धारणाओं वाले देश भारत में पुलिस को लेकर लोगों का एक ही नजरिया सालों से चला आ रहा है। पुलिस की खराब छवि अक्सर सुर्खियों में रहती है जबकि पुलिस का एक और चेहरा है, वर्दी के अंदर भी एक दिल धड़कता है और उनमें भी संवेदनाएं होती हैं।लेकिन अफसोस पुलिस की नेक दिली और इंसानियत की खबरें कभी भारतीय मीडिया में अपनी जगह नहीं बना पाती। लिहाजा तमाम कवायदों के बावजूद पुलिस को लेकर जनता की पुरानी धारणा बदल नहीं पा रही। ऐसे में आज हम आपको वर्दी का एक ऐसा अवतार दिखाने जा रहे हैं, जिसे देखने के बाद आप भी पुलिस की इस पहल को सलाम करने से खुद को नहीं रोक पाएंगे।
कहते हैं वर्दी की न कोई जात होती है और न ही कोई धर्म। या फिर यूं कह लीजिए कि फर्ज से बढ़कर वर्दी के लिए कोई धर्म नहीं होता। गुजरात की वडोदरा पुलिस ने भी फर्ज को धर्म बनाकर अपने काम के जरिए पूरे पुलिस महकमे का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। हमेशा कानून के दायरे में रहने वाले वर्दीवालों ने थाने में ही एक मासूम की परवरिश और पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी उठाकर मानवता की एक नई मिसाल पेश की है।
पुलिस चौकी में शिक्षा के ककहरे से मासूम के सपनों को लगे पंख, कानून व्यवस्था के साथ-साथ पुलिसवाले मासूम को दे रहे संस्कृति और संस्कार।
वडोदरा में एक पति ने अपनी पत्नी का कत्ल कर दिया और फिर वडोदरा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी शख्स को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। लेकिन उनका 12 साल का नाबालिग बच्चा भावेश, मां की हत्या और पिता के जेल जाने से अकेला हो गया। यह देखते हुए वडोदरा पुलिस ने इंसानियत के नाते उस मासूम को अपने साथ ही रखा और पुलिस थाने में ही बच्चे के लिए एक बेड लगा दिया। अब पुलिस बच्चे की देखभाल थाने में ही कर रही है।
12 साल का नाबालिग बच्चा भावेश, मां की हत्या और पिता के जेल जाने से अकेला हो गया था। ये देखते हुए वडोदरा पुलिस ने इंसानियत के नाते भावेश को अपने साथ ही रखा और उसकी खुद उसकी परवरिश का जिम्मा लिया।
देखते ही देखते 8वीं कक्षा में पढ़ाई करने वाला भावेश वडोदरा पुलिस का लाडला बन गया। जहां एक महिला पुलिसकर्मी भावेश के लिए घर से नाश्ता बनाकर लाती है, वहीं पुलिस के जवान भावेश को स्कूल छोड़ने और लेने जाते हैं। 24 घंटे लोगों की रक्षा में मुस्तैद रहने वाली पुलिस का यह चहेरा सभी को पसंद आ रहा है। अब भावेश के लिए थाना ही घर बन गया है। जहां पर भावेश के चेहरे पर हंसी लाने के लिए वडोदरा पुलिस अपने बिजी शेड्यूल से भी थोड़ा वक्त निकाल लेती है और भावेश का पूरा ध्यान रखती है। जितनी संजीदगी से वो कानून व्यवस्था को संभालते हैं, उससे कहीं ज्यादा संजीदगी से इस मासूम के भविष्य को भी संवार रहे हैं। उसे शिक्षा का ककहरा समझा रहे हैं। शिक्षा के उजियारे से उसका भविष्य संवार रहे हैं। वडोदरा पुलिस का यह कदम सराहनीय है। पुलिस ने जिस तरह से इस बच्चे को अपने साथ रख कर मानवता की मिसाल कायम की है वह निश्चित तौर पर समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
वाकई वडोदरा पुलिस वर्दी की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ अपना सामाजिक उत्तरदायित्व भी बखूबी निभा रही है। इन्होंने जो एक छोटी सी उम्मीद की किरण अपने आस-पास के लोगों में जगाई है, यकीनन उसकी रोशनी बहुत दूर तक फैलेगी और न सिर्फ लोगों के मन में पुलिस की छवि बदलने में सहायक होगी बल्कि खाकी का मान भी बढ़ाएगी। पॉजिटिव इंडिया उनके इस सराहनीय कदम को तहे दिल से सलाम करता है।