अफवाहें फैलाने के नए मीडिया शस्त्र ‘फेक न्यूज’ ने पूरी दुनिया में खलबली सी मचा रखी है। भारत में तो फेक न्यूज आतंक का नया औजार हो चला है। कई राजनीतिक पार्टियों और संगठनों ने तो सच बताकर झूठी खबरों को फैलाने के लिए वाकायदा गुमनाम इंटरनेट यूजर्स की पूरी फौज तैनात कर रखी है। हाल ही के दिनों में सोशल मीडिया पर फैली फेक न्यूज से कई लोगों की जान चली गई। असम, तमिलनाडू, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में मार्च के बाद वॉट्सएप पर फैली अफवाहों की वजह से सात से ज्यादा लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ तक धोना पड़ा बावजूद इसके सरकार ने इसके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया। मगर देश की एक दबंग बेटी ने अब समाज में जहर घोल रही इस फेक न्यूज की समस्या को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए मोर्चा खोल दिया है।
तेलंगाना में आए दिन लोगों की भीड़, किसी बेगुनाह को मौत के घाट उतार देती है और उसके पीछे की वजह होती है फेक न्यूज। फेक न्यूज के बहकावें में आकर कोई भीड़ रौद्र अवतार लेकर अपना न्याय कर देती है। इन्ही आपराधिरक घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए तेलंगाना की दबंग एसपी रेमा राजेश्वरी मैदान में उतरी है। साल 2009 बैच की आईपीएस अधिकारी रेमा राजेश्वरी ने करीब 500 ऑफिसर्स को ट्रेनिंग दी है और प्रदेश के 400 गावों में अपना अभियान चला रही हैं। राजेश्वरी ने फेक न्यूज रोकने के लिए ट्रेनिंग देने के साथ ही वॉट्सएप का भी सहारा लिया है और कोई भी फेक न्यूज वायरल होने पर वह खुद वॉट्सएप पर मैसेज करती हैं और लोगों को अवेयर करती हैं। अब गांव के लोगों ने उन्हें अपने वॉट्सएप ग्रुप में जोड़ना शुरू कर दिया है, जिससे वह कई वॉट्सएप ग्रुप पर नजर रखती हैं।
फेक न्यूज यानि नए जमाने की पीत पत्रकारिता या फिर यूं कहे कि येलो जर्नलिज्म आज दुनिया भर के लिए एक नई समस्या बनकर उभर रही है। डिजिटल मीडिया में फेक न्यूज को लेकर दुनिया भर में सरकारें अलर्ट रहने लगी हैं। मलेशिया सरकार ने तो कुछ माह पहले फेक न्यूज पर रोक के लिए अपनी संसद में एक कानून पास किया है कि जो भी फेक न्यूज प्रसारित करेगा, उसे 1 लाख 23 हजार डॉलर (लगभग 80 लाख रुपए) का अर्थदंड भुगतने के साथ ही छह साल तक जेल की हवा खानी पड़ेगी।
राजेश्वरी फेक न्यूज से निबटने के लिए पारंपरिक गीत और डांस का सहारा ले रहीं हैं। वह गांव-गांव फॉक सिंगर्स को भेज रही हैं। ये सिंगर्स लोक गीत के माध्यम से लोगों को सच्ची घटना की जानकारी देते हैं और पारंपरिक म्यूजिकल वाद्य यंत्रों के माध्यम से लोगों तक अपनी बात पहुंचाते हैं। साथ ही राजेश्वरी भी खुद लोगों तक जाती हैं और उन्हें फेक न्यूज को लेकर ट्रेनिंग देती है। उनकी इस मुहिम से कई गांवों में हिंसा व झड़प के मामलों में कमी देखी गयी है।
सोशल मीडिया के माध्यम से नकली खबरों का का फैलाव पुलिस के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन गया। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में 200 मिलियन से अधिक भारतीय व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं, प्रतिदिन 13.7 अरब संदेश भेजते हैं। आंध्रा में फेक न्यूज विरोधी ‘हॉकआई’ एप बनाया गया है। प.बंगाल सरकार कानून बनाने के लिए डॉटा बैंक जुटा रही है तो असम पुलिस ने भी इस बला से निपटने के लिए ‘साइबरडोम’ विकसित कर लिया है।
हाल ही में फेक न्यूज की वजह से भीड़ ने एक शख्स को बाल तस्कर समझ लिया था, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं था। राजेश्वरी की टीम ने उस शख्स को भीड़ से बचाया और बाद में पता चला कि उसके एक दोस्त ने सोशल मीडिया पर एडिट किए हुए फोटो और वीडियो पोस्ट कर दिए थे, जिसकी वजह से लोगों ने उसे आरोपी समझ लिया था।