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‘स्टार्टअप’…ये नये भारत की बड़ी उम्मीद है जो देश के होनहार युवाओं के हौंसलों को उड़ने की आजादी दे रहा है। स्टार्टअप के इस दौर में बड़े क्या, बच्चे भी अपना नाम रोशन कर रहे हैं। अपने नए-नए इनोवेशन के जरिए समस्याओं का समाधान कर सबको चौंका रहे हैंं। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे जिस कच्ची उम्र में बच्चे अपने कैरियर के बारे में सोचना भी शुरू नहीं करते, उस उम्र में एक ग्रामीण बच्चा खुद एंड्राइ़ड डेवलपर (Android Developer) बन गांवों को टेक्नालॉजी से जोड़ने का बीड़ा उठा सकता है।

मिलिए कच्ची उम्र में बड़ा कमाल करने वाले अलवर के लाल से

कहते हैं कामयाबी उम्र की मोहताज नहीं होती या फिर यूं कह लीजिए कि कुछ नया करने की ख्वाहिशें उम्र से आजाद होती हैं। इस करिश्माई दुनिया में कई ऐसी शख़्सियतें भी हैं, जो उम्र के तमाम पैमानों से ऊपर उठकर ज़िंदगी जीती हैं और कम उम्र में ही कामयाबी की बड़ी इबारत लिख जाती हैं। राजस्थान के अलवर जिले के एक छोटे से गांव मौजपुर लक्ष्मणगढ़ के रहने वाले राहिल मोहम्मद ने भी छोटी उम्र में वो कर दिखाया है, जिसे बड़े-बड़े लोगों के लिए भी कर पाना इतना आसान नहीं है। राहिल ने एक छोटे से गांव में रहकर भी बिना किसी सुविधा, सहायता और ट्रेनिंग के छात्रों की मदद के लिए कई सारे एप डेवलप किए, वो भी सिर्फ 16 साल की उम्र में। उन्होंने खुद के दम पर अपना नाम देश के युवा डेवलपर्स में शुमार किया है।

राहिल के बारे में सबसे खास बात यह है कि उन्होंने बिना किसी की मदद लिए अपनी मेहनत और कोशिशों के जरिए ये मुकाम हासिल किया है। राहिल ने किसी भी बड़े इसे इंस्टिट्यूट से शिक्षा हासिल नहीं की है। लेकिन वह इस वक्त देश के सबसे युवा डेवलपर्स में शुमार हो चुके हैं।

राहिल एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं और ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े हैं। उनके पिता बसरुदीन खान सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और मां घर का कामकाज संभालती हैं। राहिल की दो बड़ी और दो छोटी बहनें भी हैं। राहिल की शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से ही हुई और अभी लो अलवर के पोद्दार कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रहे हैं।

पीएम मोदी के स्पीच से प्रेरित होकर बना डाली 12 मोबाइल एप्लीकेशन

राहिल अतीत के पन्नों को पलटते हुए बताते हैं कि एक दिन घर में टीवी चल रहा था और वो पास के कमरे में किताब पढ़ रहे थे। टीवी में दिखाया जा रहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी लंदन के वेमबले स्टेडियम में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के अलवर जिले के एक शिक्षक के बारे में जिक्र करते हैं, जिसने छात्रों की सहूलियत के लिए इंटरनेट से सीखकर एजुकेशन फील्ड में कई मोबाइल एप्लीकेशन बना दिए। पीएम उस शिक्षक की तारीफ करते हुए कहते हैं कि मेरा देश अलवर के इमरान में बसता है, जिसने गांव में रहकर भी ऐसी-ऐसी एप बनाईं जिसे दुनियाभर के लोग देख रहे हैं और उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। पीएम के इन शब्दों ने अलवर जिले के ही मौजपुर लक्ष्मणगढ़ गांव में रहने वाले एक 10वीं कक्षा के छात्र के दिलो-दिमाग में कुछ इस कदर असर किया कि, उसने भी टेक्नालॉजी के जरिए एजुकेशन को और आसान बनाने की ठान ली।

प्रधानमंत्री के एक स्पीच ने अलवर में रहने वाले छात्र राहिल की पूरी जिंदगी ही बदल डाली। आज राहिल दूसरे बच्चों के लिए मिसाल बन गए हैं। उन्होंने विद्यार्थियों की सुविधा लिए एक से बढ़कर एक ऐसी एप्लीकेशन बनाई जिससे उनका,उनके परिवार और गांव का नाम पूरे देश में रोशन हुआ।

