जिंदगी की वो शाम जो ढलती जा रही है, वो पड़ाव जब जब हाथ-पैर खुद का सहारा नहीं बन पाते और जिंदगी खुद एक बोझ बन जाती है, तब जरूरत होती है किसी के सहारे की, वो सहारा जो इन हांथों को थामकर उम्रदराज हो चली इस जिंदगी को किनारे लगा दे ताकि बाकी का समय सुकून में कट सके। लेकिन मैं जिनकी कहानी आज आपको बताने जा रहा हूं वो उम्र के इस पड़ाव में भी अपनी जिंदगी को एक मिशन के तौर पर जी रहे हैं। आत्म सम्मान और खुद्दारी की लड़ाई बखूबी लड़ रहे हैं। नए जोश और जुनून से दूसरों को भी समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा दे रहे हैैं। आंखों की रोशनी भले ही धीमी हो गई है लेकिन हौंसलों की धार से वो आज भी अपनी राह खुद बना रहे हैं।
कहते हैं मजबूत इरादों पर उम्र की दीमक नहीं लगती। अगर ठान लें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है, फिर उम्र तो महज एक आंकड़ा भर है और इस बात को सच साबित किया है मेरठ के क्लब-60 के जुनूनी सदस्यों ने। जिस उम्र में लोग रिटायरमेंट का मजा ले रहे होते हैं, परिवार के साथ धार्मिक यात्राओं पर होते हैं, उस दौर में क्लब-60 के सदस्यों ने कुछ अलग और ऐसा करने की ठानी कि इनका जज्बा,जोश और जुनून देखकर पीएम मोदी भी इनकी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक सके।
मेरठ के टैगोर पार्क, H ब्लाक,शास्त्री नगर में 60 पार ‘युवाओं’ की एक टोली है जिन्होंने क्लब-60 नाम से एक संस्था बना रखी है, जहां 60 से 75 वर्ष के 15 लोग बीते 4-5 साल से लगातार समाजहित के अनूठे काम कर रहे हैं। साल 2015 में इस क्लब की स्थापना भारतीय स्टेट बैंक से रिटायर्ड प्रबंधक महेश रस्तोगी और हरि विश्नोईजी ने की थी ताकि वो अपने खाली समय का इस्तेमाल समाजहित और रचनात्मक कार्यों में कर सकें। नेक मकसद को लेकर शुरू किया क्लब 60 समाज में जागरुकता के लिए काम करता है। इस क्लब में15 लोग हैं और हर मेंबर ने 10 लोगों को जोड़ रखा है। क्लब-60 के जोशीले सदस्य पिछले पांच सालों से शहर की आबोहवा को ‘शुद्ध’ करने के साथ ही जल संरक्षण और स्वच्छता अभियान में पूरी शिद्दत के साथ जुटे हुए हैं। इन सब बुजुर्ग साथियों ने मिलकर तब्दीली का बीड़ा उठाया और वो कर दिखाया जो देखते ही देखते बहुतों के लिए मिसाल बन गया।
सर्दियों की कड़कड़ाती सुबह हो या मानसून की भीगती शाम, मौसम का यह बदलाव भी 60 से अधिक बसंत देख चुके इन सदस्यों के हौसलों को कम नहीं कर पाता। जब मौसम इनके लिए अपनी चाल नहीं बदलता, तो फिर भला रिटायरमेंट के नाम पर ये कैसे अपने जीने का अंदाज बदल डालें? नौकरी को अलविदा कह चुके इन्हीं 60+ की रोमांच से भरी जिंदगी का नाम है क्लब-60।
क्लब, सोशल मीडिया पर भी लोगों को जलसंरक्षण जैसे जरूरी मुद्दों को लेकर अवेयर करता है। क्लब के सदस्यों ने सबसे पहले कालोनी के लोगों को जल संरक्षण की जानकारी दी और इसके लिए उन्हें मोटीवेट किया और फिर आस-पड़ोस में अभियान शुरू किया। जो काम नगर निगम न कर सका वह इन्होंने कर दिखाया। क्लब-60 के सदस्यों ने अपने पेंशन के पैसौं से चंदा करके टैगोर पार्क और श्रीकृष्ण पार्क में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग यूनिट लगाया है। संस्था ने पौधों को पानी देने के लिए ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है, जिससे पानी बर्बाद न हो। इसके अलावा संस्था पौधरोपण, लावारिस पेड़ों की देखभाल, पक्षी आवास, जैविक फर्टिलाइजर बनाने, नि:शुल्क योग कक्षा आयोजन जैसे काम भी करती है।
