“वक्त से लड़कर जो अपनी तकदीर बदल दे, इंसान वही जो हाथों की लकीर बदल दे” इस बात को बिलकुल सच कर दिखाया है खजूर ने, जो कभी दो वक्त की रोटी के लिए तरसता था आज वो कामेडी की दुनिया का चमकता सितारा है। उसने अपनी मेहनत से साबित किया है कि कलाकार की कला उम्र की मोहताज नही होती है, कला का दायरा तो सारे बंधनों से परे होता है। यकीन मानिए इस नन्हे कलाकार के संघर्ष की कहानी आपके आंखों में भी पानी ला देगी।
कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में एक दमदार किरदार ‘खजूर’ का नाम तो आपने सुना ही होगा। वो कार्तिकेय राज ही हैं जो निभाते हैं ‘खजूर’ का जबरदस्त किरदार। लेकिन कॉमेडी शो में निराले अंंदाज में अपना किरदार निभाने वाले कार्तिकेय की असल कहानी भी बेहद अजीब है। कभी खाने को रोटी नसीब नहीं थी, लेकिन आज वह हर दिल पर राज करता है।
जिस दिन घर में चावल, दाल और सब्जी बनती थी कार्तिकेय और उनके भाई-बहन समझते थे कि आज घर में पार्टी है।
आज कार्तिकेय राज कॉमेडी की दुनिया में तेज़ी से लोकप्रिय होता एक सितारा है। लेकिन एक दौर वो भी था जब कार्तिकेय के परिवार को दो जून की रोटी के लिए भी ख़ासी मशक्कत करनी पड़ती थी। बिहार की राजधानी पटना में एक बेहद ही गरीब परिवार में जन्में कार्तिकेय के पिता मोती प्रसाद मजदूरी किया करते थे। आमदनी इतनी नहीं थी कि दो बेटों और एक बेटी समेत पांच लोगों के परिवार का गुजारा हो सके।किसी तरह दो वक़्त की रोटी नसीब हो पाती थी।
कार्तिकेय की माँ बताती हैं कि एक NGO द्वारा चलाए जा रहे स्कूल के बाहर बने ग्राउंड में कार्तिकेय अपने भाई और दोस्तों के साथ क्रिकेट खेला करता था। वहां उसे स्कूल से गीत संगीत की धुन सुनाई देती थी जो उन्हें आकर्षित करती थी और एक दिन वह अपने भाई के साथ स्कूल में गया और दोनों भाइयों को स्कूल का वातावरण इतना अच्छा लगा कि उन्होंने वहीं एडमिशन ले लिया। इस स्कूल में एडमिशन के बाद तो दोनों भाइयों का जीवन ही बदल गया। स्कूल के अध्यापकों द्वारा उनकी रूचि को देखते हुए उन्हें एक्टिंग की बारीकियां सिखाई गई।
चैनल के लोग कार्तिकेय और अन्य बच्चों को लेकर कोलकाता आ गये। वहां कार्तिकेय को बड़े होटल के एसी रूम में ठहराया गया। इस दौरान होटल में जो भी खाना मिलता उसमें से आधा वो खुद खाता और आधा छुपाकर रख लेता। होटल में 5 दिन ठहरने के दौरान उसने काफी खाना बचा लिया और थैले में छुपाकर घर ले आया। घर आकर बड़ी ही ख़ुशी से उसने वो थैला अपनी माँ को देकर कहा कि “मां खा लो बड़े होटल का खाना है। हमें कभी बड़े होटल का खाना नहीं मिला इसलिए लेकर आया हूं।”
कार्तिकेय की माC नम पलकों के साथ कहती है कि ‘चार साल बाद भी मुझे उसे उस दिन की एक–एक बात याद है। मैंने थैला लिया और उसके सामने ही खाना खाया। घर आने तक खाना तो खराब हो चुका था। लेकिन मैंने कार्तिकेय को यह महसूस नहीं होने दिया। बाद में यह सोच कर मैं आपने आंसुओ को नहीं रोक पाई कि मेरा बेटा मुझसे कितना प्यार करता है। गर्व है मुझे की मैं कार्तिकेय राज की मां हूं।
कोलकाता में कार्तिकेय के पांच दिनों के सफर ने उसकी किस्मत ही बदल दी। वह चैनल के कॉम्पिटिशन में छठे राउंड तक पंहुचा लेकिन इस दौरान ही कपिल शर्मा की नज़र कार्तिकेय की कॉमेडी पर पड़ी और उन्हें उसकी कॉमेडी करने का अंदाज़ बेहद पसन्द आया। कपिल ने कार्तिकेय को अपने प्रोग्राम में कॉमेडी करने का अवसर दिया और आज कार्तिकेय “खजूर” के नाम से अपने अभिनय का लोहा मनवा रहा है और लोगों के दिलों पर राज कर रहा है।