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ये जिंदगी एक दौड़ है। कोई शोहरत के लिए दौड़ता है तो कोई दौलत के लिए, दौड़ते सब हैं लेकिन सिर्फ अपने-अपने मतलब के लिए। या फिर यूं कहें कि जिंदगी में हर कोई सिर्फ अपने बारे में सोंचता है और अपनी ही जरूरतों को पूरा करने में पूरी जिंदगी उलझा रहता है। ना तो कोई दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने के बारे में सोचता है और ना ही किसी की मदद के लिए कोई अपनी व्यस्त जिंदगी से थोड़ा समय निकालने की कोशिश करता है। हालांकि स्वार्थ से भरी इसी दुनिया में आज भी चंद लोग हैं जो देश या दूसरों की समस्या के बारे में सिर्फ सोंचते ही नहीं बल्कि इस दिशा में अपने जुनून से कुछ करके भी दिखाते हैं। हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही युवा आईएएस की है जो फर्ज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के साथ ही देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं की जिंदगी को संवारने और उन्हें सही दिशा दिखाने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं।

आज युवाओं के पास करियर बनाने के कई सारे विकल्प मौजूद हैं लेकिन एक चीज में कोई बदलाव नहीं आया और वो है आईएएस/आईपीएस और सिविल सर्विस में जाने का ख्वाब। ये एक ऐसा ख्वाब है जो हमेशा से युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है। मगर हमारे देश में कई ऐसी प्रतिभाएं हैं जो संसाधनों के अभाव में अपना भविष्य नहीं सुधार पाते हैं। ऐसे में इन युवाओं की मदद करने का बीड़ा उठाया है एक युवा आफिसर  IDES (IAS-allied) गौरव कौशल ने, जो देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के भविष्य को संवारने और उन्हें सही दिशा दिखाने का काम कर रहे हैं।इंसानियत और समाज सेवा की संवेदना ऊंचे ओहदे पर बैठे अफसरों के दिल में भी कितने गहरे तक समाई होती है, इसकी जीती-जागती मिसाल हैं आईएएस गौरव कौशल। गौरव फिलहाल जालंधर में रक्षा संपदा अधिकारी (DEFENCE ESTATES OFFICER JALANDHAR) के पद पर तैनात हैं। जहां वो ड्यूटी के साथ-साथ अपनी व्यस्त जिंदगी से समय निकालकर उन स्टूडेंट्स और युवाओं को ऑनलाइन फ्री कोचिंग देते हैं जो सिविल सेवा और गवर्मेंट सेक्टर में जाने के इच्छुक हैं। गौरव करियर गाइडेंस, टाइम मैनेजमेंट के साथ ही इंस्ट्राग्राम और अपने यू ट्यूब चैनल के जरिए युवाओं और स्टूडेंट्स को टाइम मैनेजमेंट और फिटनेस के गुर सिखाने के अलावा जिंदगी में सही ट्रैक में आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट भी करते हैं।

बिना किसी शान-ओ-शौकत में पले, बिना कोचिंग लिए एक सामान्य परिवार से अपनी जीवन यात्रा शुरू कर आईएएस बन चुके पंचकूला के गौरव कौशल आज अगर अपने दौर के नौजवानों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं, तो उनकी कामयाबी की मिसाल सिर्फ उनके जीवन का उजाला नहीं, बल्कि उनके हिस्से के जीवन का सबक पूरी युवा पीढ़ी की भी राह को रोशन कर रहा है। इसीलिए वह आज के नौजवानों को ये सीख देना भी अपनी जिम्मेदारी मान रहे हैं कि ‘वे हिम्मत न हारें क्योंकि उनकी मंज़िल उनका इंतज़ार कर रही है।

