कहते हैं महिलाएं जब ठान लेती हैं तो वो नामुमकिन को भी मुमकिन कर देती हैं। फिर चाहे वो घर की जिम्मेदारी उठाना हो या बाहर जाकर काम करना। आज हम आपको नए भारत में नारी शक्ति की मिसाल पेश करने वाली एक ऐसी ही शख्सियत से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने अपने पैशन और मजबूत इरादों के बूते जिंदगी में एक बड़ा मुकाम तो हासिल किया ही साथ ही अपने दौर की हर भारतीय महिला के लिए इंस्पिरेशन बनकर उभरीं।
श्रेष्ठा WIA बिजनेस वुमन ग्रुप की फाउंडर हैं जो भारत सरकार के साथ मिलकर वुमन एम्पपावरमेंट पर काम कर रहा है। इस ग्रुप का मकसद इंटरनेशनल मार्केट में बिजनेस वूमन का पार्टिसिपेशन बढ़ाना है। इसके जरिए बिजनेस वुमन के करियर को प्लेटफार्म देने के साथ ही ग्रुप की मीटिंग में इंटरनेशनल और डोमेस्टिक ट्रेड फेयर, गवर्नमेंट सप्लाई, फंड मैनेजमेंट, एक्सपोर्ट-इंपोर्ट, न्यू बिजनेस आइडिया, लाइसेंस, गारमेंट सब्सिडी जैसे विषयों से जुड़ी जरूरी जानकारी सेमिनार के जरिए दी जाती है। समय-समय पर महिलाओं के लिए कई तरह के ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित किए जाते हैं।
सोच को सलाम: एडवेंचरस टूर के जरिए महिलाओं का आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ाने की श्रेष्ठा की सोच वाकई सराहनीय है। बदलाव की बयार का माद्दा रखने वाली ऐसी सोच ही इस देश की असल शक्ति है और श्रेष्ठा जैसे चेंजमेकर्स ही नए भारत के असल शिल्पकार हैं।
ये ग्रुप हर सीजन में एक एडवेंचर ट्रिप प्लान करता है।वुमन एडवेंचरस ग्रुप ग्रुप का उद्देश्य महिलाओं में जागरूकता लाने के साथ ही छोटी-छोटी चुनौतीपूर्ण गतिविधियों के जरिए महिलाओं के सेल्फ कान्फिडेंस और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना है। ग्रुप द्वारा समय-समय पर एडवेंचर कार रैली,ऑफ रोडिंग, फॉरेस्ट डे ट्रैकिंग, फॉरेस्ट नाइट ऑफ, रीवर क्रासिंग, रोडिंग सेल्फ ड्राइव, मड रन और पैराग्लाइडिंग जैसी साहसिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
पॉजिटिव इंडिया से बात करते हुए श्रेष्ठा कहती हैं कि उबड़-खाबड़ पहाड़ी और चुनौतीभरे रास्तों,पानी और पत्थरों पर गाड़ी दौड़ाती हूं तो खुद का कांफिडेस लेवल भी बढ़ता है। ऑफ रोड ड्राइविंग पैशन बन गया है। अब बच्चों को भी साथ लेकर जाती हूं। शहर के शोर-शराबे से दूर कहीं जंगलों में कुदरत के करीब जाकर एक अलग से सुकून मिलता है।
बिजनेस बूमन और एडवेंचर लवर श्रेष्ठा गोयल को बचपन से ही चुनौतीभरे रास्तों पर ड्राइविंग का शौक था जो कॉलेज टाइम तक जुनून बन चुका था। श्रेष्ठा ट्रैकिंग और ऑफ रोड राइड करती थीं। 16 साल पहले ऐसी ही एक एक्टिविटी में उनकी मुलाकात शिरीष गोयल से हुई और दोनों ने अपने शौक के सफर को सात जन्मों के सफर में तब्दील करने का फैसला लिया और शादी कर ली। शिरीष को ऑफ रोडिंग और मोटर स्पोर्टस का शौक था। दोनों ने मिलकर अपने इस शौक को और परवान पर चढ़ाया।
एक बेहद कामयाब विजनेस वुमन श्रेष्ठा एडवेंचर लवर होने के साथ ही बैडमिंटन की नेशनल प्लेयर भी रह चुकी हैं। श्रेष्ठा ने साइकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया है। इसके अलावा वो आकाशवाणी इंदौर में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर लगातार प्रोग्राम्स भी करती रहती हैं।
श्रेष्ठा अतीत के पन्नों को पलटते हुए बताती हैं कि जब मैं मां बनने वाली थी तब किसी कॉम्प्लीकेशन की वजह से डॉक्टर ने मुझे कमप्लीट बेड रेस्ट की सलाह दी। इसी दौरान मैंने बिजनेस करने का फैसला लिया। मेरी फैमिली ने इस फैसले में साथ देकर मेरा कान्फिडेंस बढ़ाया। साथ ही मुझे सक्सेस का मंत्र बताते हुए कहा कि सफर में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, कितनी भी चुनौतियां सामने खड़ी हो, कभी कोशिश करना मत छोड़ना, रास्ते खुद-ब-खुद आसान हो जाएंगे।
