कामयाबी की हर कहानी अमिट और अमर नहीं होती। कई कहानियों की प्रासंगिकता और सार्थकता समय के साथ खत्म हो जाती है। ऐसी कहानियां कम ही होती हैं जिनकी उम्र बेहद लंबी होती हैं। आज पॉजिटिव इंडिया (Pozitive India) आपको एक साधारण महिला के अदम्य साहस, अटूट संघर्ष और असाधारण सफलता की ऐसी ही अद्भुत मगर असल दास्तां सुनाने जा रहा है, जो आने वाली कई सदियों तक मुश्किल वक्त और विपरीत परिस्थितियों में हर महिला को आगे बढ़ने का हौंसला देगी।
साहस और संघर्ष का दूसरा नाम है ‘अत्री कर’
ऐसी ही एक शख्सियत का नाम है कोमल गणात्रा। जिंदगी के हर मोड़ पर आने वाली पहाड़ सी परेशानियों के बीच उनके आईएएस बनने का सफर काफी चुनौतीपूर्ण रहा। कोमल ने नियति को बदलते हुए अपना भाग्य खुद लिखा, खुद अपना भविष्य गढ़ा और हौंसलों के बूते नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाया।
गुजरात के अमरेली जिले के सांवरकुंडला से ताल्लुक रखने वाली कोमल का जन्म 1982 में हुआ। उनके दो भाई हैं। पिता टीचर जबकि मां गृहिणी हैं। उन्होंने ओपन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और गुजराती की लिटरेचर में टॉपर भी रह चुकी हैं। कोमल तीन भाषाओं में अलग-अलग यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं। उनके पिता की तमन्ना थी कि बेटी बड़ी होकर एक बड़ी अफसर बने और देश के लिए अच्छा काम करे। कोमल भी बचपन से ही पढ़ाई में काफी होनहार थी।
2012 में UPSC (सिविल सर्विस) परीक्षा पास करने वाली कोमल गणात्रा गुजरात से एक मात्र चयनित महिला उम्मीदवार थीं। लेकिन उनका ये सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा। एक असफल विवाहित जीवन और समाज से मिले तानों को नजरअंदाज कर कोमल ने खुद को मजबूत बनाने का फैसला लिया और साल 2012 में चौथे प्रयास में 591वीं रैंक हासिल कर आईआरएस अफसर बनकर खुद को साबित किया।
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26 साल की उम्र में कोमल की शादी न्यूजीलैंड में रहने वाले NRI (एनआरआई) लड़के शैलेष चंदूलाल से हुई। शैलेश और कोमल की शादी काफी चर्चा में रही थी। शैलेश से शादी को लेकर कोमल बहुत खुश भी थीं। वो न्यूजीलैंड में अपना घर बसाने का सपना देख रही थीं लेकिन शादी के महज 15 दिन बाद ही कोमल के सपने चकनाचूर हो गए और एक धोखे ने उन्हें अंदर से तोड़कर रख दिया।
शैलेष और उसका परिवार बेहद लालची था। उन्होंने शादी के चंद दिन बाद ही कोमल के परिवार पर दहेज की मांग को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया। यहां तक कि ससुराल में कोमल को भी तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाने लगा।
कोमल के साथ भी जिंदगी ने ऐसा ही एक खेल खेला। शादी के महज 15 दिन बाद ही उनका पति कुछ जरूरी काम बताकर न्यूजीलैंड वापस चला गया। कोमल ने पति से कई बार बात करने की कोशिश की। यहां तक कि अपने पति को वापस लाने के लिए वो दो देशों की सरकार तक से लड़ गईं। न्यूजीलैंड की सरकार को कई लेटर लिखे, सालों तक केस लड़तीं रहीं, कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाती रहीं लेकिन वो शख्स वापस ही नहीं आना चाहता था। उसने कभी पत्नी को एक फोन तक नहीं किया। वहीं कोमल के परिजनों ने भी दामाद से संपर्क करने का भरसक प्रयास किया, लेकिन न तो बात हो सकी और न ही वह दोबारा मिलने आया।
2008 में जब कोमल की शैलेष से शादी हुई, उस वक्त कोमल UPSC के साथ-साथ GPCS (स्टेट सिविल सर्विस) की तैयारी कर रहीं थी और गुजरात लोक सेवा आयोग का मेंस क्वालीफाई भी कर लिया था। लेकिन पति शैलेष ने उन्हें इंटरव्यू में शामिल होने की इजाजत नहीं दी। कोमल उस वक्त तक अपने पति के असली चेहरे से अनजान थीं और उसकी काफी इज्जत करती थीं। लिहाजा उन्होंने अपने पति के लिए अपने सपनों से समझौता कर लिया और इंडिया छोड़ न्यूजीलैंड में जाकर घर-परिवार बसाने के ख्वाब बुनने लगीं।
किसी अपने का साथ छूटने पर इंसान अंदर से पूरी तरह टूट जाता है और जिंदगी बिखर सी जाती है। ऐसा ही कुछ कोमल के साथ हुआ। 26 साल की उम्र में उन पर ‘छूटी हुई औरत’ का कलंक लग चुका था। ससुराल और समाज उन पर हंसने लगा। रिश्तेदार और पड़ोसी नस्तर की तरह चुभने वाले ताने मारने लगे। अब कोमल के लिए जिंदगी काफी मुश्किल हो चुकी थी। आर्थिक चुनौतियों के कारण उनमें कान्फिडेंस की कमी बढ़ती चली गई। वहीं जब लगातार प्रयास के बावजूद कोई भी हल नहीं निकला, तो कोमल ने हार मानकर वापस अपने मायके सावरकुंडला लौटने का निर्णय लिया।
