बीमारी को मात देकर बिजनेस वर्ल्ड में धूम मचाने वाले हर्ष की अनसुनी कहानी
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भोपाल में रहने वाले 19 साल के हर्ष सोंगरा हैं My Child App के फाउंडर
मुसीबतें हमारी जिंदगी का एक हिस्सा या फिर यूं कहें कि एक कड़वा सच हैं.कोई इस बात को समझकर दुनिया से लोहा लेता है तो कोई पूरी जिंदगी इस बात का रोना रोता है.जिंदगी के हर मोड़ पर मिलने वाली इन मुश्किलों को देखने का हर किसी का अपना एक अलग नजरिया होता है.कई लोग जिंदगी की राह में आने वाले इन मुसीबतों के पहाड़ के सामने टूटकर बिखर जाते हैं तो कई लोग इन चुनौतियों से भिड़कर दूसरों के लिए नया मार्ग खोल जाते हैं.
एक बच्चा,जो खुद बचपन से डिस्प्रक्सिया(dyspraxia) नामक खतरनाक बीमारी से पीड़ित था आज वो लाखों बच्चों की जिंदगी को एक नई दिशा दे रहा है.आप इसे एक साधारण बच्चे की असाधारण सफलता की कहानी और स्टार्टअप की दुनिया में भारत के चमकते सितारे के रूप में देख सकते हैं, मगर मेरे लिए भोपाल के हर्ष सोंगरा के असल जिंदगी की कहानी का एक-एक पन्ना उस लाइफ चेंजिंग किताब की तरह है,जिसे पढ़कर विपरीत परिस्थितियों में भी मेरे अंदर एक विश्वास सा जागता है और मुश्किल समय में खुद पर यकीन करने का साहस मुझे मिलता है.यही वजह है कि आज मैं हर्ष की स्टोरी आपसे शेयर करने जा रहा हूं.
दरअसल हर्ष सोंगरा महज 19 साल का भोपाल बेस्ड सॉफ्टवेयर डेवलपर है जिसे दुनिया में आते ही डिस्प्रक्सिया नामक बीमारी ने जकड़ लिया था.इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की ग्रोथ आम बच्चों के मुकाबले बेहद कम और धीरे होती है.उस समय इस बीमारी के बारे में लोगों को जानकारी नहीं थी. यही वजह है कि हर्ष के माता-पिता भी उसकी इस बीमारी का शुरू में पता नहीं लगा पाए और हर्ष को सही समय पर सही मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिल सका.लिहाजा हर्ष को बचपन से ही कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा.9 साल की उम्र में जाकर हर्ष की ये बीमारी सामने आई…
बीमारी को मात देकर दूसरों की मदद के लिए बनाई एप
बीमारी की वजह से हर्ष का शारीरिक विकास सामान्य बच्चों की अपेक्षा काफी कम हुआ लेकिन हर्ष ने कभी हार नहीं मानी और अपनी इसी कमजोरी को अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया.बीमारी से धीरे-धीरे उबरने के बाद हर्ष को अपने जैसे दूसरों बच्चों का ख्याल आया और उसने तय किया कि वो कुछ ऐसा काम करेगा जिससे dyspraxia से पीड़ित बच्चों को मदद मिल सके.मुसीबतों के आगे माथा टेकने की बजाए हर्ष ने एक ऐसी एप बनाने की योजना बनाई जो dyspraxia के शिकार हुए बच्चों और उनके पैरेंट्स के काम आ सके.आखिरकार 7 साल की कड़ी मेहनत के बाद हर्ष ने दूसरे बच्चों को डेवलपमेंटल डिसऑर्डर से बचाने के लिए My Child नाम से एक ऐसी मोबाइल एप बनाई जो डिस्प्रक्सिया नामक बीमारी का पता लगाने और उसके सही इलाज के लिए बेहद मददगार साबित हुई
स्वास्थ्य से जुड़ी सूचनाओं की कमी के कारण 9 साल तक हर्ष की बीमारी को पहचाना नहीं जा सका.लेकिन आगे किसी भी बच्चे के साथ ये दोबारा ना हो इसकी पहल करते हुए हर्ष ने FB Start के तहत My Child App तैयार की.जो हेल्थ को लेकर अवेयरनेस और इन्फार्मेशन की कमी को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की गई है.इस Mobile App की मदद से पैरेंट्स कुछ बेसिक लक्षण के इनपुट देकर अपने बच्चों की हेल्थ डिस ऑर्डर को आसानी से समझ सकते हैं.
हर्ष के मुताबिक माय चाइल्ड एप में बच्चे के वजन, लंबाई, शारीरिक गतिविधियों के बारे में 8 सवाल पूछे जाते हैं. इन सवालों के जवाब के आधार पर एप संबंधित बच्चे के शारीरिक विकास की धीमी रफ्तार के कारण के बारे में बताता है. साथ ही इलाज के लिए डॉक्टर के नाम भी सुझाए जाते हैं.
facebook की सीईओ शेरिल सैंडबर्ग ने की तारीफ
हर्ष द्वारा बनाई गई ये एप देखते ही देखते दुनियाभर में धूम मचाने लगी.लाखों लोगों ने इसे अपने फोन पर डाउनलोड किया.इस इनोवेटिव ऐप को फेसबुक की तरफ से भी खासी सराहनी मिली.फेसबुक की सीईओ शेरिल सैंडबर्ग ने न सिर्फ हर्ष की तारीफ की बल्कि ‘एफबी स्टार्ट’ प्रोग्राम के तहत हर्ष की मदद भी की.इतना ही नहीं फेसबुक ने My Child App को अपग्रेड करने के लिए हर्ष को 12 लाख रुपए (20 हजार डालर) का पैकेज भी दिया है.
Nokia ने की सराहना
भोपाल में रहने वाले हर्ष सोंगरा की इस एप की नोकिया जैसी बड़ी कंपनी ने भी जमकर सराहना की.नोकिया ने इसे न सिर्फ App Of The Day बल्कि एप ऑफ द वीक का भी खिताब दिया.
याद रखिए: जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते.