बीते कुछ सालों से कई मामलों को लेकर सुर्खियों में रही दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) एक बार फिर चर्चा में है लेकिन किसी कथित देश-विरोधी गतिविधियों को लेकर नहीं बल्कि अपने एक सुरक्षा गार्ड के हौंसलों और काबिलियत की वजह से। जिसने देश-दुनिया खासतौर पर यंगस्टर्स के सामने EXAMPLE सेट किया है कि जिंदगी के पथरीले सफर में सपनों का पीछा कैसे किया जाता है।
देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान में शुमार जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) से पढ़ाई करना देश के ज्यादातर स्टूडेंट्स का ख्वाब होता है। लेकिन यहां दाखिला इतना आसान नहीं होता और हर साल हजारों युवाओं का सपना टूट जाता है। लेकिन जेएनयू के ही एक सिक्योरिटी गार्ड ने अपनी मेहनत और लगन से विश्वविद्यालय की एंट्रेंस एग्जाम पास कर मिसाल कायम की है।
रात में गार्ड की नौकरी और दिन में पढ़ाई करने वाले रामजल मीणा उन लोगों के लिए मिसाल हैं जो परेशानियों और घर के हालातों के आगे बेबस होकर पढ़ाई छोड़ देते हैं।
अगर जज्बा हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं, JNU में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले रामजल मीणा ने इसे सच साबित कर दिखाया है। रामजल मीणा ने JNU की प्रवेश परीक्षा पास कर बीए रशियन भाषा में एडमिशन लिया है। अब राजमल का एक ही सपना बचा है, वो सपना है सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर IAS बनने का। तीन बच्चों के पिता रामजाल मीणा की कहानी सभी को प्रेरणा देने वाली है।
जेएनयू में अपनी तैयारी के बारे में रामजल बताते हैं कि , ‘ड्यूटी में और घर में जब भी टाइम मिला मैंने पढ़ाई की। कभी-कभी ड्यूटी के बीच पढ़ने पर डांट भी पड़ी मगर साथ भी मिला। सीनियर्स, प्रफेसर्स और स्टूडेंट्स सबने हौसला बनाए रखा। मैं जेएनयू में था, पढ़ने का जज्बा हर वक्त मिलता रहा। जेएनयू की सबसे ख़ास बात ये है कि यहां के लोग ऊंच-नीच में विश्वास नहीं करते।जेएनयू के बारे में कई लोगों की ग़लत धारणाएं हैं।यहां छात्र सिर्फ़ विद्रोह नहीं करते बल्कि इस विश्वविद्यालय ने देश को कई स्कॉलर्स दिए हैं और मैं भी पढ़ाई करके कुछ बनना चाहता हूं।
बीए-रशियन लैंग्वेज के चुनाव पर रामजल कहते हैं, रशिया के बारे में अखबार में पढ़ता था, चाहे उनकी मिसाइल की बात हो या फिर संस्कृति की। सुना था वहां का साहित्य भी बहुत अच्छा है। इसलिए इसी विषय को चुना। रामजल आगे कहते हैं, इसे पूरा करने के बाद मैं और पढ़कर सिविल सर्विसेज का एग्जाम देना चाहता हूं ताकि जिंदगी में कुछ और अच्छा कर सकूं।
रामजल जैसे लोग ना सिर्फ संघर्ष की जीती-जागती मिसाल हैं, बल्कि परिस्थितियों को मेहनत के दम पर अपने पक्ष में करने वाले असली नायक भी हैं। रामजल की कहानी एक बानगी है, जिद और जुनून से जिंदगी बदली जा सकती है। जिद से जहां बदला जा सकता है। जिद से सपने बुने जा सकते हैं और उसे साकार किए जा सकते हैं।