जीते रहते हैं मुफलिसी की जिंदगी। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में भले ही हम और आप इन बच्चों और समाज के प्रति अपना कर्तव्य भूलते जा रहे हैं, लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रहने वाली ‘कपूर दादी’ वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षित कर भविष्य की सही राह दिखाने का फर्ज आज भी बखूबी निभा रही हैं। वो बीते कई सालों से बिल्कुल निस्वार्थ भाव से आर्थिक रूप से कमज़ोर और पिछड़े तबके से ताल्लुक रखने वाले बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रही हैं।
‘नौनिहालों के जीवन में भर रहीं शिक्षा संग खुशियों के रंग’
ना मशहूर होने की हसरत, ना ही किसी प्रकार का अपना स्वार्थ। स्वार्थ है तो सिर्फ समाज के लिए कुछ करने का, जुनून है तो सिर्फ तालीम के जरिए मासूमों का मुस्तकबिल बदल उनकी जिंदगी संवारने का। भोपाल की प्रवीण लता कपूर ने कुछ इसी सोच के साथ झुग्गियों-बस्तियों में रहने वाले कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है, वो भी बिना किसी एनजीओ और मदद के। वो ऐसे बच्चों की अभिभावक बनी हुई हैं जिनके माता-पिता अपनी औलादों को महंगी फीस देकर पढ़ाने में असमर्थ हैं।राजधानी की चकाचौंध के बीच एक जगह ऐसी भी है जहां व्यवस्थाओं के अभाव में भी नौनिहालों के सुनहरे भविष्य की नींव रखी जा रही है। महंगी होती शिक्षा के बीच प्रवीण लता कपूर अपने बलबूते गरीब परिवार के बच्चों का जीवन अपने घर पर ही शिक्षा से रोशन कर रही हैं। तो वहीं अब ये मासूम बच्चे भी उन्हें अपनी दादी मान चुके हैं और अपने परिवार वालों से ज्यादा दुलार और सम्मान अपनी दादी को दे रहे हैं।
दरअसल प्रवीण लता कपूर जी ने अपने मोहल्ले समेत आसपास के ऐसे गरीब बच्चों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी उठाई हुई है, जिनके परिजन शिक्षा का खर्च न उठा पाने के चलते अपने बच्चों को शिक्षित नहीं कर पा रहे थे। ऐसे बच्चों को शिक्षित करने के लिए वो पहले उनके परिजनों से मुलाकात करती हैं और उन्हें शिक्षित करने का भरोसा दिलाती हैं। इसके बाद वो बच्चों को अपने घर पर ही बेसिक एजुकेशन देकर आसपास के स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराती हैं।
‘यहां बच्चों की हर जरूरत होती है पूरी’
कपूर दादी बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने के साथ-साथ उनकी हर जरूरत का पूरा ख्याल भी रखती हैं। स्कूल ड्रेस, बुक्स, बैग, कपड़े और जूते से लेकर खाने तक का सारा इंतजाम करती हैं। इतना ही नहीं वो इन बच्चों का जन्मदिन भी दीप जलाकर स्वदेशी तरीके से बड़ी धूम-धाम के साथ मनाती हैं ताकि ये बच्चे भी खुशियां सहेज सकें।
बच्चों की कपूर दादी सिर्फ पढ़ाई पर ही नहीं, बल्कि बच्चों के समग्र विकास पर जोर देती हैं। संस्कार और शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य, स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति भी बच्चों को जागरुक करती हैं। बच्चे विज्ञान की दुनिया करीब से देख सकें और वैज्ञानिक दृष्टिकोण समझ सकें, इसके लिए प्रवीण लता कपूर जी समय-समय पर इन बच्चों को विज्ञान भवन लेकर जाती हैं। पॉजिटिव इंडिया (www.pozitiveindia.com) से बातचीत के दौरान प्रवीण लता कपूर जी कहती हैं कि आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आने वाले इन बच्चों को भी खुश रहने, दुनिया को देखने और घूमने फिरने का हक है। इसीलिए वो महीने में एक बार इन बच्चों को अपने खर्च पर पिकनिक के लिए बाहर लेकर जाती हैं।
प्रवीण लता कपूर जी कहती हैं कि उनके यहां आने वाले कई बच्चे काफी टैलेंटेंड हैं। संसाधनों का अभाव भी उनके हुनर को कम नहीं कर पाया। किसी के पास डांस का हुनर है तो किसी के पास गाने की कला। यही वजह है कि वो भविष्य में एजुकेशन के साथ-साथ उनकी प्रतिभा के हिसाब से उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग देना चाहती हैं ताकि वो अपनी प्रतिभा के दम पर कला के क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकें।
समाज-सेवा के लिए राजनीति से तोड़ा नाता