आज क्लब-60 एक आंदोलन का रूप अख्तियार कर चुका है। क्लब के सदस्यों ने सबसे पहले अपनी सोसाइटी से स्वच्छता और वेस्ट डीकम्पोज करके उससे कम्पोस्ट बनाने का काम शुरू किया। इसके बाद उन्होंने सोसाइटी में जल सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए ‘वर्षा जल संचयन उपक्रम (रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम) बनवाया। पानी बचाने के साथ ही प्लास्टिक के प्रयोग को रोकने के लिए मुफ्त में कपड़े और जूट के बैग वितरित किए, ताकि लोगो की आदत बदल सके।
क्लब-60 के सदस्य हरि विश्नोईजी बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद हमारे पास समय की कमी नहीं थी, लेकिन हम इस समय का उपयोग सामाजिक कार्यों में करना चाहते थे। हमारे अभिन्न मित्र महेश रस्तोगी ने एक फिल्म क्लब 60 की तर्ज पर एक समूह बनाया, ताकि 60 के पार या रिटायरमेंट के बाद लोग अपने समय और अनुभव का इस्तेमाल सही ढंग से कर सके। कुछ विचार-विमर्श के बाद हमने हमारी सोसाइटी (जय हिन्द सोसाइटी) के रिटायर्ड लोगो के साथ मिलकर क्लब-60 की शुरुआत की. इसका मुख्य उद्देश्य उम्र के इस पड़ाव में स्वस्थ रहना और अपने समय और अनुभव के इस्तेमाल से समाज में बेहतरी के लिए काम करना है।
बड़ी-बड़ी पोस्ट पर काम करने के बावजूद क्लब-60 के सदस्यों को श्रमदान और स्वच्छता अभियान में भागीदारी में कोई समस्या नहीं होती है। इनके सामाजिक कार्यों की चर्चा मेरठ ही नहीं बल्कि 30 जून 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रोग्राम ‘मन की बात’ में भी की और समाज को नई राह दिखाने के लिए क्लब-60 को धन्यवाद दिया।
क्लब-60 के संस्थापक महेश रस्तोगी ने सभी सदस्यों को अलग-अलग जिम्मेदारी दे रखी है। महेश रस्तोगी सुबह सभी सदस्यों को योगा करवाते हैं और स्वस्थ जीवन शैली का पालन करवाते हैं वहीं क्लब के एक सदस्य हरि विश्नोईजी ने शिक्षासेतु मिशन की बड़ी जिम्मेदारी संभाल रखी है। शिक्षासेतु के जरिए महज 1 साल में 150 वंचित,जरूरतमंद और गरीब बच्चों को स्कूल फीस,ड्रेस, बुक्स और फ्री कोचिंग की सहायता दी गई है। युवाओं और अनाथ बच्चों की पढ़ाई के साथ ही क्लब ने गरीब कन्याओं की शादी की जिम्मेदारी भी उठा रखी है। इसके अलावा नशामुक्त के खिलाफ अभियान भी समय-समय पर चलाया जाता है। क्लब के ही एक सदस्य ने ‘जीवनसाथी‘ व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए रिश्ते मिलान की निशुल्क सेवा प्रदान करते है।
हरि विश्नोईजी कहते हैं, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए…कुछ अच्छा करके बदलाव लाने के लिए किसी लंबी चौड़ी योजना की नहीं,अपने आसपास से छोटी से शुरुआत करके उन्हें दूसरों तक फैलाने की जरूरत होती है ताकि एक की सफलता दूसरों की प्रेरणा बन सके।
जिंदगी हर हादसे के बावजूद चलती है और उम्र के किसी भी पड़ाव पर चलनी ही चाहिए। अगर उसे गुजारने लगो तो वो बोझ बन जाती है, आप बूढ़े हो जाएं तो गिवअप कर दें, ये फलसफा ठीक नहीं है। क्लब 60 की कहानी भी कुछ यही मैसेज देती है।
जिंदादिली किसे कहते हैं ये कोई क्लब-60 के ‘युवा’ सदस्यों से सीखे, जो समाज के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है और हर रोज एक नई इबारत लिख रहे हैं। Pozitive India क्लब-60 की इस जिंदा दिली को तहेदिल से सलाम करता है।
club 60 k jajbe ko salam