जिंदगी में हर कोई सिर्फ अपने बारे में सोंचता है और अपनी ही जरूरतों को पूरा करने में पूरी जिंदगी उलझा रहता है। ना तो कोई दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने के बारे में सोचता है और ना ही किसी की मदद के लिए कोई अपनी व्यस्त जिंदगी से थोड़ा समय निकालने की कोशिश करता है। ऐसे में अगर कोई शख्स दूसरों की मदद के लिए महीनों जुटा रहे और हजारों किलोमीटर का मुश्किल सफर तक तय करे, तो शायद आज के जमाने में उसे फरिश्ता ही कहा जाएगा। मेरी ये कहानी भी जरूरतमंदो की मदद को अपना मजहब मानने वाले ऐसी ही एक अद्भुत शख्सियत की है।
पेशे से बिजनेसमैन और इंटरनेशनल स्केटर 37 साल के राणा उप्पलापति ने देश में बेटियों की शिक्षा के लिए एक बड़े अभियान को अंजाम तक पहुंचाया है। विशाखापट्टनम के रहने वाले राणा 25 हजार गरीब लड़कियों की एजुकेशन में सुधार लाने और पैसे जुटाने के मकसद से 6 हजार किलोमीटर की स्केटिंग की यात्रा पर निकले। इस दौरान उनका कारवां भारत के 20 मुख्य शहरों से होकर गुजरा, जिसमें 4 मेट्रो सिटी भी शामिल हैं। 90 दिन की इस स्केटिंग ट्रिप के जरिए राणा ने 9 करोड़ का फंड जुटाने का लक्ष्य रखा।
राणा ने 5 सितम्बर 2018 को बेंगलुरु के होसुर से अपनी यात्रा शुरू की और हुबली, बेलगांव होते हुए महाराष्ट्र के कोल्हापुर, पुणे और मुम्बई पहुंचे। फिर वो गुजरात में भरूच और बड़ोदरा होते हुए जयपुर और फिर दिल्ली पहुंचे। राणा ने 10 दिन में ही 800 किमी की यात्रा पूरी कर लगभग 6 हजार लड़कियों की शिक्षा के लिए पूंजी जुटा ली थी। इसके बाद वो स्केटिंग के जरिए लोगों के बीच गर्ल एजुकेशन की अलख जगाते हुए दिल्ली से लखनऊ, वाराणसी, पटना, जमशेदपुर और कोलकाता होते हुए वापस होसूर पहुंचे।
टाइटन कंपनी के बिजनेस एसोसिएट राणा ने अपनी 90 दिनों की यात्रा के दौरान न सिर्फ 25 हजार लड़कियों की शिक्षा के लिए पूंजी जुटाने का काम किया बल्कि इस दौरान उन्होंने छह लाख से ज्यादा बच्चों के बीच सुरक्षा से जुड़े विषयों, खासतौर पर ‘गुड टच, बैड टच’ पर जागरुकता भी फैलाई।
अपने सफर के बारे में राणा बताते हैं कि बेंगलुरु से पुणे तक का रूट स्केटिंग के लिए थोड़ा मुश्किल था। घाटों पर मैंने 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चढ़ाई की लेकिन ढलान पर स्पीड तेज (60 किमी प्रति घंटा) हो गई।