भारत में विकास के बड़े-बड़े दावों-वादों के बावजूद आज भी 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। देश में गरीबी और भुखमरी का आलम ये है कि भुखमरी सूचकांक में भारत का स्थान 100वें नंबर पर आता है। हर नगर, हर शहर में राह चलते हुए सड़क किनारे गरीबों और बेसहारा लोगों की लंबी-लंबी लाइनें दिख ही जाती है, जिसे देख आपका दिल दुखता है या नहीं, ये तो नहीं पता मगर दिल्ली में रहने वाले एक शख्स ने इन गरीबों की पेट की आग बुझाने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी और सारा कामकाज बंद कर बस कर रहा है इन मजबूरों की मदद।
ये हैं दिल्ली के आईएनए मार्केट के पास पिल्लांजी इलाके में रहने वाले दिनेश चौधरी, जिन्होंने गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी। अब वो अपनी गाड़ी के जरिए अलग-अलग स्थानों में जाकर गरीबों का पेट भरते हैं। दिनेश शहर के सभी सरकारी अस्पतालों के बाहर एक-एक दिन गरीबों को मुफ्त में खाना खिलाते हैं।
दिनेश और उनकी टीम हर मंगलवार, शनिवार और त्योहारों पर गरीबों को खाना खिलाती है। उनके खाने में पूरी-सब्जी, हलवा और काबुली चने के अलावा खास मौकों पर मिठाई भी होती है। दिनेश ने बताया कि वे एक बार में वे 1000 लोगों को नाश्ता या भोजन कराते हैं। ये सारा खाना उनके घर पर ही बनता है।
दिनेश गाड़ी के जरिए अलग-अलग इलाकों में जाकर भूख के खिलाफ अभियान चलाते हैं। गाड़ी पर हनुमानजी की तस्वीर वाला एक बैनर लगा रहता है। जिस पर लिखा होता है, ‘बालाजी कुनबा- एक परिवार भूख के खिलाफ’। इसमें आगे लिखा है, ‘वह मंदिर का लड्डू भी खाता है, मस्जिद की खीर भी खाता है। वह भूखा है ‘साहब’…उसे, मजहब कहां समझ में आता है।
31 साल के दिनेश चौधरी का कहना है कि, ‘हमारा लक्ष्य है- एक परिवार भूख के खिलाफ। हमारा संदेश है, ‘भूख पर क्रोध दिखाओ, धार्मिक मुद्दों पर नहीं’।
31 साल के दिनेश ने भुखमरी को मिटाने का जो बीड़ा उठाया है,वाकई वो काबिले तारीफ है। आज के रोबोटिक दौर में जहां इंसानियत ढूंढ़ने से भी नहीं मिलती, ऐसे में उनकी ये पहल मिसाल है हम सबके लिए और भूखे पेट का सहारा बने हुए दिनेश जैसे लोग ही हमारे समाज के असल नायक हैं,जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है ।