आसान नहीं रहा सफर

बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाले गौरव कौशल ने पंचकुला में शुरूआती शिक्षा के बाद आईआईटी का एग्जाम क्रैक किया और आईआईटी दिल्ली में उन्हें सीट भी मिल गई लेकिन गौरव ने इसकी बजाए पंजाब इंजीनियरिंग कालेज से इलेक्ट्रानिकस से इंजीनियरिंग की। इस दौरान देश की खातिर कुछ कर गुजरने की तमन्ना लिए उन्होंने सिविल सर्विस की ओर रुख किया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ ही सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गए। गौरव ने बिना किसी कोचिंग के खुद की काबिलियित के दम पर साल 2012 का आईएएस एग्जाम क्रैक किया और दूसरी सूची में देशभर में 38वीं रैंक हासिल कर अपने कौशल से पूरे पंचकूला का नाम रोशन किया।

 पहले प्रयास में सफल ना होने के बाद बाकी लोगो की तरह गौरव को भी खुद पर खूब गुस्सा आया होगा, घरवालों के सपने टूटने से लेकर कई तरह की तमाम कुशंकाओं ने दिमाग में घर करना शुरू कर दिया होगा लेकिन गौरव सिर्फ एक परीक्षा में असफल हुए थे, जिंदगी में नहीं। लिहाजा इन परस्थितियों में लोग जितना साहस गलत कदम उठाने के लिए जुटाते हैं, सकारात्मक सोच रखने वाले गौरव ने उस साहस और गुस्से को अपनी कमजोरी के खिलाफ इस्तेमाल कर खुद को और मजबूत बनाने का फैसला लिया। वाकई ये आज के युवाओं के लिए बड़ी सीख है जो आज छोटी-छोटी बातों में हताश होकर जिंदगी का साथ छोड़ देते हैं।

जिंदगी में सफलता और असफलता दोनों मिलती हैं, लेकिन असफलता मिलने का मतलब जिंदगी में रुक जाना नहीं बल्कि एक सबक होता है। हारते तो वहीं है जो चुनौतियों से लड़ते नहीं और जीतते वहीं है जो कुछ कर गुजरने की ठान लेते हैं। गौरव कौशल के जीवन संघर्ष की कहानी भी कुछ यही कहती है। क्योंकि गौरव कौशल से आईडीईएस (IAS-allied) गौरव कौशल बनने तक का सफर कभी इतना आसान नहीं रहा। कई मुसीबते आईं, लगातार दो प्रयास में वो असफल हुए लेकिन गौरव ने हार नहीं मानी। अड़े रहे अपनी जिद्द पर और इंजीनियरिंग के साथ-साथ सिविल सर्विस के सपने को सच करने की तैयारी में जी-जान से जुटे रहे और आखिरकार उनकी लगन और मेहनत रंग लाई। सिविलि सर्विस का एग्जाम क्रैक करने के बाद गौरव कौशल की पहली पोस्टिंग हिमांचल प्रदेश के कसौली में बतौर सीईओ हुई। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ में बतौर डिफेंस इस्टेट आफिसर काम किया। फिलहाल आईएएस गौरव बतौर डिफेंस इस्टेट ऑफिसर जालंधर में पदस्थ हैं।

कामयाबी के बाद अपने लिए बेहतर ज़िंदगी तो सभी चुनते हैं लेकिन ऐसे लोग बहुत कम होते हैं जो खुद सुकून से रहने के बाद भी दूसरों की ज़िंदगी बेहतर बनाने की सोचते हैं। आईडीईएस (IAS-Allied) गौरव भी ऐसी ही शख्सियत हैं जो आधुनिक भारत के उन जोशीले युवाओं का नेतृत्व करते हैं जिनके लिए मुश्किलों का सामना करके विजय प्राप्त करना उनका जुनून होता है। गौरव कौशल उन लोगों का नेतृत्व करते हैं जो कर्म को भाग्य से ज्यादा अपने जीवन में तरज़ीह देते हैं।

गौरव, स्टूडेंट्स-युवाओं को ऑनलाइन और अपने यू-ट्यूब चैनल के जरिए ऐसे गुर सिखाते हैं जो उनके लिए सिविल सेवा की मंजिल छूने में उपयोगी साबित हो सकते हैं। गौरव सोशल मीडिया पर लाइव आकर या अपने वीडियो के जरिए देशभर के यूपीएससी प्रतिभागियों से रुबरु होते हैं और उन्हें ऑनलाइन ट्रेनिंग देते हैं। इस तरह के कई वीडियो गौरव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं। इनमें गौरव अलग-अलग विषयों पर बात करते हैं और स्टूडेंट्स के सवालों के जवाब देते हैं। गौरव कभी-कभार प्रतिभागियों से मिलते भी हैं, जब उन्हें वक्त मिलता है।