राहिल बताते हैं कि टीवी पर प्रधानमंत्री की इस स्पीच सुनने के बाद उन्होने भी ठान लिया कि वो भी इमरान सर जैसा ही कुछ करके दिखाएंगे और देश का नाम रोशन करेंगे। हालांकि उस वक्त मैं 10वीं कक्षा में था और मोबाइल एप्लीकेशन क्या होते हैं, मुझे ये तक नहीं पता था। ना ही मेरे घर के आस-पास कोई इंस्टीट्यूट था जहां से मैं ये सब सीख सकता। राहिल आगे कहते हैं कि मुझे एक चीज जरूर अच्छे से पता थी कि गांव में कोई मुझे इसके बारे में नहीं बता सकता, तो मुझे खुद ही सीखना पड़ेगा। मेरे दिमाग में हमेशा एक ही चीज सवार थी कि कैसे भी हो मुझे एप बनानी है।

इंटरनेट की मदद से बने टेक्नालॉजी बॉय

जिस उम्र में बच्चे खेल-कूद और मौज-मस्ती में व्यस्त रहते हैं, उस उम्र में राहिल अपने जुनून को पूरा करने में पूरी शिद्दत से जुट गए। किसी तरह एक सिस्टम का जुगाड़ किया और फिर गूगल और यूट्यूब की मदद से HTML, CSS, JAWA, XML और  PHP जैसी लैंग्वेज सीखना शुरू की। राहिल ने सबसे पहला अपना ब्लॉग बनाया और कोडिंग के जरिए उसे खुद डिजाइन किया। उनकी वेबसाइट अच्छे से डिजाइन हो गई थी और अच्छी भी लग रही थी। इससे राहिल का आत्मविश्वास और मजबूत हो गया।

राहिल कहते हैं कि आप अपना रास्ता खुद चुनते हैं और आपको खुद ही आगे बढ़ना होता है। लोग आपको यह तो बता सकते हैं कि यह रास्ता है, पर इस पर आगे कैसे बढ़ना है। वह आपको खुद तय करना होता।

राहिल ने सबसे पहले एंड्रॉयड स्टूडियो पर काम करना शुरू किया और पहली एप हिंदी ग्रामर बनाई। इसके लिए उन्होंने इमरान सर की मदद ली। उन्होंने राहिल का हौंसला अफजाई करने के साथ ही यह भी बताया कि एप डेवलप करने के बाद कैसे प्ले स्टोर पर डालना है। 

हौसलों से हारी परेशानियां

पहली एप बनाते वक्त राहिल को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। राहिल ने इमरान की मदद से हिंदी ग्रामर एप बना तो ली लेकिन उसे प्ले स्टोर पर डालना एक बड़ी चुनौती थी। दरअसल गूगल प्ले स्टोर पर कोई भी एप लिस्ट (पब्लिश) कराने के लिए एक अकांउट बनाने के साथ ही कुछ फीस भी (लगभग 2000) देनी होती है। चूंकि राहिल के घरवालों को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि वो मोबाइल एप बनाने में जुटे हुए हैं लिहाजा राहिल ने घरवालों से पैसे मांगने की बजाए खुद ही कोई रास्ता तलाशने का फैसला लिया।

कहते हैं कुछ कर गुजरने की अगर चाह हो तो कोई भी रास्ता नहीं रोक सकता। फिर चाहे आप गरीब परिवार से हो या फिर छोटे से गांव में रहते हो। सीमित संसाधनों में भी हुनर अपनी पहचान बना ही लेता है। छोटी उम्र में बड़ा कारनामा करने वाले राहिल की कहानी भी कुछ यही कहती है।

छोटे गांव से ताल्लुक रखने के कारण राहिल को पढ़ाई की अच्छी सुविधा और बेहतर संसाधन नहीं मिले। लेकिन कुछ भी उसे अपने ख्वाबों तक पहुंचने से नहीं रोक सका। राहिल ने एक स्कूल की वेबसाइट बनाकर अपनी इस समस्या का हल निकाला और वेबसाइट बनाने से मिले दो हजार रुपयों से प्लेस्टोर पर अकाउंट बनाकर अपनी पहली एप पब्लिश कर छात्रों को समर्पित की। जिसे काफी अच्छा रिस्पांस भी मिला। इसके बाद राहिल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक 12 मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किए। राहिल ने कुछ समय पहले एक E-Learning एप भी बनाई है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों और स्टूडेंट्स के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है। राहिल एक ऐसी वेबसाइट और एप के प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे हैं जिसके जरिए गरीब बच्चों और जरूरतमंदों को आसानी से शिक्षा मिल सके, उन्हें ट्यूशन का सहारा ना लेना पड़े और गवर्मेंट जॉब की तैयारी में भी मदद मिल सके।Android app develop by rahil