कभी प्रवीण लता कपूर जी की पहचान एक तेज-तर्रार और सशक्त महिला नेता के रूप में थी। वो साल 1999 से 2004 तक राजधानी भोपाल के वार्ड क्रमांक 59 (अब वार्ड क्रमांक 60 हो चुका है) की पार्षद रह चुकी हैं। भेल, पिपलानी और अवधपुरी इलाके में भारतीय जनता पार्टी की पैंठ जमाने के लिए उन्होंने भी काफी पसीना बहाया है। हालांकि प्रवीण लता कपूर जी ने छात्र जीवन में ही राजनीति के क्षेत्र में कदम रख दिया था। विदिशा में कॉलेज के दौरान उन्होंने छात्र नेता के तौर पर राजनीति का ककहरा सीखा था।
सियासत में एक ऊंचे मुकाम पर आने के बाद अचानक से राजनीति से रिश्ता तोड़ लेना आसान नहीं होता। लेकिन प्रवीण लता कपूर जी ने अपनी जिंदगी में इस मुश्किल फैसले को लेने का साहस जुटाया। राजनीति से दूरी के सवाल पर प्रवीण लता कपूर जी कहती हैं कि वो समाज के लिए कुछ करना चाहती थीं, दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाना चाहती थीं। समाज सेवा में ही जिंदगी का असल सुकून है, जरूरतमंदों की मदद ही इंसान होने की सार्थकता है, जिसे राजनीति में रहते हुए महसूस नहीं किया जा सकता।
समाज सेवा के सवाल पर प्रवीण लता कपूर जी कहती हैं कि सबसे पहले उन्होंने पिपलानी की चांदमारी बस्ती में जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। क्योंकि इस बस्ती में रहने वाले ज्यादातर बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करके अपना घर चलाते हैं। लिहाजा इस बस्ती में एजुकेशन को लेकर ना कोई जागरुकता थी और ना ही बच्चों को पढ़ने में कोई दिलचस्पी। ऐसे में मैने इन बच्चों को पढ़ा-लिखाकर इनका भविष्य संवारने का निश्चय किया ताकि ये आगे जाकर मजदूरी करने की बजाए समाज की मुख्य धारा से जुड़कर अपने पैरों पर खड़े हो सकें और अपने आने वाली पीढ़ी को भी अच्छी लाइफ दे सकें।
आसान नहीं रहा सफर
प्रवीण लता कपूर बतातीं हैं कि शुरू में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। गरीब-कचरा बीनने वाले बच्चों और उनके परिवार को शिक्षा के लिए तैयार करना आसान नहीं था। क्योंकि झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले ज्यादातर बच्चे ऐसे माहौल में पले-बढ़े होते हैं, जहां शिक्षा से ज्यादा तवज्जो कमाई को दी जाती है। इसलिए या तो वो खुद स्कूल नहीं जाना चाहते या परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति उन्हें ऐसा नहीं करने देती। लिहाजा बच्चों के साथ-साथ उनके परिजनों को भी यह समझाना बेहद मुश्किल हो जाता है कि शिक्षा ही उमका भाग्य और भविष्य बदल सकती है। कल तक जो बच्चे पढ़ाई की अहमियत से अनजान थे और अपना ज़्यादातर वक्त गलियों और चौराहों में खेलने में बर्बाद किया करते थे, आज वो ना सिर्फ पढ़ाई के महत्व को समझ रहे हैं बल्कि अपनी आंखों में कुछ बनने और कर गुजरने का सपना भी संजो रहे हैं। और ये सब मुमकिन हुआ है उनकी कपूर दादी की मेहनत और प्रयासों की बदौलत।
अपने सपनों को तो हर कोई पूरा करना चाहता है, लेकिन वो लोग बेहद खास होते हैं जो दूसरों के सपनों के लिए खुद को समर्पित कर देंते है। जरूरतमंद बच्चों की दादी बन चुकी लता कपूर जी इसी की एक मिसाल हैं। वो समाज की एक ऐसी शिल्पकार हैं, जो बिना स्वार्थ के देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों की एक ऐसी फौज तैयार कर रही हैं, जो आने वाले कल को आज से कई गुना बेहतर बना सके।
भीख मांगते मासूमों की जिंदगी बेहतर बनाने और गरीब बच्चों को पढ़ाने का ख्याल तो शायद सबके जेहन में आता है, लेकिन उस विचार को यथार्थ की जमीन पर लाने का साहस सिर्फ प्रवीण लता कपूर जी जैसे चंद लोग ही जुटा पाते हैं और दूसरों की जिंदगी को बेहतर बनाना ही अपनी जिंदगी का मकसद बना लेते हैं।
पॉजिटिव इंडिया की कोशिश हमेशा आपको हिंदुस्तान की उन गुमनाम हस्तियों से मिलाने की रही है जिन्होंने अपने नए तरीके से बदलाव को एक नई दिशा दी हो और समाज के सामने संभावनाओं की नई राह खोली हो।
हर रोज आपके आसपास सोशल मीडिया पर नकारात्मक खबरें और उत्तेजना फैलाने वाली प्रतिक्रियाओं के बीच हम आप तक समाज के ऐसे ही असल नायक/नायिकाओं की Positive, Inspiring और दिलचस्प कहानियां पहुंचाएंगे, जो बेफिजूल के शोर-शराबे के बीच आपको थोड़ा सुकून और जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा दे सकें।