भारत एक ऐसा देश है जहां के लोग जरूरत से ज्यादा जुगाड़ पर जोर देते हैं। दुनिया की हर चीज का जुगाड़ निकालना तो कोई हम भारतीयों से सीखे। जुगाड़ शब्द से याद आया हमारे देश में एक ऐसे भी शख्स हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छता अभियान कुछ यूं पसंद आया कि उन्होंने पैसे न होने के बावजूद शौचालय बनाने का संकल्प ले लिया। अब जुबान तो दे दी, मगर जेब खाली। फिर भाई ने धीरे से एक ऐसा जुगाड़ निकाला जिसे देख बड़े-बड़े लोगों के दिमाग की भी ईंट हिल गई। अशोक भौमिक नाम के हमारे इस भाई ने बिना ईंट के ही शौंचालय की दीवार खड़ी कर डाली। लगता है विद्या बालन ने सही कहा था जहां सोच वहां शौचालय।
कहते हैं जरूरत ही अविष्कार की जननी है। लेकिन अविष्कार करना तो हर किसी के बस की बात है नहीं। इसीलिए हमारे देश के लोग हर जरूरत के समय कोई न कोई जुगाड़ निकालकर काम चला ही लेते हैं। अब इन्हें देखिए ये जनाब पश्चिम बंगाल के अशोक भौमिक हैं।जिन्होंने प्लास्टिक की बोतलों का कुछ इस तरह उपयोग किया कि उनकी जरूरत भी पूरी हो गई और प्लास्टिक से जुड़ी प्रदूषण की समस्या भी फुर्र हो गई।
आप सुनकर हैरान हो जाएंगे भाई ने प्लास्टिक की बोतलों से शौचालय बना डाला। सुनकर दंग रह गए न आप। पश्चिम बंगाल के रहने वाले इस शख्स ने प्लास्टिक की बोतलों का बखूबी इस्तेमाल कर ये मार्डन टॉयलेट बनाया है।
दरअसल अशोक के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो शौचालय बनवा सके। इसके लिए उन्होंने प्लास्टिक की बोतलों में बालू और अन्य कचरा भरकर शौचालय की दीवार खड़ी कर दी और इसे बनाने में लागत भी काफी कम आई।