कौन कहता है हमारे देश में शिक्षक, बच्चों की फिक्र नहीं करते, सिर्फ अपने फायदे के लिए हड़ताल करते हैं और सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर में टैलेंट की कमी होती है। हम आपको आज एक ऐसे ही शिक्षक से मिलाने जा रहे हैं जिन्होंने अपने स्टूडेंट की दिक्कतों को दूर करने के लिए एक बेहद क्रिएटिव कदम उठाकर न सिर्फ छात्रों की समस्याओं का हल किया बल्कि अपने टैलेंट का भी लोहा मनवाया।
इस देश में अक्सर सरकारी स्कूल और वहां के शिक्षकों का जिक्र निगेटिव सेंस में ही किया जाता रहा है। सरकारी स्कूलों की खामियां गिनाई जाती हैं, शिक्षकों की योग्यता पर सवाल उठाए जाते हैं। लेकिन इसी सरकारी सिस्टम में आज भी कई ऐसे टीचर हैं जिनके ज्ञान और छात्रों के प्रति समर्पण का कोई तोड़ नहीं है। तमिलनाडु के विलुप्पुरम के सेरानूर के सरकारी स्कूल में पदस्थ मुरुगसेन एक ऐसे ही बिरले टीचर हैं जिनके नायाब आइडिया की इन दिनों चारों तरफ तारीफ हो रही है। मुरुगेसन ने वॉटर कैन के इस्तेमाल से बच्चों के लिए यूरिनल बनवाए हैं।
दरअसल स्कूल में टायलेट की व्यवस्था न होने के कारण बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। छात्र मजबूरन खुले में टायलेट जाने लगे। शिक्षक मुरुगेसन से यह देखा नहीं गया। उन्हें बच्चों की सेहत और सुरक्षा की चिंता होने लगी, वो परेशान हो गए। शौचालय बनवाने में काफी खर्चा आ रहा था, इसके लिए कोई सरकारी फंड की व्यवस्था भी नहीं थी लेकिन मुरुगेसन फिर भी निराश नहीं हुए। उन्होंने अपने दिमाग से जुगाड़ का एक रास्ता निकाला और बेकार पड़े वॉटर कैन से स्कूल में बच्चों के लिए बना डाला यूरिनल टॉयलेट।
एक दिन मुरुगेसन ने यूट्यूब में एक वीडियो देखा। वीडियो को देखकर उन्हें स्कूल में बेकार पड़े वॉटर कैन की मदद से यूरिनल बनवाने का आइडिया आया। उन्होंने ऐसा ही किया। मुरुगेसन के दोस्तों और दूसरे टीचरों ने प्लास्टिक ट्यूब्स खरीदने के लिए दान दिया। कुछ दोस्तों ने खुद आगे आकर इस पहल में मदद की। सबकी मदद से बहुत ही कम खर्च में ये टॉयलेट तैयार हो गए। खास बात यह है कि इन यूरिनल की सफाई बहुत ही आसान और सस्ती है।
शुरू से ही स्कूल के टीचर मुरुगेसन अपने छात्रों को अधिक से अधिक सुविधाएं मुहैया कराने की कोशिश करते रहे हैं। स्कूल में छात्रों के लिए सारी मूलभूत और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए वह अक्सर कोई न कोई सकारात्मक कदम उठाते रहते हैं। इतना ही नहीं मुरुगेसन छात्रों को फ्री कंप्यूटर की शिक्षा देते हैं और उन्हें आर्ट भी सिखाते हैं। वह हर एक छात्र की पसंद के अनुसार उसकी स्किल डेवलप करने का प्रयास भी करते हैं।
मुरुगेसन जैसे शिक्षक ही सरकारी स्कूल टीचर की परिभाषा बदलकर उसकी छवि को बेहतर बना रहे हैं। गुरू-शिष्य परंपरा की दुहाई देने वाले इस देश में वाकई आज हर स्कूल में एक मुरूगेसन जैसे गुरू की दरकार है तभी हम विश्वगुरू बन सकेंगे और भारत का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे अच्छे से पढ़ लिखकर आगे बढ़ सकेंगे।