एक जिद ताकि बुनी जा सके जीवन की कविता…एक जिद ताकि सपनों की हरी पत्तियों पर ओस की बूंद सा थिरक सके मन…एक जिद ताकि मन के तार से बज सके वो संगीत जिसमें विश्वास के तानों पर गुलजार होती हो जिंदगी की गजल… जी हां कुछ ऐसी ही जिद है मुंबई में रहने वाली डॉ. रिचा भार्गव की, जो अपनी जिंदादिली और कला के जरिए बेरंग जिंदगी को रंगीन बना रही हैं, अवसाद ग्रस्त लोगों के दिलों में जमी बर्फ को पिघलाकर उसमें जीवन का एक का नया रंग और उमंग भर रही हैं…
आज के बाजारवाद के माहौल में हम सब कुछ पाने की ललक में अपना बहुत कुछ खोते जा रहे हैं। दौड़ते भागते जब हम थक जाते हैं तब तक कुछ भी बचा नहीं होता। न दोस्त, न परिवार और यहां तक की खुद की पहचान भी नहीं रहती। यह माहौल ही अवसाद को जन्म देता है और व्यक्ति जिंदगी से निराश हो जाता है, उसे जिंदगी बोझ लगने लगती है। आलम ये है कि आज 10 में से 7 लोग डिप्रेशन का शिकार हैं। जिंदगी से मायूस ऐसे ही लोगों को डियर जिंदगी कहना सिखा रही हैं मुंबई की डॉ. ऋचा भार्गव ताकि वो भी खुशनुमा जिंदगी जी सकें और सोसायटी में बदलाव ला सकें।
डॉ ऋचा भार्गव एक Psychometric behaviour Analyst, inspiring coach, motivational mentor हैं। Personalities, Change Management, लीडरशिप और वेलनेस में एक्सपर्ट हैं। artistic yoga (नृत्य साधना) के जरिए जिंदगी की नई-नई धुन तराशना उनके मिजाज में शामिल है। दूसरों के मन की उलझन को सुलझाना उनकी जिंदगी का मकसद है। ऋचा अपनी योगा क्लास के जरिए लोगों को खुश रहना सिखाती हैं। स्पेशल किड्स के लिए थेरेपी और कैंसर पेशेंट के लिए फ्री स्ट्रेच मैनेजमेंट सेशन भी चलाती हैं। इसके अलावा ‘Wah Zindagi with Dr. Richa’ नाम से उनका एक यू ट्यूब चैनल भी है, जहां आप उनसे जुड़कर खुद को खुश और शरीर को तंदुरुस्त रखने की कई अनूठी कलाएं सीख सकते हैं।
हर दिन की कोशिश से कठिन काम भी आसानी से आसान हो जाता है: ऋचा
डॉ ऋचा को खूबियों की खान कह सकते हैं लेकिन ‘खूबियों की खान’ का ये खिताब पाने के लिए उन्हें संघर्षों की एक लंबी कीमत चुकानी पड़ी है। बेरहम वक्त के थपेड़ों का डटकर सामना करना पड़ा है। एक अच्छी खासी कॉर्पोरेट जॉब से लेकर जिंदगी के उबड़ खाबड़ रास्तों पर चलना और फिर से उम्मीद के नए निशां तलाशने तक का उनका ये सफर कभी इतना आसां नहीं रहा। पांच साल पहले हालातों ने डॉ ऋचा को एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया जहां निराशा और अवसाद की काली रात, हर तरफ मुश्किलें और हार का भय। चुनौतियां मुंह बाए अपने विकराल रूप में खड़ी रहीं, लेकिन इन सबसे बेखबर वो अपने अदम्य साहस के साथ जुटी रहीं काली रात को भोर में बदलने के लिए। कई बार ऐसा लगा कि नहीं, शायद अब और नहीं मगर तभी उन्हीं अंधेरों के बीच से जिंदगी ने कहा कि देखो उजास हो रहा है। और आज यही उजास वो दूसरों की जिंदगी में भी भर रही हैं।
ऑपरेशन थिएटर में मैने सबसे पहले अपने हसबैंड का धड़कता हुआ हृदय देखा। मैं जिंदगी और मौत का संघर्ष को देख रही थी। मुझे पता नहीं था कि अरुण ऑपरेशन थिएटर से बाहर आएगा कि नहीं। मैं बस उसके साथ जी लेना चाहती थी, अगर 5 घंटे और हैं तो 5 घंटे और उसके साथ जीना चाहती थी।
ऋचा के मुताबिक उस वक्त उन्हें अहसास हुआ कि हमने तो जिंदगी जी ही नहीं, एक दूसरे का साथ कभी महसूस किया ही नहीं सिर्फ स्ट्रेस लिया और स्ट्रगल किया। कभी करियर, कभी फाइनेंस तो कभी एचीवमेंट की स्ट्रगल और स्ट्रेस। लेकिन इस एक हादसे ने उन्हें जिंदगी की कई सीख एक साथ दी। अस्पताल और डॉक्टर के चक्कर काटते-काटते जीवन का एक सबसे बड़ा सच समझ आया कि जिंदगी जैसी है,जितनी बची है वो जीनी तो पड़ेगी,वो भी हर वक्त मर-मरकर नहीं खुलकर। ये एक ऐसी घटना थी जिसने ऋचा को दूसरों का दर्द समझने लायक बनाया। इस मुश्किल वक्त ने उन्हें अपनी तकलीफ को पॉजिटिव वे में ताकत के तौर पर पेश करने का साहस दिया और सबसे बड़ी बात उन्हें उनके जीवन का मकसद समझ आया।
डॉ ऋचा पुलिस डिपार्टमेंट में स्ट्रेस मैनेजमेंट का सेशन भी लेती रहती हैं। उनका मानना है कि ‘Serving the police force means serving the nation’
With some of the cancer patients & survivors with their expressions of life
वाकई ऋचा जी एक मिसाल हैं। जिनकी कहानी साबित करती है कि मुश्किलों से घबराकर उसके सामने घुटने टेक देना कोई अक्लमंदी नहीं होती। कंडीशन चाहे जितनी भी खराब और आपके खिलाफ क्यों न हों, हमें अपना संघर्ष हमेशा जारी रखना चाहिए । क्योंकि हालातों से लड़ना, लड़कर गिरना , फिर उठकर संभलना और दूसरों को सहारा देना ही जिंदगी है।
Very nice and inspiring life story of Richa di.You are so positive towards life challenges..You are real life hero.