कहते हैं वर्दी की न कोई जात होती है और न ही कोई धर्म या फिर यूं कह लीजिए कि फर्ज से बढ़कर वर्दी के लिए कोई धर्म नहीं होता। आज हम आपको एक ऐसे ...
हमारे पास जो है उसे कमतर मानना, उसमें कमियां निकालना आसान होता है। जो नहीं है उसके लिए रोना और जो है उसका मोल न समझना, कभी न कभी ऐसा हम सब करते हैं। पर हमारी ...
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