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‘इंसानियत की नायिका’

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इस दुनिया में जिंदगी के मायने सभी के लिए अलग-अलग होते हैं। कोई जिंदगी में शोहरत पाना चाहता है, किसी को रुतबा अच्छा लगता है तो कोई दौलत जुटाने में पूरी जिंदगी बिता देता है। कमोबेश यहां हर कोई सिर्फ अपने लिए जीता है, अपनी ही जिंदगी में व्यस्त रहता है। लेकिन आज की इसी स्वार्थी दुनिया में चंद ऐसे भी लोग हैं जो दूसरों के दर्द को अपना समझते हैं, परायों को अपना बनाते हैं और अपने इरादों और कारनामों से इंसानियत की बुझती उम्मीद को रोशन कर मिसाल बन जाते हैं, हम सबके लिए।

एक कलेक्टर ऐसी भी: जुबां नरम, मिजाज गरम, दिल में रहम

वैसे तो जब किसी कलेक्टर का जिक्र होता है तो दिमाग में एक कड़क और रौबदार अफसर की छवि उभर आती है, लालबत्ती वाली गाड़ी, सरकारी तामझाम और जी हुजूरी करते मुलाजिम। लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जिनका अलहद अंदाज जनता का दिल जीत लेता है, वो अपनी जिम्मेदारियों से ज्यादा इंसानियत को तवज्जो देते हैं और काम के प्रति भी बखूबी अपना दायित्व निभाते हैं। उनके लिए किसी पद के कोई मायने नहीं होते और सिस्टम में मौजूद विसंगतियों से विचलित होने की बजाए हालात और समाज को बदलने के लिए वो जी-जान से जुट जाते हैं। ऐसी ही एक दमदार शख्सियत हैं 2012 बैच की आईएएस अफसर और राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता, जिन्होंने अपने नेक मंसबूों, दरियादिली और कार्यशैली से ना सिर्फ नौकरशाही को लेकर लोगों की सोच बदली, बल्कि सिस्टम और प्रशासन के प्रति जनता में विश्वास भी पैदा किया। 

कलेक्टर की नेक पहल, आपको भी कर देगी कायल

राजगढ़ जिले में कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिए कलेक्टर निधि निवेदिता ने अभिनव पहल करते हुए ‘सेम फ्री अभियान’ का आगाज किया। उन्होंने खुद कुपोषण से पीड़ित धनवास कला गांव में रहने वाली दो साल की मासूम प्रिया को गोद लेकर उसकी देखरेख और इलाज का जिम्मा उठाया है। इतना ही नहीं वो खुद बच्ची के घर पहुंची और उसे अपनी कार में बिठाकर चेकअप के लिए जिला अस्पताल लेकर आईं। इस दौरान उन्होंने एक मां की तरह ही मासूम का खूब ख्याल रखा।कलेक्टर निधि निवेदिता ने कुपोषण की जद में आए मासूमों को नई जिंदगी देने के मकसद से इनोवेटिव कैंपेन के जरिए एक मार्मिक पहल की, तो देखते ही देखते कारवां जुड़ता चला गया और मेहनत रंग लाने लगी। कुपोषण के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ने के लिए 17 सितंबर को सेम फ्री राजगढ़ अभियान की नींव रखी गई थी, ताकि गंभीर कुपोषित बच्चों को गोद लेकर पोषित होने तक उनकी विशेष देखभाल की जा सके। 

राजगढ़ प्रशासनिक महकमे की कुशल कप्तान और महिलाओं की आवाज को बुलंद करने वाली कलेक्टर निधि निवेदिता अपनी संवेदनशीलता, कर्मठता और काम करने के अलग अंदाज को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। चाहे खून देकर किसी को नई जिंदगी देने की बात हो, नियमों का दुरुपयोग करने वालों को ऑन द स्पॉट सबक सिखाने की बात हो, स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाने की बात हो या फिर जिले में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित बनाने की बात हो।

सेम फ्री राजगढ़ अभिनव अभियान के तहत जिले में 375 अति कुपोषित बच्चों को प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी, पुलिस, जज और एनजीओ द्वारा गोद लिया जा रहा है। इस पहल के माध्यम से इन बच्चों को 26 जनवरी तक अति कुपोषण की श्रेणी से मुक्त कराने का प्रयास किया जा रहा है। अभी तक 352 बच्चों को गोद लिया जा चुका है।

जब फरिश्ता बन बचाई युवती की जान

कुछ लोग इस धरती पर किसी फरिश्ते से कम नहीं होते। उनके हाथ हमेशा दूसरों की मदद के लिए उठते हैं। राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता भी ऐसी ही शख्सियत हैं जो हर वक्त जरूरतमंदों की मदद के लिए तैयार रहती हैं। उनकी संवेदनशीलता के लोग उस वक्त कायल हो गए, जब उन्होंने व्हाट्सएप पर महज एक मैसेज पढ़कर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही लड़की को अपना खून देने अस्पताल पहुंच गई। दरअसल खजुरिया गावं की रहने वाली 30 साल की कविता दांगी काफी गंभीर थी। उसका हीमोग्लोबिन काफी कम हो गया था लिहाजा उसे बी पॉजिटिव खून की सख्त जरूरत थी। लेकिन अस्पताल के ब्लड बैंक में खून था ही नहीं, ऊपर से कविता के परिजनों और जान पहचान में भी किसी का ब्लड ग्रुप उससे मैच नहीं ​हो रहा था। ऐसे में वाट्सएप के कई ग्रुप में कविता की मदद के लिए मैसेज भेजे गए, जिसे पढ़ते ही सेकंड भर की भी देरी किए बिना कलेक्टर निधि निवेदिता अस्पताल पहुंच गई और अपना ब्लड देकर युवती को नई जिंदगी दी।

बेसहारा बच्चों का थामा हाथ

आज की हाईटेक होती जिंदगी में अगर कोई चीज सबसे महंगी है, तो वो है इंसानियत। जो मौजूदा वक्त में लगभग विलुप्त होने की कगार पर है। इंसान का इंसान से भरोसा उठ रहा है। मगर हमारी और आपकी इसी मायाबी दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं, दूसरों की मदद ही जिनकी जिंदगी का मकसद होता है। वो दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझते हैं और अपनी पूरी जिंदगी मानवता के नाम कर देते हैं। इसकी बानगी देखने को मिली जब जनसुनवाई के दौरान तीन मासूम बच्चे मदद की गुहार लेकर कलेक्टर महोदया के पास पहुंचे। खिलचीपुर के देहरा गांव से आए तीनों मासूमों ने आवेदन देकर बताया कि उनके पिता का स्वर्गवास हो गया है, मां बीमार हैं और रहने के लिए घर तक नहीं है, इतना सुनते ही कलेक्टर निधि निवेदिता का दिल पसीज गया और भीतर का मातृत्व जाग उठा। उन्होंने न सिर्फ तीनों बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और रहने की व्यवस्था की बल्कि उनकी बीमार मां का इलाज भी कराया।

आधी आबादी को बुलंदी पर पहुंचाने का उठाया बीड़ा

राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता ने जिले में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित बनाने के लिए कई तरह के नए प्रयोग भी किए। उन्होंने  छात्राओं को अपने जीवन में आगे बढ़ने, कुछ कर गुजरने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए “बादल पर पांव है” अभियान की शुरुआत की। इस अभियान के जरिए जिले की ऐसी 3,000 छात्राओं को जिंदगी में आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, जो किसी कारण से पढ़ाई नहीं कर पाईं। ओपन स्कूल के माध्यम से परीक्षा दिलाकर उनके भविष्य को संवारा जाएगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए जिले के जिले के आला अफसरों को अपनी रुचि के अनुसार विषयों को 10वीं और 12वीं की छात्राओं को सप्ताह में एक दिन पढ़ाने के निर्देश भी दिए गए। इतना ही नहीं शिक्षा के स्तर को सुधारने की कवायद में जुटी कलेक्टर निधि खुद भी सरकारी स्कूल पहुंचकर वहां की छात्राओं को अंग्रेजी ग्रामर की शिक्षा दी।

जितनी सहज, उतनी सख्त

लेडी सिंघम के नाम से मशहूर राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता आम लोगों के लिए जितनी सहज और संवेदनशील हैं, गलत करने वालों के लिए उतनी सख्त भी। 2016 में सिंगरौली में जिला पंचायत सीईओ रहते हुए निधि निवेदिता ने रेत माफियाओं के खिलाफ सख्ती बरतने के साथ ही शौचालय निर्माण के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़ा को बेनकाब किया था। कलेक्टर ने फोटो शाप के जरिए शौचालय निर्माण की फर्जी फोटो दिखाने वाले पंचायत सचिव को सरेआम सजा दी और ग्रामीणों के सामने ही उठक-बैठक लगवाई।पंचायत सचिव को फटकार लगाते हुए कलेक्टर निधि निवेदिता

सियासत का शिकार हुई गौ माता की ली सुध

हिंदुस्तान में गाय के नाम पर वोट तो खूब बटोरे गए, जमकर सियासत भी हुई लेकिन हाइवे और सड़कों पर हादसे का शिकार होते इन बेजुबानों की सुध लेने की किसी को फुरसत नहीं मिली। ऐसे में राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता ने सड़कों पर घूम रहे बेसहारा मवेशियों और उनके चलते हो रही दुर्घटनाओं के मद्देनजर एक साहसिक और सख्त फैसला लिया। जिसके तहत गाय और अन्य पशुओं को अगर कोई खुला छोड़ता है और उनसे ट्रैफिक प्रभावित होता है, तो पशु के मालिक के खिलाफ धारा 144 के तहत 6 महीने की सजा का प्रावधान किया गया।

कहते हैं जब कोई जब कोई आदमी तरक्की की राह पकड़ता है, तो अपनी जमीन और जड़ को भूल जाता है लेकिन राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता ने इससे इतर संवेदनशीलता और दरियादिली की ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे न सिर्फ लंबे समय तक याद रखा जाएगा बल्कि देश के दूसरे अफसर और बड़े व्यक्तियों को भी इससी प्रेरणा मिलेगी। वहीं उनके व्यक्तित्व ने साबित किया है कि कोई इंसान बड़ा या छोटा नहीं होता उसके कर्म उसका कद ऊंचा करते हैं। वाकई जिस दिन देश के सभी अधिकारी निधिजी जैसे हो जाएंगे,उस दिन देश की तस्वीर ही कुछ और होगी। पाजिटिव इंडिया उनके जज्बे और मंसूबे को तहेदिल से सलाम करता है।

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