3 आम लड़कों के कामयाबी की ऐसी कहानी जो बदल सकती है आपकी जिंदगी
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ये कहानी 3 ऐसे युवाओं की है जिन्होंने दुनिया से हटकर अपनी एक अलग दुनिया बनाने की सोची. अपने सपने खुद बुने. अपने दम पर,अपनी नई सोच के सहारे सफलता के पैमाने खुद गढ़े. जो सोचा-जो ठाना वो किया.जुनून को अपनी शक्ति और आईडिए को मकसद मानकर अपना कारोबार खड़ा किया.यकीनन इन तीन आम लड़कों के खास बनने की ये असल कहानी आज उन जैसे देश के लाखों युवाओं को कुछ अलग और नया करने की प्रेरणा दे सकती है.जब उनकी उम्र के बाकी लड़के घूमने और मौज-मस्ती में व्यस्त थे तब वो सब कुछ भूल अपनी जिद को कामयाबी की जमीन पर उतारने की जद्दोजहद में जी-जान से जुटे थे.वो तीनों सारी दुनिया से अलग एक ऐसा सपना गढ़ने में जुटे थे,जिसके बारे में कोई सोंच भी नहीं सकता था.जिद, जुनून में बदला और दुनिया के दस्तूर को बदलने निकल पड़े साथ-साथ ये तीन यार.देखते ही देखते वो अपने सपनों के सारथी भी बने और कामयाबी के नए कीर्तिमान भी गढ़े.
उन तीनों में से एक लड़का कन्नौज का सौरभ मिश्रा, दूसरा पटना का आनंद सिंह और तीसरा बिजनौर का आदित्य सिंह था,जिनकी उम्र भी एक समान लगभग 32 के आसपास थी. तीनों ने ही आम युवाओं की तरह इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर बेंगलुरू की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी शुरू की.एक ही ऑर्गेनाइजेशन में काम करने के दौरान तीनों के बीच जान पहचान हुई और फिर गहरी दोस्ती भी.तीनों ने आपस में सपने साझा करने शुरू किए और फिर एक साथ ही इंफोसिस जैसी कंपनी की अच्छी खासी नौकरी को बाय-बाय बोल दिया.तीनों ने तय किया कि विदर्भ के किसानों से जैविक कपास खरीदकर ऑर्गेनिक कपड़े और उन कपड़ों के लिए नया मार्केट बनाएंगे.
ये तो महज शुरूआत थी बाद में तीनों ने बांस के रेशे से बने धागे से ऐसे मोजे बनाने शुरू किए, जिनसे गंदे होने के बाद भी दुर्गंध नहीं आती थी.इसके बाद इन्होंने स्मैल फ्री ब्रांड के इन मोजों के लिए बाजार तलाशना शुरू किया.तभी इन्हें पता चला कि अजमेर के मेयो कॉलेज के हॉस्टल में बदबूदार मोजे को लेकर अक्सर बखेड़ा खड़ा होता रहता है.वहीं हॉस्टल प्रबंधन को जैसे ही इन स्मैल फ्री मोजों के बारे में पता चला,उसने फौरन ही एक हजार मोजे के ऑर्डर दे दिए.इसके बाद तो इन तीन नौजवानों की कंपनी ने देशभर की बोर्डिंग स्कूलों के हॉस्टल को अपने नए बाजार के रूप में तब्दील कर दिया.आज सौरभ,आनंद और आदित्य की कंपनी हर महीने 30 हजार ऐसे मोजे देशभर की बोर्डिंग स्कूलों में सप्लाई कर रही है.साथ ही कई बड़ी-बड़ी ऑनलाइन कंपनियां भी इनकी कंपनी के प्रोडक्ट बेंच रही हैं.
वाकई है ना कमाल का आईडिया,जिसे इन तीन लड़कों ने ढूंढ़ निकाला.शायद असल मायने में जिंदगी की सफलता यही है.जो साबित करती है कि कुछ बड़ा करने और अलग करने के लिए अथाह पूंजी और संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती, जरूरत होती है तो सिर्फ एक नई सोच की,कुछ कर दिखाने के जुनून की,अपने खुद के संजोए सपनों को पूरा करने के पागलपन की और खुद को साबित करने की उस शिद्दत की जो आपको न सोने देती है,न रुकने देती है और न ही कभी थकने देती है.यकीन मानिए POZITIVE INDIA आगे भी ऐसे ही नई सोच,अनोखे किस्से,अनदेखे किरदार,हौंसलों की अनसुनी दास्तान और रियल मोटिवेशनल स्टोरी सामने लाता रहेगा जो आपके निराश मन के इंजन में इंधन का काम करेंगी और प्रेरित होकर खुद ब खुद चल पड़ेगी आपके जिंदगी की गाड़ी.
Really new n pathway for me to……..