कहते हैं जो बेचैन है, वही जीवित है और जो जीवित है वो कुछ न कुछ तो जरूर करेगा। यह कुछ न कुछ ही एक दिन बड़ा रूप ले लेता है। किसी स्टार्टअप के लिए यही सबसे बड़ी पूंजी है। अगर सफल बनना है, अपने आइडिया को सफल बनाना है, तो लगातार सोचना होगा और ऐसी ही एक नई सोच लेकर आए हैं दिल्ली में रहने वाले तरणप्रीत सिंह, जिन्होंने हिंदुस्तान के हर जरूरतमंद के हाथ में किताब मुहैया कराने के लिए एक नायाब तरीका ढूंढ़ निकाला है।
आज के जिस हाईटेक दौर में युवा स्मार्ट फोन और इंटरनेट की दुनिया में खोए रहते हैं,उस वक्त तरणप्रीत ने पारंपरिक बिजनेस से हटकर किताबों की दुनिया में चढ़ी धूल की मोटी परतों को हटाकर उन्हें फिर से जिंदा करने और दोबारा लोगों के दिलों तक पहुंचाने का साहस दिखाया है।
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उत्तरप्रदेश के छोटे से शहर अलीगढ़ के रहने वाले तरणप्रीत ने इलेक्ट्रॉनिक्स से स्नातक किया लेकिन उनकी दुनिया तो कहीं और ही थी। उन्हें कुछ अलग करना था,जिससे लोगों की मदद भी हो सके और व्यापार भी किया जा सके। इस दौरान तरणप्रीत ने ऑनलाइन कारोबार, स्टार्टअप और उनके बिजनेस मॉडल को समझना और पढ़ना शुरू किया। तभी उनकी नजर स्टडी टेबल पर पड़ी एक किताब पर गई। अब तरणप्रीत के दिमाग के एक कोने में ऑनलाइन कारोबार को लेकर उत्सुकता बढ़ रही थी तो दूसरी तरफ सामने रखी एक पुरानी बुक ने भी उनके दिमाग में जगह बनाना शुरू कर दिया।
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फिर क्या था ये एक छोटा सा विचार तरणप्रीत की जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला बन गया। तरणप्रीत अब अपने जुनून को जमीन पर उतारने की जद्दोजहद में जुट गए। किताबों की कैटेगरी को अंतिम रूप देने के साथ ही उनके दिमाग में एकाएक ‘बुकमंडी’ नाम ने क्लिक किया। Book Mandee यानि एक ऐसा ऑनलाइन मंच जहां लोग अपनी पुरानी किताबों को वाजिब दाम में बेंच सकें, खरीद सकें या फिर जरूरत के हिसाब से किसी को दान कर दें।
अपने आप में अनूठे इस कान्सेप्ट को आज पूरे भारत में लोग इसे पसंद कर रहे हैं। बुकमंडी से पहले भी बुकठेला डॉट कॉम जैसी कई वेबसाइट बाजार में मौजूद थीं लेकिन इन प्लेटफार्म पर सिर्फ ऑनलाइन ही तय दाम पर किताबों को खरीदा और बेंचा जा सकता है लेकिन बुकमंडी ने एक और प्रयोग करते हुए एक ही शहर के बीच बुक खरीदने-बेचने या दान करने की बड़ी सुविधा भी दी। यानि कुल मिलाकर तरणप्रीत ने खुद मुनाफा कमाने की बजाए एक ऐसा मंच तैयार किया जहां जरूरत के हिसाब से खरीददार और विक्रेता खुद ही एक-दूसरे से संपर्क कर सकते हैं।तरणप्रीत कहते हैं कि बुरा लगता था जब लोगों को महंगे दाम में खरीदी गई किताबों को वजन के हिसाब से स्क्रैप में बेंचते देखता था। लेकिन भारत में लोगों के पास उस वक्त इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था। एक तरफ कीमती किताबें कचरे के भाव में जा रही थीं तो दूसरी तरफ कई लोगों को जरूरत के समय यही बुक दुकानों में सस्ते दामों में नहीं मिल रही थीं। लिहाजा मैने इन दोनों छोरों को जोड़ने के लिए BookMandee का प्लेटफार्म तैयार किया।
बुक मंडी के फाउंडर तरणप्रीत सिंह एक अनुभवी कंटेट राइटर और डिजिटल मार्केटिंग में एक्सपर्ट भी हैं। इस प्लेटफॉर्म के साथ उनका मकसद भारत में पुरानी किताबों को खरीदने और बेचने के पारंपरिक तरीके को बदलना है।
.अपनी मेहनत के बूते अपना नाम,पहचान और मुकाम बनाने वाले तरणप्रीत का मानना है कि एक सफल आंत्र्योप्रेनर बनने के लिए हर इंसान के अंदर काम के प्रति दृढ़ संकल्प और धैर्य होना चाहिए। सफलता के रास्ते में रोड़े तो कई हैं लेकिन कोशिश करने वालों की उड़ान के लिए आज भी पूरा आसमान खुला है। आज भी बाजार में क्रिएटिव लोगों की जरूरत है,बशर्ते आप में आलोचनाओं से घबराए बिना कुछ नया और कुछ अलग करने का माद्दा हो।