कहते हैं कामयाबी उम्र की मोहताज नहीं होती या फिर यूं कह लीजिए कि कुछ नया करने की ख्वाहिशें उम्र से आजाद होती हैं। इस करिश्माई दुनिया में कई ऐसी शख़्सियतें भी हैं, जो उम्र के तमाम पैमानों से ऊपर उठकर ज़िंदगी जीती हैं और कम उम्र में ही कामयाबी की बड़ी इबारत लिख जाती हैं। हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे विजनरी बच्चे की है जिसका बिजनेस idea आज बड़ों-बड़ों पर भारी पड़ रहा है।
अक्सर हम अपना कोई ज़रूरी सामान अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार के घर पर या फिर ऑफ़िस वगैरह में भूल जाते हैं। कमोबेश ये वाकया हर किसी के साथ होता है लेकिन किसी ने भी अब तक छोटी सी दिखने वाली इस बड़ी समस्या का समाधन तलाशने की दिशा में अपना दिमाग नहीं दौड़ाया। मगर मुंबई में रहने वाले महज 13 साल के तिलक शाह ने आपकी इसी छोटी सी भूल को भांपकर एक बड़ा बिजनेस तो खड़ा किया ही साथ ही अपनी खास सर्विस के जरिए आम आदमी की एक बड़ी प्रॉब्लम का परमानेंट हल भी ढूंढ़ निकाला।
दरअसल मुंबई के गरोडिया इंटरनैशनल स्कूल में 9वीं कक्षा में पढ़ाई करने वाले तिलक मेहता ने एक लॉजिस्टिक स्टार्टअप की शुरुआत की है, जिसके जरिए वो मुंबई के अंदर 4-8 घंटों के भीतर ही आपके सामान की डिलेवरी की सुविधा दे रहे हैं। तिलक का पेपर्स ऐंड पार्सल्स (Papers N Parcels) टेक स्टार्टअप मुंबई के लोकप्रिय डिब्बावाला नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए बेहद कम दामों पर बाकी जरूरी सामानों की डिलिवरी की सुविधा भी सुनिश्चित करता है।
पार्सल्स ऐंड पेपर्स पिकअप की भी सुविधा देता है, जो अभी मार्केट की कोई भी कुरियर कंपनी नहीं देती। सबसे अच्छी बात यह है कि पार्सल की डिलिवरी 4-8 घंटों के भीतर ही हो जाती है और इस दौरान उपभोक्ता अपने पार्सल को पिकअप से लेकर ड्रॉप होने तक ट्रैक भी कर सकते हैं। डिब्बेवालों को इस काम के लिए पेपर्स ऐंड पार्सल्स की तरफ़ से निर्धारित वेतन मिलता है। अभी तक 300 डिब्बेवाले तिलक की कंपनी के साथ जुड़ चुके हैं। फ़िलहाल कंपनी के पास 180 लोगों की टीम है। वहींं तिलक अपनी स्टार्टअप कंपनी की ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए बाहरी निवेश लाने की जुगत में भी लगे हुए हैं।
तिलक ने अपनी पढ़ाई और स्टार्टअप के बीच कमाल का संतुलन बनाकर रखा हुआ है। वो शाम 4 बजे तक स्कूल में रहते हैं और इसके बाद वह सीधे अपने ऑफ़िस जाते हैं। अगर कभी किसी वजह से वह स्कूल के बाद सीधे ऑफ़िस नहीं जा पाते तो फ़ोन के ज़रिए ही काम संभालते हैं। हफ़्ते के आख़िरी दो दिनों में वह अपना आधा दिन ऑफ़िस में टीम के साथ मीटिंग्स में खर्च करते हैं और इसके बाद वह अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं।
“इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि मेरी उम्र कम है और मैं अभी स्कूल में पढ़ता हूं। यह एक गंभीर समस्या थी, जो लोगों की आम ज़रूरतों से जुड़ी हुई थी और इसे दूर करना भी ज़रूरी था”
कम उम्र में अपनी नई सोच की बदौलत बड़ी कामयाबी हासिल करने वाले तिलक को सूरत विश्वविद्यालय से भी वहां जाकर बिजनेट स्टूडेंट्स को अपनी कहानी सुनाने का बुलावा आ चुका है। वहीं तिलक का कहना है कि भले ही मैं अभी बहुत छोटा हूं, पर मेरा लक्ष्य अगले दो सालों में कंपनी को नई ऊंचाई पर ले जाना है। तिलक ने अपने बिजनेस के जरिए साल 2020 तक 100 करोड़ रुपए का रेवेन्यू हासिल करना अपना लक्ष्य बना रखा है।