पॉजिटिव इंडिया से बातचीत के दौरान गौरव कहते हैं कि आमतौर पर पर यूपीएससी और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग लेने पर काफी खर्च होता है और हर कोई कोचिंग नहीं ले पाता है। लिहाजा सिविल सेवा में आने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वो फ्री ऑनलाइन गाइडेंस के जरिए अन्य प्रतिभागियों की मदद करेंगे। इसके लिए उन्होंने इंस्टाग्राम की मदद ली और यू-ट्यूब पर एक चैनल बनाया जिसके जरिए वो स्टूडेंट्स को भविष्य की राह दिखाते हैं।

युवाओं को शारीरिक रूप से चुस्त रखने के साथ ही दिमागी रूप से तंदरुस्त रहने की देते हैं ट्रेनिंगIAS Gaurav Kaushal

गौरव कौशल एक कुशल अफसर के साथ ही एक अनुभवी फिजिकल ट्रेनर और लाइफ कोच भी हैं। गौरव ने पढ़ाई के दौरान से ही जिम ज्वाइन कर अपनी सेहत पर खासा ध्यान देना शुरू कर दिया था। यहां तक कि आईएएस के एग्जाम वाले दिन भी गौरव ने जिम जाकर वर्क आउट करना नहीं छोड़ा। गौरव का मानना है कि इंसान को आलराउंडर होना चाहिए। दिमाग से तेज होने के साथ आपका शारीरिक रूप से फिट रहना भी बेहद जरूरी है, तभी आप अपने काम में 100 पर्सेंट दे पाएंगे। यही वजह है कि गौरव युवाओं को करियर गाइडेंस के साथ-साथ फिजिकल फिटनेस के प्रति अवेयर कर फिट रहने के तरीके भी सुझाते हैं।

गौरव आगे बताते हैं कि चंडीगढ़ में पोस्टिंग के दौरान कई बच्चे उनसे फिटनेस और करियर को लेकर कई सवाल पूछते और मार्गदर्शन मांगते। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि देश के बच्चों में टैलेंट की कोई कमि नहीं है, बस जरूरत है प्रतिभा को सही डायरेक्शन देने की। यही वो वक्त था जब गौरव ने भारत का भविष्य कहे जाने वाले नौजवानों को सही रास्ता दिखाने के लिए कुछ कर गुजरने की सोची और अपनी सोच को एक अभियान की शक्ल दी।आईडीईएस (IAS-allied) गौरव कौशल का मानना है कि हमारा भारत युवाओं का देश है और अगर यंगस्टर्स को सही समय में सही डायरेक्शन मिल जाए तो यकीनन हमारा देश जरूर बदल जाएगा। वहीं गौरव कहते हैं अगर एक बच्चा भी उनकी मदद से आईएएस बनता है तो ये उनके लिए जिंदगी की सबसे बड़ी अचीवमेंट होगी।

कुछ कर्मठ आईएएस जब लीक से हटकर काम करते हैं तो सुर्खियों में आते हैं और वो खुद उदाहरण पेश कर मातहतों को काम के लिए प्रेरित करते हैं। I.D.E.S. गौरव कौशल ने भी कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है।

कहते हैं जब कोई जब कोई आदमी तरक्की की राह पकड़ता है, तो अपनी जमीन और जड़ को भूल जाता है लेकिन गौरवजी ने इससे इतर संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे न सिर्फ लंबे समय तक याद रखा जाएगा बल्कि देश के दूसरे अफसर और बड़े व्यक्तियों को भी इससी प्रेरणा मिलेगी। वाकई जिस दिन देश के सभी अधिकारी उनके जैसे हो जाएंगे,उस दिन देश की तस्वीर ही कुछ और होगी। पाजिटिव इंडिया गौरवजी के जज्बे और मंसूबे को तहेदिल से सलाम करता है।

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