एक बड़ी फार्मासिटिकल कंपनी की डायरेक्टर श्रेष्ठा गोयल पुरुषोंं के वर्चस्व वाले इस क्षेत्र में आज कामयाबी की नई-नई कहानियां लिख देश की लाखों महिलाओं को आगे बढ़ने का साहस दे रही हैं। हालांकि एक साधारण महिला से एक सफल कारोबारी बनने का उनका ये सफर कभी इतना आसान भी नहीं रहा। श्रेष्ठा अपने अनुभवों के आधार पर बताती हैं कि इस क्षेत्र में ज्यादातर पुरुष ही होते हैं और उनके साथ जब बिजनेस डील करनी होती है तो यह यकीन दिलाना कई बार मुश्किल हो जाता है कि मैं ही कंपनी की डायरेक्टर हूं और सारे फैसले मैं खुद ही लेती हूं।
जोखिम भरे कामों को अंजाम देने और रास्ते में आने वाली तमाम चुनौतियां को अपने साहस से पार करने का महिलाओं का यही जुनून अब समाज में जागरुकता लाने का भी काम कर रहा है। जिसकी बानगी बीते सालों में इंदौर में हुए आम चुनाव के दौरान देखने को मिली। जहां मतदान के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए वुमन एडवेंचर ग्रुप ने सेल्फ ड्राइव रैली का आयोजन किया। इस दौरान 90 से ज्यादा महिलाओं ने सेल्फ ड्राइव करके 180 किलोमीटर तक इंदौर के आसपास के गांव-गांव जाकर मतदान जागरुकता के लिए काम किया था।
जैसी सूरत, वैसी सीरत : श्रेष्ठा अपनी सूरत की तरह ही सीरत की भी धनी हैं। वो लंबे समय से समाज सेवा और दूसरों की मदद का काम भी बड़ी खामोशी से कर रही हैं।
किसी इंसान की असली पहचान मुश्किल वक्त में होती है। श्रेष्ठा ने भी कोरोना के इस संकट काल में इंसानियत का परिचय देते हुए मदद का हाथ आगे बढ़ाया। उनकी कंपनी ने अपनी जान जोखिम में डाल लोगों की हिफाजत में जुटे कोरोना वारियर्स पुलिसकर्मियों को मुफ्त में सेनेटाइजर मुहैया कराया। इसके साथ ही वो बीते दो महीनों से गरीब बस्तियों में गुजर-बसर करने वालों के लिए खाने के पैकेट का भी इंतजाम कर रही हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय काम करने के लिए वुमन एडवेंचर ग्रुप के सदस्यों को बीएसएफ ने बांग्लादेश बार्डर पर आमंत्रित किया। इस दौरान बीसीएफ की टीम ने ग्रुप की सदस्यों का उनके साहसी कार्य के लिए सम्मान किया।
एडवेंचरस वुमन ग्रुप की मेंबर्स इंडो बांग्लादेश बॉर्डर यात्रा के लिए इंदौर के देवी अहिल्या एयरपोर्ट पहुंची,तो एयरपोर्ट ऑथॉरिटी अयमा सनयाल ने खुद ग्रुप की जांबाज महिलाओं का स्वागत किया और जवानों के लिए संदेश भेजा।
इस दुनिया में ऐसी कम ही महिलाएं हैं जो शादी के बाद अपने पैशन को प्रोफेशन बनाने का साहस दिखाते हुए रिस्क उठाती हैं और फिर उस प्रोफेशन में ट्रेंड से हटकर कुछ नया कर जाती हैं। कुछ अलग करने का यही जुनून जब मुकाम पर पहुंचता है तो लंबे समय तक जमानेभर में उनकी मिसालें दी जाती हैं और पूरी दुनिया उनके जज्बे को सलाम करती है। श्रेष्ठा भी एक ऐसी ही शख्सियत हैं, जो इंदौर और मध्यप्रदेश का मान आज पूरे देश में बढ़ा रही हैं।
पॉजिटिव इंडिया की कोशिश हमेशा आपको हिंदुस्तान की उन गुमनाम हस्तियों से मिलाने की रही है जिन्होंने अपने नए तरीके से बदलाव को एक नई दिशा दी हो और समाज के सामने संभावनाओं की नई राह खोली हो। हर रोज आपके आसपास सोशल मीडिया पर नकारात्मक खबरें और उत्तेजना फैलाने वाली प्रतिक्रियाओं के बीच हमारी कोशिश रहेगी कि आप तक समाज के ऐसे ही असल नायक/नायिकाओं की Positive, Inspiring और दिलचस्प कहानियां पहुंचाई जा सकें, जो बेफिजूल के शोर-शराबे के बीच आपको थोड़ा सुकून और जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा दे सकें।
श्रेष्ठा के वुमन एडवेंचर ग्रुप से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
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