राहिल ने सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि कृषि को भी डिजिटल इंडिया से जोड़ने का कारनामा कर दिखाया। उन्होंने उन्नत कृषि से किसानों को रूबरू कराने के लिए “किसान मित्र” नाम से एक एंड्राइड एप बनाया है। इस एप के अंदर पूरी कृषि को ही समाहित किया गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो इस एप के जरिए उन्होंने कृषि को डिजिटल कृषि में तब्दील कर दिया है।

राहिल का मानना है कि बदलाव के लिए किसी को तो आगे आना पड़ेगा। आखिरकार हम कब तक दूसरों के भरोसे बैठेंगे। मैनें एक शुरूआत की तो धीरे-धीरे कारवां खुद ब खुद जुड़ता चला गया। मेरे स्कूल और कॉलेज के शिक्षकों का भी मुझे काफी सहयोग मिला क्योंकि एजुकेशन क्षेत्र से संबंधित एप्लीकेशन में कंटेट की सबसे अहम भूमिका होती है और मेरे शिक्षकों और दोस्तों ने आसान भाषा में कंटेट बनाने में काफी मदद की।

राहिल ने अपने गांव मौजपुर के लिए भी एक एप बनाई है जिसमें गांव के बारे में सारी जानकारी, विकास कार्य और सरकारी योजनाओं से लेकर जरूरी सूचनाएं और सामग्री मौजूद हैं। इस एप को बनाने के पीछे के मकसद को लेकर राहिल कहते हैं मैं नहीं चाहता कि मेरा गांव डिजिटल भारत में पीछे रह जाए। राहिल द्वारा तैयार की गई सारी एप्लीकेशन स्टूडेंट्स के लिए बेहद उपयोगी हैं खासकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए। खास बात यह है कि इन सभी एप्स में कोई विज्ञापन नहीं आता है ताकि पढ़ने में कोई दिक्कत ना हो। इतना ही नहीं राहिल ने गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या को देखते हुए सारे एप इस तरह तैयार किए हैं कि इन्हें ऑफलाइन मोड पर भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।

समाज को एक नई सोच देने वाले राहिल का मानना है कि अगर हम कुछ करने की ठान लें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। राहिल आगे कहते हैं कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल ही भारत को आगे ले जा सकता है। फिलहाल राहिल एक ऐसी वेबसाइट पर काम कर रहे है, जहां बच्चे फ्री में सरकारी नौकरी की तैयारी कर सके और खुद ही अपना टेस्ट ले कर अनुमान लगा सकें कि अभी उन्हें कितनी और तैयारी करने की ज़रूरत है। 

जिंदगी में हर व्यक्ति के पास कुछ न कुछ टैलेंट जरूर होता है। कुछ कर गुजरने का जज्बा ही इंसान को कतार से अलग खड़ा करता है। वो जुनून ही है, जो इंसान को अलग पहचान देता है। अलवर जिले के रहने वाले राहिल ने भी अपने जुनून को फितूर बनाया और कम उम्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

अपनी आधुनिक सोच से समाज को नई दिशा देने वाले राहिल को कम उम्र में बड़ी उपलब्धियों के लिए कई सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। राजस्थान के इस उभरते हीरो को गूगल भी अपने कांफ्रेंस में बुला चुका है। 17 जून 2019 को दिल्ली में आयोजित गूगल वेबमास्टर कॉन्फ्रेंस में राहिल को बुलाया गया जहां राहिल ने अपने अनुभव साझा किए। इसके अलावा राहिल को इंडिया यंग अचीवर्स अवार्ड 2019, डायमंड अचीवर्स अवार्ड 2019 और इगनाइट टॉक जयपुर द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।

वाकई 16 साल की उम्र में इतनी बड़ी सोच रखने वाले राहिल के इरादे बुलंद हैं। जो साबित करते हैं कि युवाओं के देश भारत में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो बस उसे सही दिशा देने की। हम दुआ करते हैं कि राहिल के इन बुलंद इरादों को ज़ल्द ही ऊंचाइयों का शिखर मिल जाए।

हर रोज आपके आसपास और सोशल मीडिया पर नकारात्मक खबरें और उत्तेजना फैलाने वाली प्रतिक्रियाओं के बीच Pozitive India की कोशिश रहेगी कि आप तक समाज के ऐसे ही असल नायकों की Positive, Inspiring और दिलचस्प कहानियां पहुंचाई जा सकें, जो बेफिजूल के शोर-शराबे के बीच आपको थोड़ा सुकून और जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा दे सकें।

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1 Comments

  1. KHUSHI SHARMA November 6, 2019

    Really fabulous work done by Rahil Mohammad.
    Proud of him very much.
    God bless you.
    Stay blessed and keep it up always.

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