कहते हैं जिद से जिंदगी बदली जा सकती है। जिद से जहां बदला जा सकता है। जिद से बुने हुए सपने साकार किए जा सकते हैं। हमारी आज की कहानी भी एक ऐसी शख्स की है जिसने जिद से अपनी कायनात बदल डाली और गढ़ दी कामयाबी की एक नई परिभाषा।
दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो जिंदगी में कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। केरल के एर्नाकुलम रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले श्रीनाथ की कहानी भी यही कहती है। बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर और घर में दिनभर पढ़ाई करने वाले लोग जिस सिविल सर्विस परीक्षा में पास नहीं हो पाते, श्रीनाथ ने केवल रेलवे स्टेशन के फ्री वाईफाई के सहारे ही उस कठिन एग्जाम को क्लियर कर लिया। श्रीनाथ अगर इंटरव्यू में सफल हो जाते हैं तो उन्हें भूमि राजस्व विभाग के अंतर्गत विलेज फील्ड असिस्टेंट के पद पर तैनात किया जाएगा।
फ्री Wi-fi का इससे अच्छा इस्तेमाल शायद ही किसी और ने कभी किया होगा
रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने के साथ-साथ श्रीनाथ अपना स्मार्ट फोन चालू रखते, ईयरफोन कानों में झूलता रहता, काम के साथ एग्जाम की तैयारी भी चलती रहती। सिर पर रेलवे के मुसाफिरों का बोझा लादे श्रीनाथ अपने स्मार्टफोन और इयर फोन से लेक्चर भी सुनते,पूरे टाइम उसे दोहराते रहते और फिर रात में उसे रिवाइज कर लेते । थोड़ी फुर्सत मिलती तो इंटरनेट से वीडियो की मदद लेते। इस तरह एक-एक दिन कर उनकी मंजिल करीब आती चली गई।
केरल पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास करने के लिए श्रीनाथ ने कभी किसी किताब का सहारा नहीं लिया बल्कि रेलवे स्टेशन पर मौजूद मुफ्त वाई-फाई सुविधा का इस्तेमाल करते हुए इंटरनेट के माध्यम से अपनी तैयारी की। श्रीनाथ बताते हैं कि यह उनका पहला मौका था जब उन्होंने स्टेशन पर उपलब्ध वाईफाई सुविधा का इस्तेमाल किया, ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरा और देश दुनिया की ताजा जानकारियों से खुद को अपडेट किया साथ ही अपने विषयों की जम कर तैयारी की।
एर्नाकुलम रेलवे स्टेशन पर दो साल पहले ही मुफ्त वाई-फाई की सेवा शुरू की गई थी। रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के खुदरा ब्रांडबैंड वितरण मॉडल रेलवायर के तहत यात्रियों को स्टेशन पर मुफ्त इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराई जाती है। वहीं श्रीनाथ ने भी दिखा दिया है कि सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान को किस तरह अपनी सफलता का संसाधन बनाया जा सकता है।
श्रीनाथ की इस कामयाबी से एक और सीख मिलती है कि चाहे त्रेतायुग में समुद्र पर पुल बनाने वाले नल-नील हों, सड़क की रोशनी में पढ़ाई कर अमेरिका के राष्ट्रपति बने इब्राहिम लिंकन हों या फिर पहाड़ काट कर रास्ता बनाने वाले दशरथ माझी, जमाने में नजीर वही बनते हैं जिनमें परेशानियों के पहाड़ और चुनौतियों के तूफान से भिड़ने की हिम्मत हो।
याद रखिए: सपने पूरे करने के लिए हौंसला चाहिए सुविधा नहीं। इसी सच को सुनाती है कुली श्रीनाथ की कहानी जिसने स्टेशन के फ्री वाईफाई की मदद से सिविल सेवा परीक्षा पास कर साबित कर दिया कि कमल कीचड़ में ही खिलता है।