अतीत के पन्नों को पलटते हुए कोमल कहती हैं कि वो मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था। जिससे उबरने और समझने में काफी वक्त लगा। इसके बाद मुझे महसूस हुआ कि किसी भी इंसान को जबरन अपनी जिंदगी में नहीं लाया जा सकता और न ही किसी इंसान के पीछे भागना आपकी जिंदगी का मकसद हो सकता है। कोमल आगे कहती हैं कि एक औरत की पहचान उसके पति से नहीं बल्कि खुद की कामयाबी से होती है। शादी किसी इंसान को संपूर्ण नहीं बनाती, बल्कि उसका सफल कॅरियर ही उसे आत्मसम्मान दिलाता है और सम्पूर्ण बनाता है। कोमल के मुताबिक हर व्यक्ति किसी खास उद्देश्य के लिए बना होता है, बस जरूरत है अपनी क्षमता को पहचानने की।
कोमल ने हालात से हारने की बजाय लड़ने की ठानी। रास्ता कठिन था। मुश्किलें बहुत थीं, मगर इरादे पक्के थे। हौसला मजबूत था, क्योंकि उसने अपने गम को ही ताकत बना लिया था। इस दुख और उदासी के बीच कोमल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। तमाम मुश्किलों के बीच कोमल को बार-बार अपने पापा की कही वो बातें याद आतीं, जिसमें वो कहते थे कि बड़ी होकर मेरी बेटी एक बड़ी अफसर बनेगी। पापा की इन्हीं बातों को याद कर कोमल को हौंसला मिला और उन्होंने फिर से यूपीएससी की तैयारी करने की ठान ली।
पति से मिले धोखे के बाद कोमल की जिंदगी संघर्ष के एक अंतहीन सफर पर निकल पड़ी। आत्सम्मान की इस लड़ाई में कोमल ने खुद को साबित करने के लिए घऱ-परिवार, सुख-सुविधाओं, सबसे दूर रहकर पांच सालों तक कठिन तपस्या की। जिसे याद करते हुए कोमल कहती हैं कि जिंदगी में मुश्किल दौर आपको आगे ले जाने के लिए ही आते हैं। आपका संघर्ष कभी आपको पीछे नहीं ले जाता।
काफी सोचने-समझने के बाद कोमल ने यूपीएससी (UPSC) की तैयारी के लिए अपने पिता के घर से 40 KM दूर एक गांव में जाकर रहने का फैसला लिया। अपने खर्चे की पूर्ति के लिए वो उसी गांव की एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने लगीं, जहां उन्हें महज 5 हजार रुपए बतौर पगार मिलते। वहीं आईएएस (IAS) की बेहद मुश्किल मानी जाने वाली परीक्षा क्वालिफाई करने के लिए कोमल ने न तो इंटरनेट की मदद ली और न ही किसी कोचिंग की।
पॉजिटिव इंडिया (Pozitive India) से बात करते हुए कोमल बताती हैं कि वो गांव इतना पिछड़ा था कि सेल्फ स्टडी के लिए न तो कोई अंग्रेजी अखबार आता था और न ही कोई मैग्जीन या करेंट अफेयर (प्रतियोगिता) की बुक। ऊपर से उस वक्त उनके पास इंटरनेट की सुविधा भी मौजूद नहीं थी। यहां तक कि ऑप्शनल सब्जेक्ट की तैयारी के लिए उन्हें हर रविवार 150 KM का सफर कर अहमदाबाद जाना पड़ता था।
कोमल को ये सफलता काफी संघर्षों के बाद नसीब हुई। कोमल के मुताबिक उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान स्कूल से एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली। मेंस परीक्षा के लिए उन्हें मुंबई जाना पड़ता। वो शनिवार को स्कूल में पढ़ाने के बाद रात भर ट्रेन में बैठकर गुजरात से मुंबई का सफर तय करतीं और फिर उसी दिन गांव के लिए वापस निकलकर सोमवार को स्कूल भी ज्वाइन कर लेतीं।
कोमल का मानना है कि हर वो आवाज, वो तंज और तानें जो आपको कुछ अच्छा करने से रोके, उसे आप अपनी जीत के बाद की तालियों की तरह सुनें और जिंदगी में आगे बढ़ते रहें।
फिलहाल कोमल रक्षा मंत्रालय में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की बड़ी जिम्मेदारी संभाल रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने दूसरी शादी कर अपना घर बसा लिया है और एक प्यारी बच्ची की मां भी हैं। जिन हालात में ज्यादातर महिलाएं टूटकर कमजोर पड़ जाती हैं, उस परिस्थिति में कोमल ने साहस औऱ संयम से काम लेकर सफलता का सफर तय किया ।
एक महिला के संघर्ष को, सकारात्मक सोच को, उसकी दृढ़ता को, उसके साहस को और कभी ना टूटने वाले मनोबल को पॉजिटिव इंडिया (Pozitive India) सलाम करता है।
कोमल के जीवन संघर्ष की कहानी हर महिला को जिंदगी में अपनी खुद की पहचान बनाने के लिए इंस्पायर करती है। उनकी कहानी जिंदगी से निराश उन लोगों के लिए घने अंधेरे में एक रोशनी की तरह है, जो एक वक्त या वाकये के बाद नए सिरे से जिंदगी जीने की उम्मीद छोड़ देते हैं और अपनी आगे की जिंदगी को बेहतर बनाने की बजाए बिना और बर्बाद करते रहते हैं।
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