आज आपको अपनी पसंदीदा फिल्म, इवेंट्स या शो के टिकट खरीदने के लिए घंटो लाइन में नहीं लगना पड़ता, घर बैठे ही आपको बड़ी आसानी से टिकट मिल जाती है और ये सब मुमकिन हुआ है ऑनलाइन टिकट बुकिंग करने वाली वेबसाइट्स के जरिए। ऐसी ही एक वेबसाइट है book my show, जिसके बनने और स्ट्रगल पीरियड से लेकर सक्सेस होने तक की एक बेहद दिलचस्प कहानी है।
Book My Show और उसके फाउंडर,सीईओ आशीष हेमराजानी के सफलता की अद्भुत दास्तां है। बात साल 2000 की है जब Advertising फील्ड में काम करने वाला एक नौजवान आशीष हेमराजानी साउथ अफ्रीका के ट्रिप पर जाता है। जहां बोत्सवाना में एक दिन आशीष पेड़ के नीचे आराम करते हुए रेडियो सुन रहे थे, रेडियो में चल रहे प्रोग्राम के दौरान रग्बी खेल का प्रमोशन किया जा रहा था और ऑनलाइन टिकट खरीदने की जानकारी दी जा रही थी। आशीष ने जैसे ही सुना कि अफ्रीका में लोग किसी भी प्रोग्राम का ऑनलाइन टिकट भी खरीद सकते हैं, तभी उनका दिमाग दौड़ा, एक लाजवाब आइडिया ने जन्म लिया और कुछ ही साल में वो अरबपति बन गए।
रेडियो में ऑनलाइन टिकट के प्रमोशन को सुनने के बाद आशीष को लगा कि ऐसा भारत में भी किया जा सकता है। उनके दिमाग में देश के सिनेमाघरों के बाहर लगी लंबी-लंबी लाइनें और टिकट के लिए पुलिस की लाठियां खाते दर्शकों की तस्वीर तैैरने लगी। आशीष ने सोचना शुरू किया कि टिकट बुकिंग की यह सुविधा अगर भारत में भी ऑनलाइन दे दी जाए, फिर तो इसकी मार्केट ग्रोथ को कोई रोकने वाला नहीं होगा। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि अब वह नौकरी न कर, अपना ऑनलाइन टिकट बुकिंग का काम शुरू करेंगे। केपटाउन से वापस आने के बाद एक हॉस्टल पार्टी के दौरान उन्होंने अपने बॉस को एक मैसेज के जरिए नौकरी छोड़ने का इस्तीफा भेज दिया। चूंकि उन्हें यह आईडिया एक बड़े पेड़ के नीचे आया था, इसलिए उन्होंने कम्पनी का नाम Bigtree entertainment Pvt. Ltd. रखा। इसके बाद बिजनेस प्लान पर काम किया और कुछ इन्वेस्टर्स से बात की। उसके बाद बुकमाईशो की पहली फंडिंग दो करोड़ रुपए की मिली।
जुलाई 1975 में जन्मे आशीष मुंबई यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री ली। मैनेजमेंट की पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने जे.वाल्टर थॉम्पसन नामक एडवरटाईजिंग कंपनी के साथ नौकरी की शुरुआत की।
आज से लगभग दो दशक पहले आशीश ने छह सहकर्मियों के साथ ढाई हजार वर्गफुट के एक छोटे से कमरे से अपने काम की शुरुआत की, एक साल के भीतर ही उनके कर्मचारियों की संख्या बढ़कर डेढ़ सौ हो गई। वह इंटरनेट की तेजी से ग्रोथ का वक्त था। उसी दौरान उन्हें एक कंपनी से जब दो करोड़ फंडिंग मिली, उनका बिजनेस तेजी से चल पड़ा।
साल 2002 में जब डॉट कॉम बबल फूटा तो आशीष भी इससे अछूते नहीं रहे पर वो डटे रहे। 150 लोगों के स्टाफ की कंपनी में बस 6 लोग बचे। कम्पनी खत्म होने की नौबत आ गयी। सैलरी की छोडिए आशीष को दो वक़्त खाने का इंतजाम भी मुश्किल लगने लगा।तमाम चुनौतियों के बीच उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और किसी तरह इस दौर को भी पार किया।
जब आशीष ने अपना बिजनेस शुरू किया था, तो सिनेमा के टिकट बेचना खराब काम समझा जाता था। उस समय लोगों के पास कम्प्यूटर और इंटरनेट की सुविधा ज्यादा नहीं थीं। तब आशीष थिएटरों से बड़ी संख्या में टिकट खरीद लेते थे ओर फिर ग्राहकों को उपलब्ध करवाते थे। धीरे-धीरे मार्केट के अनुरूप अपने बिजनेस में बदलाव करके सफलता प्राप्त की।
इस दौरान कंपनी को फिर से उबारने के लिए आशीष को
दरअसल डॉट कॉम की सुनामी जाने के बाद भारत में मार्केट पूरी तरह बदल गया और इंटरनेट सेवाएं, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड जैसी सेवाएं अधिक अच्छी हो गईं, इन्फ्रास्ट्रकचर में भी तेजी से उछाल आया। उसी दौरान भारत में बड़ी संख्या में मल्टीप्लेक्स बनने लगे। मार्च 2007 में नेटवर्क 18 ने बुकमायशो में निवेश किया। वर्ष 2012 में एक्सेल पार्टनर्स ने सौ करोड़ रुपए का निवेश किया। इसके बाद जून 2014 में सैफ पार्टनर्स ने 150 करोड़ रुपए का निवेश कर कंपनी का मार्केट वैल्यू एक हजार करोड़ रूपये तक पहुंचा दिया। जुलाई 2016 में अमेरिकन Stripes Group ने 550 करोड़ रूपये का निवेश किया।
अपनी बीस वर्षों की यात्रा में कंपनी ने जीवन की कई कड़वी सच्चाईयों को देखा और उसका सामना किया है। 25,000 रूपये की पूंजी से 1,000 करोड़ की संपत्ति, बिगट्री एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड से BookMyShow.com और डॉटकॉम क्रैस से वैश्विक वित्तीय संकट तक अपनी ग्रोथ की है।